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धूत्र्तता की पोल खुली!28अगस्त की रात को हैदराबाद पुलिस ने लश्कर-ए-तोइबा के 8 आतंकवादियों-50 वर्षीय मोहम्मद नसीरुद्दीन, तहरीक तहफूज शेरे-इस्लाम के अध्यक्ष, 21 वर्षीय मोइनुद्दीन रशीद, 33 वर्षीय मोहम्मद मुनवरुल्लाह शरीफ, 30 वर्षीय शेख फरीद, 22 वर्षीय सैयद अब्दुल कादिर अहमद, 27 वर्षीय मोहम्मद जावेद उर्फ सलीम, 26 वर्षीय गुलाम असलम सिद्धीकी और 22 वर्षीय उमर फारूख शरीफ को पुराने शहर के चंदयनगुट्टा इलाके में एक घर से गिरफ्तार किया था। पुलिस का कहना है कि ये लोग आगामी गणेश उत्सव पर साम्प्रदायिक उपद्रव फैलाने की कोशिश में थे।पुलिस अपराधियों को पकड़े इसमें किसी को आपत्ति नहीं थी। आपत्ति तब हुई है जब उनकी गिरफ्तारी की सूचना पाते ही सैकड़ों बुर्काधारी मुस्लिम महिलाएं पुलिस आयुक्त के दफ्तर तक नारे लगाते हुए पहुंच गईं और अपराधियों की रिहाई की मांग करने लगीं। गत 1 सितम्बर को ये महिलाएं जबरदस्ती पुलिस आयुक्त के उस वार्ता कक्ष तक पहुंच गईं जहां वे प्रेस से बातचीत करने वाले थे। नगर पुलिस आयुक्त श्री आर.पी.सिंह के कमरे के बाहर पहुंचकर वे चिल्लाने लगीं- “मौलाना नसीरुद्दीन को रिहा करो”, “पोटा हटाओ”, “पुलिस जुल्म, हाय-हाय”। आधे घंटे तक यह सब चलता रहा।बाद में श्री आर.पी.सिंह ने जानकारी दी कि लश्कर-ए-तोइबा ने हैदराबाद में गणेश उत्सव के दौरान राज्य का दौरा करने वाले अमरीकियों और यहूदियों पर हमले की योजना बनाई थी। बम विस्फोटों के जरिए वे साम्प्रदायिक उन्माद फैलाना चाहते थे। उन्होंने गुंटूर के कुछ यहूदी परिवारों को चिन्हित भी कर लिया था। मौलाना नसीरुद्दीन ने कड़ी पूछताछ के बाद पुलिस को यह जानकारी दी थी। श्री सिंह ने यह भी बताया कि 10 दिन के उत्सव के दौरान रशीद को सिकन्दराबाद के गणेश मंदिर में दाड़ी मुंडाकर, तिलक लगाकर एक हिन्दू भक्त के बाने में भेजे जाने की योजना थी। अन्दर जाकर उसे रिमोट से बम धमाका करना था। यह पूछे जाने पर कि क्या इसके पीछे आई.एस.आई. की भूमिका हो सकती है? पुलिस आयुक्त ने कहा कि लश्कर-ए-तोइबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे मजहबी कट्टरवादी गुटों को आई.एस.आई. ही प्रायोजित कर रही है।विद्रोहियों ने दी पत्रकारों को धमकीनेपाल के माओवादियों ने पत्रकारों के विरुद्ध अभियान छेड़ा हुआ है। एक नेपाली दैनिक के अनुसार, माओवादियों ने आठ पत्रकारों के विरुद्ध “मौत का फरमान” जारी किया है। इससे पूर्व उन्होंने सरकारी नियंत्रण वाले रेडियो नेपाल से जुड़े पत्रकार देवेन्द्र राज थापा की निर्मम हत्या कर दी थी। नेपाली दैनिक के अनुसार विद्रोहियों ने कहा है कि पत्रकारों को मौत के घाट उतारने का फैसला माओवादी अदालत का है। जिन दस पत्रकारों के विरुद्ध यह “फैसला” लिया गया है, उनमें कान्तिपुर प्रकाशन के हरिहर सिंह राठौर और वेद प्रकाश तिमिलसिना भी शामिल हैं। दैनिक अन्नापूर्णा पोस्ट की रपट है कि माओवादियों ने दांग जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में पत्रकारों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। विद्रोहियों ने ऐसा इसलिए किया, “क्योंकि ये लोग माओवादी जन-प्रशासन के अंतर्गत पंजीकृत नहीं हैं।” पत्रकारों के विरुद्ध जारी इस माओवादी मुहिम पर टिप्पणी करते हुए नेपाली पत्रकार संघ ने बताया कि पिछले आठ साल में विद्रोहियों ने छह पत्रकारों को मौत के घाट उतारा है और तीन पत्रकारों के गायब हो जाने में भी उन्हीं का हाथ है। उनका अभी तक कोई अता-पता नहीं है।शुभ के लिए अशुभ30अगस्त (रक्षा बन्धन) की रात की बात है। दक्षिण गुजरात के वनवासीबहुल क्षेत्रों के लोग सोये हुए थे कि अचानक कई घरों के टेलिफोनों की घंटियां बजने लगीं। जिसने भी टेलिफोन उठाया उसे बताया गया कि अशुभ दिन में रक्षा-सूत्र बंधवाने से एक युवक की मृत्यु हो गई है। यह सुनकर नींद में ही टेलिफोन उठाने वाले लोगों की नींद टूट गई। उन्होंने अपने कुछ रिश्तेदारों और पड़ोसियों को भी टेलिफोन किया तो उन्हें हर जगह यही बात सुनने को मिली। पर सुबह होते ही पता चला कि यह मात्र एक झूठ था, जिसे मतान्तरण में लगे असामाजिक तत्वों ने एक षड्यंत्र के तहत फैलाया था। क्योंकि उस दिन धर्म-जागरण मंच के कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर हजारों लोगों को रक्षा सूत्र बांधा था। इस सफल कार्यक्रम से मतान्तरण में जुटे तत्वों को लगा कि यह तो हमारे लिए अशुभ है और उन्होंने अपने अशुभ को टालने के लिए एक शुभ कार्य को अशुभ ठहराने का प्रयास किया।33
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