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कोलकाता में श्री गुरुग्रंथ साहिब का 400वां प्रकाशोत्सव समारोह1 ओंकार है विश्व बंधुत्व का मूलमंत्र-आचार्य विष्णुकांत शास्त्री, पूर्व राज्यपाल, उ.प्र.प्रकाशोत्सव समारोह को सम्बोधितकरते हुए आचार्य विष्णुकांत शास्त्रीगत दिनों कोलकाता में राष्ट्रीय सिख संगत एवं पंजाबी बिरादरी (पश्चिम बंगाल) के संयुक्त तत्वावधान में श्री गुरुग्रंथ साहिब का 400वां प्रकाशोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। गत 2 सितम्बर को पंजाबी बिरादरी के सभागार में बड़ी संख्या में केशधारियों एवं सहजधारियों की उपस्थिति में श्री गुरुग्रन्थ साहिब का पूजन किया गया। गुरुद्वारा संत कुटिया से श्री गुरुग्रंथ साहिब को पूर्ण मर्यादा के साथ यहां लाया गया। सभी ने “बोले सो निहाल, सत् श्री अकाल”, “वाहे गुरुजी का खालसा, वाहे गुरुजी की फतेह” के उद्घोषों से वातावरण गुंजा दिया। सभा-स्थल पर एक मंच बनाकर श्री गुरुग्रंथ साहिब को वहां स्थापित किया गया था। सभी श्रद्धालुओं ने वहां मत्था टेका एवं समर्पण भी किया।इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। अपने उद्बोधन में श्री शास्त्री ने कहा कि 1 ओंकार विश्व बंधुत्व का मूल मंत्र है। “परमात्मा एक है”, यह बात विश्व बंधुत्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। सिख गुरुओं ने देश, धर्म की रक्षा के लिए बलिदान दिए, हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। जाने-माने सिख विद्वान सरदार मोहन सिंह सब्बरवाल ने इस अवसर पर कहा कि यदि हम गुरुओं द्वारा निर्देशित मार्ग पर चलें तो इस महान ग्रंथ के माध्यम से हम भारत की एकात्मता और विश्व शांति की मनोकामना पूर्ण कर सकते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता सरदार हरिन्दर सिंह आजाद ने की। इस अवसर पर राष्ट्रीय सिख संगत, प. बंगाल के अध्यक्ष सरदार एम.एस. नागरा एवं महामंत्री श्री भारत भूषण ने भी सम्बोधित किया सम्बोधित किया। इस अवसर पर गुरुवाणी का पाठ किया गया एवं लंगर (सहभोज) का भी आयोजन किया गया। बासुदेब पाल19
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