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सुशील कुमार मोदीजे.पी. आंदोलन की चिंगारीशपथ ग्रहण समारोह में राजग एकजुटता का प्रदर्शन (बाएं से) शाहनवाज हुसैन, बाबूलाल गौर, प्रकाश सिंह बादल, उमा भारती, शरद यादव, फारुख अब्दुल्ला, अटल बिहारी वाजपेयी, नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी53 वर्षीय सुशील कुमार मोदी बिहार के उन युवा नेताओं में हैं जिन्होंने विद्यार्थी परिषद् से सार्वजनिक जीवन प्रारंभ करते हुए राजनीति की चतुराइयों, चमक और चंचलता से स्वयं को दूर रखा। वे अपने सीधे-सरल जीवन के लिए जाने जाते हैं। घुमक्कड़ प्रवृत्ति के हैं और जब भी फुर्सत मिलती है लद्दाख में सिंधु दर्शन से लेकर अरुणाचल में ब्राईंपुत्र दर्शन तक भीड़ में खोकर पर्यटक की तरह घूम आते हैं।बिहार के कई अन्य दिग्गज नेताओं की तरह मोदी भी 1974 के जे.पी. आंदोलन से तप कर निकले हैं। मृदुभाषी और मीडिया के चहेते मोदी पटना विश्व्विद्यालय छात्र संघ के जब महासचिव थे तब लालू यादव छात्र संघ अध्यक्ष थे। नीतीश भी तब इनके साथ थे। संघ के इस पूर्व प्रचारक ने विज्ञान के छात्र के रूप में पटना विश्वविद्यालय से बी.एस-सी. में द्वितीय स्थान प्राप्त किया था। एम.एस-सी. में दाखिला लिया पर आधे में ही जे.पी. आंदोलन से जुड़ गए। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महासचिव रहे मोदी का राजनीतिक सफर 1990 में शुरू हुआ जब वे पटना मध्य क्षेत्र से विधानसभा के सदस्य बने थे। 2004 तक लगातार तीन बार उन्होंने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद भागलपुर से उन्होंने लोकसभा चुनाव जीता। 1997 में वे बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने और 2004 तक इस पद पर बने रहे। लोकसभा में आने के बाद मोदी भाजपा के उपाध्यक्ष बनाए गए पर चुनाव के चुनौतीपूर्ण समय का सामना करने के लिए बिहार प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पुन: पटना भेज दिया गया। मोदी ने राजद पर निशाना साधने का कोई अवसर नहीं गंवाया। वे चारा घोटाले के विरुद्ध याचिका दायर करने वालों में से एक थे। ये मोदी ही थे जिन्होंने विधानसभा में सवप्र्रथम चारा घोटाले के रहस्य उजागर किए थे। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि चारा घोटाले के आरोपी लालू यादव को हटाकर ही दम लेंगे। मोदी सदा जनता के बीच रहे और समय-समय पर जनजीवन से जुड़े मुद्दों पर धरना-प्रदर्शन में शामिल होते रहते थे। मार्च, 2000 में सात दिन की नीतीश सरकार में वे भी मंत्री बने थे। मोदी की धर्मपत्नी एक कॉलेज में शिक्षिका हैं और उनके दो पुत्र हैं।NEWS
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