टी.वी.आर शेनाय
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टी.वी.आर शेनाय

by
Nov 12, 2005, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 12 Nov 2005 00:00:00

भाजपा और कांग्रेसदोनों पार्टियों को आत्मघात का जुनून चढ़ामैं माना करता था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 309 आत्महत्या को एक आपराधिक कृत्य निर्धारित करती है। क्या कोई बंधु कृपा करके भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस तक यह सूचना पहुंचा देगा? भारत की दो सबसे बड़ी-और केवल असली “राष्ट्रीय”- पार्टियों के घपलों के शिखर पर छलांग मारकर चढ़ने और पतन के सागर में उतरने का दृश्य कोई खास सुकून देने वाला नहीं है।पिछले लगभग एक महीने की घटनाओं पर नजर डालें। नवम्बर की शुरूआत संयुक्त राष्ट्र समिति की घोटाले भरे खाद्य के बदले तेल कार्यक्रम की रपट जारी होने से हुई, जिसमें अन्य बातों के अलावा तत्कालीन विदेश मंत्री नटवर सिंह का नाम आया था। इसके बाद बिहार विधानसभा चुनावों के नतीजे आए जो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन- अगर वास्तव में वहां गठबंधन था तो- के मुंह पर तमाचा जड़ गए।शायद किसी ने सोचा होगा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन, खासकर भारतीय जनता पार्टी उस मौके का फायदा उठाकर मनमोहन सिंह सरकार को धरती पर ला पटकेगी। इसके बजाय, हमें भोपाल में उपद्रव जैसे दृश्य दिखाई दिए और हमने देखा कि अयोध्या की ओर कूच करती गुस्साई उमा भारती कैसे पार्टी सहयोगियों पर गालियों की बौछार कर रही थीं। मानो इतना पर्याप्त नहीं था, भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना ने मुम्बई की सड़कों पर कुरुक्षेत्र बनाने का ठीक यही समय चुना। ठीक है, लेकिन क्या कांग्रेस ने इस मौके का फायदा उठाकर अपनी बंदूक की नाल राजग की ओर तानी?नहीं, ध्यान रखना चाहिए कि यह आत्मघात का साझा करार है! उमा भारती के बौखलाहट भरे अपमान की गूंज अभी शांत नहीं हुई थी कि पूर्व कांग्रेसी छुटभैया अनिल माथेरानी, जो क्रोशिया में भारत के राजदूत बन गए हैं, ने खाद्य के बदले तेल कार्यक्रम में नटवर सिंह की भूमिका के चुभने वाले रहस्य सार्वजनिक कर दिए। लेकिन कांग्रेस की प्रतिक्रिया देखकर मैं तो हकबका सा रह गया।विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने कैमरों के आगे बड़े सहज रूप से कहा कि इसमें कोई नई बात नहीं है और कि “हम”-यानी मंत्रिगण-पहले से ही यह जानते थे। मुझे तो अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हुआ और इसी दृश्य को दो बार और देखा, यह पक्का करने के लिए कि मैंने कुछ गलत नहीं सुना था। कपिल सिब्बल सुप्रसिद्ध वकील हैं, सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। निश्चित रूप से वह जानते हैं कि उन्होंने अभी जो खुलकर स्वीकारा है वह विशेषाधिकार हनन के बहुत करीब है?कृपया ध्यान रखें कि प्रधानमंत्री ने खुद संसद को सुनिश्चित किया है कि संयुक्त राष्ट्र की रपट में किए गए दावों की जांच के लिए पाठक आयोग गठित किया जा रहा है। लेकिन ये कपिल सिब्बल तो दुनिया के सामने बोल रहे हैं कि उन्हें तो अनिल माथेरानी के खुलासे के बारे में काफी पहले से पता था। इसका अर्थ यह हुआ कि डा. मनमोहन सिंह ने, अगर पूरी विनम्रता से कहें तो, गुमराह करने वाला बयान दिया था। यह प्रधानमंत्री के शासन में ईमानदारी बरतने के संकल्प पर एक बड़ा सवालिया निशान भी लगा गया है। अगर वे वास्तव में माथेरानी के बयानों के बारे में जानते थे तो आखिर व नटवर सिंह को बिना विभाग का मंत्री कैसे बनाए रख पाए?सवाल खड़ा है कि इसका कितना हिस्सा खुद कांग्रेस पार्टी जानती थी। मैं यह मानने को तैयार हूं कि बगदाद में मेज के नीचे हुए किसी सौदे से खुद सोनिया गांधी ने कोई फायदा नहीं लिया होगा यानी वही बात जो उनके सभी दरबारी रात-दिन दोहरा रहे हैं। लेकिन मुद्दा यह नहीं है। उन्हें तो इस सवाल का जवाब देना होगा कि नटवर सिंह के साथ यात्राओं पर जाने वाले उनके साथियों के बारे में वे कितना जानती थीं।नटवर सिंह के पुत्र और इस वक्त राजस्थान विधानसभा में कांग्रेसी विधायक जगत सिंह कहते हैं कि वे युवक कांग्रेस के प्रतिनिधि के नाते विदेश गए थे। क्या यह सच है? युवक कांग्रेस ने नितांत असंगत बयान जारी किया है, पता नहीं चलता कि आखिर असलियत क्या है।बहुत पुरानी बात नहीं है, अनिल माथेरानी, जैसा पहले बताया, कांग्रेसी कार्यकर्ता थे। सोनिया गांधी भी उनसे कभी मिली जरूर होंगी। (शायद वे टेलीविजन में दिखाए उस दृश्य में मौजूद थे जिसमें सोनिया गांधी विपक्ष की नेता के रूप में विदेशी मेहमानों से मिल रही थीं।) क्या सोनिया गांधी ने उनसे घोटाले के सम्बंध में चर्चा की थी? यह न भूलें कि जब संयुक्त राष्ट्र की रपट में नटवर सिंह का नाम उछला था तब मठरानी दिल्ली में ही थे। अगर सोनिया गांधी ने माथेरानी से बात की भी और उन्होंने उन्हें वही बताया था जो अब वे कह रहे हैं तो आखिर सोनिया ने संप्रग अध्यक्ष के नाते नटवर सिंह को कैबिनेट मंत्री कैसे बने रहने दिया?बहरहाल, सबसे बड़ा सवाल तो कुछ और ही है। आखिर हम लोग भारत की सत्तारूढ़ पार्टी और प्रमुख विपक्षी पार्टी को अपने बनाए आरोप-प्रत्यारोप के गंदले तालाब में उछल-कूद करते देखने की बजाय शासन के मुद्दों पर ध्यान देते कब देख पाएंगे?NEWS

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