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कैप्टन ही बिगाड़ रहे हैंराजनीति का “खेल”-राकेश सैनकैप्टन अमरिंदर सिंहराजिंदर कौर भट्ठलपंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के धुर विरोधी जगमीत सिंह बराड़ (पूर्व सांसद) और उपमुख्यमंत्री श्रीमती राजिंदर कौर भट्ठल के बीच बैठकों के चलते राज्य की कांग्रेसी राजनीति संघर्ष की तरफ बढ़ती नजर आ रही है। पार्टी में अनुशासन का इस कदर अभाव है कि शराब ठेकों की नीलामी को लेकर विपक्षी अकाली दल (बादल) और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ-साथ सत्तारूढ़ दल के लोग भी अपनी ही सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव के बाद से ही पूर्व सांसद जगमीत सिंह बराड़ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे हैं। दोनों पक्षों की लड़ाई अब सोनिया गांधी के दरबार तक पहुंच चुकी है। मुख्यमंत्री ने बराड़ को सबक सिखाने के उद्देश्य से अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उनको पार्टी की प्रदेश इकाई की अनुशासन समिति के जरिए निलंबित करा दिया। पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सदस्य होने के कारण बराड़ का निलंबन वैधानिक रूप से गलत साबित हो गया। इससे बराड़ के हौसले और भी बुलंद हो गए। अब बराड़ ने विपक्ष के सुर में सुर मिलाते हुए पंजाब सरकार पर आरोप लगाया है कि वर्ष 2005-06 के लिए शराब के ठेकों की नीलामी के दौरान सरकारी राजस्व को 300 करोड़ रु. की चपत लगाई गई है और प्रदेश के अधिकतर जिलों में उत्तर प्रदेश की शराब माफिया कंपनी को ही ठेके दिए गए हैं।उधर मुख्यमंत्री को घिरते देख उपमुख्यमंत्री श्रीमती राजिंदर कौर भट्ठल की महत्वाकांक्षाएं फिर जोर मारने लगी हैं। सत्तारूढ़ दल के 25-30 विधायक भी मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली से नाखुश हैं।कांग्रेस के उच्चपदस्थ अधिकारी बताते हैं कि दोनों पक्षों की शक्ति लगभग बराबर होने के कारण पार्टी आलाकमान किसी भी एक पक्ष के खिलाफ सख्त कदम उठाने से घबरा रही है। हालांकि श्रीमती सोनिया गांधी ने रक्षामंत्री श्री प्रणव मुखर्जी को दोनों पक्षों के बीच विवाद सुलझाने को कहा है परन्तु प्रदेश कांग्रेस की अन्तर्कलह खत्म होती दिखाई नहीं दे रही है।पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के शुरुआती तीन वर्षों में जहां पूर्व मुख्यमंत्री और अब उप-मुख्यमंत्री श्रीमती राजिंदर कौर भट्ठल ने विद्रोह का झंडा उठाए रखा तो अब कांग्रेस की केन्द्रीय समिति के सदस्य जगमीत सिंह बराड़ ने विद्रोह का बिगुल फूंका है। श्री बराड़ ने पार्टी आलाकमान से शिकायत की है कि मुख्यमंत्री निरंकुश व्यवहार कर रहे हैं और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की उपेक्षा की जा रही है। इससे प्रदेश में कांग्रेस की साख घट रही है। मुख्यमंत्री खेमे से बड़बोले वित्तमंत्री सुरिंदर सिंगला ने सार्वजनिक रूप से जगमीत बराड़ पर खालिस्तान व अलगाववाद समर्थक होने के आरोप मढ़ दिए हैं। समाचार-पत्रों में दोनों पक्षों द्वारा लगाए जा रहे आरोप-प्रत्यारोपों से यह बात साफ हो चुकी है कि दोनों खेमों में सुलह कठिन है।बराड़ और कैप्टन अमरिन्दर सिंह के बीच चली आ रही कड़वाहट ने उस समय विद्रोह का रूप ले लिया जब 14 जनवरी को मुक्तसर में आयोजित माघी मेले के दौरान पार्टी के मंच से जगमीत सिंह बराड़ को बोलने नहीं दिया गया। इस बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जगमीत के भाई रिपजीत सिंह बराड़ को ऊर्जा निगम और एक अन्य समर्थक कुलबीर सिद्धू को पंजाब संचार निगम के अध्यक्ष पदों से चलता कर दिया। इतना ही नहीं बराड़ समर्थक कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से जिला स्तर के छोटे-मोटे पद भी छीन लिए। वर्तमान सरकार के कार्यकाल को दो वर्ष ही शेष रह गए हैं। ऐसे में राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि अगर कांग्रेस ने पंजाब में आपसी फूट और कलह को समाप्त नहीं किया तो सन 2007 में होने वाले विधानसभा चुनावों में उसे मुश्किलों का सामना करना होगा। अकाली दल-भाजपा गठबंधन के सामने गुटबाजी में डूबी पंजाब कांग्रेस बिखर जाएगी। पर इतना तय है कि “कैप्टन” का राजनीतिक खेल बिगाड़ने के लिए बराड़ और भट्टल की नजदीकी खतरनाक साबित होगी।NEWS
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