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पाञ्चजन्य विशेष
शंकराचार्य जी की गिरफ्तारी से श्रद्धालु आहत
– आचार्य महाप्रज्ञ
प्रखर चिंतक एवं तेरापंथ के आचार्य महाप्रज्ञ ने कांची कामकोटि पीठ के पूज्य शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती की गिरफ्तारी के विरुद्ध प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि इससे पूरा धार्मिक जगत आहत हुआ है। सिरिचारी (राजस्थान) में चातुर्मास प्रवास कर रहे जैनाचार्य का यह वक्तव्य अहिंसा यात्रा के राष्ट्रीय प्रवक्ता मुनिश्री लोकप्रकाश “लोकेश” ने गत 22 नवम्बर को जारी किया। इससे पूर्व केन्द्रीय गृहमंत्री श्री शिवराज पाटिल से उनके निवास स्थान पर भेंट कर मुनिश्री प्रशांत कुमार एवं मुनिश्री लोकप्रकाश “लोकेश” ने शंकराचार्य जी के बारे में आचार्यश्री महाप्रज्ञ का एक विशेष संदेश सौंपा। आचार्य महाप्रज्ञ के संदेश की प्रति प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी, प्रतिपक्ष के नेता श्री लालकृष्ण आडवाणी को भेजकर शंकराचार्य जी के साथ शालीन व्यवहार की मांग की गयी।
केन्द्रीय गृहमंत्री श्री शिवराज पाटिल से बातचीत करते हुए मुनि श्री लोकप्रकाश “लोकेश”
धर्मगुरुओं के साथ शिष्ट व्यवहार हो
-शिवराज पाटिल, केन्द्रीय गृहमंत्री
आचार्यश्री महाप्रज्ञ ने अपने संदेश में कहा है कि “कांची कामकोटि बहुत प्राचीन और प्रतिष्ठित पीठ है। शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वती जनमान्य धर्मगुरु हैं। जो कुछ भी हुआ वह न्यायालय के अधीन है और न्यायालय को ही उसके निर्णय का अधिकार है, उसमें हम कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। पर हमारा कहना है कि व्यवहार की शालीनता पर चिंतन अवश्य होना चाहिए। समाचारपत्रों में जेल के सींखचों के पीछे खड़े शंकराचार्य जी को देखा तो मन को बहुत पीड़ा हुई। इससे पूरे हिन्दू समाज का मन आहत हुआ है। यह सारी घटना हिन्दू समाज को, और दीर्घकाल में पूरे धार्मिक जगत को आहत करने वाली है। क्या कोई ऐसा रास्ता हो सकता है जिससे शालीन व्यवहार सामने आए और वह एक परम्परा बन जाए? हमारा आग्रहपूर्ण अनुरोध है कि इस विषय पर गंभीरतापूर्वक चिंतन कर कोई रास्ता निकालें जिससे धार्मिक जगत सदा के लिए आश्वस्त हो सके।” केन्द्रीय गृहमंत्री श्री शिवराज पाटिल ने आचार्यश्री महाप्रज्ञ के विचारों से सहमति व्यक्त करते हुए कहा कि शंकराचार्य जी के साथ हुआ व्यवहार आश्चर्यजनक है। गृहमंत्री ने जैन मुनियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि शंकराचार्य श्री जयेन्द्र सरस्वती जी जैसे सम्मानित धर्मगुरुओं के साथ शिष्ट एवं शालीन व्यवहार हो।
प्रतिनिधि
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