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लोब्सेंग की कहानी क्या टल्कु के साथ दोहराई जाएगी?टल्कु डेलेकनिर्वासित तिब्बती संसद सदस्यों ने गत दिनों नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास को ज्ञापन सौंपकर कहा कि बौद्ध भिक्षु टल्कु तेंजिंग डेलेक पर चीन सरकार द्वारा लगाए गए आरोपों की खुली जांच हो। निर्वासित तिब्बती संसद की उपाध्यक्षा श्रीमती ग्यारी डोलमा ने बताया कि चीन सरकार ने बौद्ध भिक्षु टल्कु डेलेक को दो आरोपों के तहत 14 वर्ष के कारावास और मृत्युदंड की सजा सुनाई है। उन्हें 25 जनवरी, 2005 को मृत्युदंड देना तय हुआ है।टल्कु डेलेक तिब्बत के पूर्वी हिस्से में एक बौद्ध संत के रूप में जाने जाते हैं। कई सामाजिक कार्यों में उन्होंने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। उन्होंने अपने क्षेत्र में छह बौद्ध मठों, एक वृद्धाश्रम तथा एक अनाथालय के निर्माण का कार्य पूरा करवाया। उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए चीन सरकार ने उनको “राष्ट्र की स्थिरता के लिए खतरा” बताते हुए गिरफ्तार किया था।उल्लेखनीय है कि टल्कु डेलेक से पूर्व 3 अप्रैल, 2002 के दिन सिंचुआन की राजधानी चेंगडू में हुए बम विस्फोट के आरोप में लोब्सेंग ढोंडुप को गिरफ्तार कर एक ही सुनवाई के बाद फांसी पर चढ़ा दिया गया था। वह रिंपोचे के शिष्य थे। टलकु डेलेक भी रिंपोचे के शिष्य हैं। तिब्बतियों को आशंका है कि लोब्सेंग ढोंडुप के साथ चीनी सरकार ने जो अन्याय किया वही टल्कु डेलेक के साथ दोहराया जा सकता है।-प्रतिनिधिNEWS
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