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बस, शांति चाहिए-बीजिंग से स्वाति मिश्राहू जिन्ताओजेम्स सूंगताइपे (ताइवान) में भगवान बुद्धकी प्रतिमा”ॐ शांति शान्ति” – ये शब्द हैं चीन के राष्ट्रपति श्री हू जिन्ताओ के। “हेपिंग- हेपिंग, हेपिंग वीमन यांग युवान यूओ हेपिंग ।” (शांति-शांति ॐ शान्ति, हम हमेशा शान्ति चाहते हैं।) जबकि ताइवान के प्रमुख राजनेता श्री सूंग के शब्दों में “हम स्वतन्त्र ताइवान में विश्वास नहीं करते, क्योंकि इसका परिणाम सिर्फ युद्ध और अशान्ति है।” जेम्स सूंग ताइवान की “पीपुल्स फस्र्ट पार्टी” के नेता हैं। कुछ दिनों पूर्व अपनी नौ दिवसीय चीन यात्रा के दौरान श्री सूंग ने ताइवान के स्वतंत्र अस्तित्व की मांग का विरोध किया। जिंगहम विश्वविद्यालय में अपने भाषण के दौरान श्री सूंग ने कहा, “हमारे बीच रक्त और मांस का सम्बंध है, हम भौगोलिक तथ्यों के साथ-साथ मानसिक रूप से भी जुड़े हैं। अत: हमें अपने बीच उत्पन्न हुए समस्त विवादों को शान्तिपूर्वक सुलझाना होगा। इसके लिए हमें धैर्य की जरूरत है। अपने बीच के आपसी विवादों को हम स्वयं ही निपटाएंगे, इसके लिए न तो किसी की सहायता की जरूरत है और न ही हस्तक्षेप की। क्योंकि यह हम चीनियों का आपसी मामला है।” ज्यान हवाई अड्डे पर श्री सूंग ने कहा कि उनकी इस नौ दिवसीय यात्रा का उद्देश्य चीन और ताइवान के बीच आपसी विश्वास और सहयोग के सेतु को मजबूत करना है। “हम एक ही परिवार के सदस्य हैं और हमें धैर्य तथा समझदारी के साथ एक शान्तिमय भविष्य का निर्माण करना होगा।”1949 के बाद सूंग पहली बार चीन आये थे। उन्होंने अपनी मातृभूमि हूनान के दर्शन किए और गांववासियों के हाथ का बना खाना खाया। ताइपे के लिए रवाना होते वक्त श्री सूंग ने कहा, “हमारे बीच की दूरी भौगोलिक नहीं वरन मानसिक है, जो धीरे-धीरे दूर होती जाएगी।”बीजिंग में चीन के राष्ट्रपति हू जिन्ताओ के साथ हुए श्री सूंग के वार्तालाप से यह बात भी स्पष्ट हो जाती है कि जब तक ताइवान की ओर से स्वतंत्र ताइवान के अस्तित्व का विषय नहीं छेड़ा जाएगा, चीन सैन्य संसाधानों के उपयोग को नजरंदाज करेगा। हू जिन्ताओ के अनुसार चीनवासियों और ताइवानियों के बीच रक्त और मांस का सम्बंध है।शंघाईं (चीन) की भव्यता का एक दृश्यनई नीतियों की घोषणा भी दोनों देशों के बीच के अन्तर्युद्ध को मिटाने का ही एक प्रयास है। इन नियमों के अन्तर्गत चीनियों के ताइवान भ्रमण पर लगी रोक को हटा लिया गया है। नए व्यापारिक अनुसंधानों पर बल दिया जा रहा है, अब ताइवानी छात्रों को चीन के विश्वविद्यालय में उतनी ही फीस देनी होगी जितनी की चीनी विद्यार्थी देते हैं। ताइवानियों के चीन आते-जाते वक्त यात्रा सम्बंधी साधारण नियम ही लागू होंगे, पहले की तरह सख्त नियम नहीं होंगे। शंघाई और ज्यांग्सू प्रान्तों के जन-सुरक्षा विभाग ताइवानवासियों के चीन आने-जाने और यात्रा संबंधी विभिन्न कागजातों से संबंधी कार्यों को संभालेंगे।चीन में कार्य करने की मनोकामना करने वाले ताइवानियों को अब ज्यादा परेशानी नहीं होगी, इसके लिए नई नीतियां बहुत जल्दी ही घोषित की जाएंगी। नई नीतियों की घोषणा श्री सूंग की चीन यात्रा के अंतिम दिन की गई। आशा की जा रही है कि रक्त-मांस से जुड़े इन चीनी भाइयों में अन्तर्युद्ध धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा क्योंकि युद्ध का परिणाम सिर्फ विनाश ही है। जैसा कि श्री सूंग ने कहा “अगर हम पीछे मुड़कर अपने इतिहास को देखें तो पाएंगे कि जिन्होंने प्रजा के हितों को देखते हुए शान्तिपूर्वक शासन किया वे फले-फूले और जिन्होंने इसकी अनदेखी की उन्हें विनाश के अलावा और कुछ हाथ न लगा।”NEWS
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