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मंगलम्, शुभ मंगलम्स्त्रीतेजस्विनीमंगलम्, शुभ मंगलम्इस स्तम्भ में दम्पत्ति अपने विवाह की वर्षगांठ पर 50 शब्दों में परस्पर बधाई संदेश दे सकते हैं। इसके साथ 200 शब्दों में विवाह से सम्बंधित कोई गुदगुदाने वाला प्रसंग भी लिखकर भेज सकते हैं। प्रकाशनार्थ स्वीकृत प्रसंग पर 200 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।पंख बने दिनरेखा गुप्ता अपने पति अरुण के साथप्रिय अरुण,बाइस साल पहले हमने हमसफर बनने का फैसला किया था और अपने इस फैसले पर मुझे गर्व है। इस लम्बे सफर के पड़ाव याद करती हूं तो बहुत से पल जीवन्त होकर अहसास को मीठा कर जाते हैं। आपसी समझदारी से हमने सीखा कि अपनी जिम्मेवारियां निभाते हुए भी हम दो अलग व्यक्तित्व हैं, इनको थोथे बन्धनों में बांधकर छोटा नहीं करना चाहिए। आपकी इस सोच ने ही मेरे जीवन को नए आयाम दिये, मुझे पंख लगाकर उड़ना सिखाया। कितने आश्चर्य की बात है कि जिस समाज में पत्नी को निरर्थक बातों के लिए भी पति से इजाजत लेनी पड़ती है, वहीं आपने उस शब्द को ही जीवन से निकाल दिया था। आपका मितभाषी होना कभी-कभी तकलीफ पहुंचाता था लेकिन एक सार्थक वाक्य सदियों की खुशी दे गया। मैंने आपसे कहा था कि आप कभी मुझसे यह क्यों नहीं पूछते कि मैं कहां और क्यों जा रही हूं, कब लौटूंगी? तब आपका जवाब था कि हम बच्चे नहीं हैं जो बेवजह कोई काम करेंगे। आपके इन शब्दों ने कहीं अन्दर तक मुझे छू लिया था और मैं उसी पल से ज्यादा जिम्मेदार बन गई थी। आज आपके इसी प्रोत्साहन और प्रगतिशील विचारों के कारण मुझे समाज में सम्मान व प्यार मिला। वायुसेना में होने के कारण आप बहुत अनुशासित रहे हैं और मेरा कला व शायरी से जुड़ा होने के कारण लापरवाह व बेतरतीब अंदाज। 24 अक्तूबर, 1982 के बाद बाईस साल का सफर कैसे तय हो गया पता ही नहीं चला।आपकीरेखा गुप्ता, एन-22, साउथ एक्सटेंशन-1, नई दिल्ली-49″स्त्री” स्तम्भ के लिए अपनी सामग्री, टिप्पणियां इस पते पर भेजें”स्त्री” स्तम्भद्वारा, सम्पादक,पाञ्चजन्य संस्कृति भवन,देशबन्धु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-5522
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