टी.वी.आर. शेनायबिरला घराने की सम्पदाकोई तो बताए वसीयत की असलियतएक संवाददाता की अपने पाठकों के प्रति
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

टी.वी.आर. शेनायबिरला घराने की सम्पदाकोई तो बताए वसीयत की असलियतएक संवाददाता की अपने पाठकों के प्रति

by
Jan 8, 2004, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 08 Jan 2004 00:00:00

टी.वी.आर. शेनायबिरला घराने की सम्पदाकोई तो बताए वसीयत की असलियतएक संवाददाता की अपने पाठकों के प्रति क्या जिम्मेदारी होती है? “क” ने क्या कहा और “ख” ने क्या सुना, बस इन्हीं कथनों का सार रख देने मात्र से ही उसका काम खत्म हो जाता है? क्या पाठकों के प्रति उसका यह कर्तव्य नहीं है कि वह अपनी ओर से थोड़ी जांच-पड़ताल करे और बताए कि उनके कथन कितने सच्चे हैं, कितने झूठे?यह सब मैं बिरला खानदान और आर.एस. लोढा (सनदी लेखाकार, जिन्हें प्रियंवदा बिरला की वसीयत का सबसे अधिक लाभ मिलता दिख रहा है) के बीच चल रही खींचतान के संदर्भ में कह रहा हूं। एक के बाद एक मीडिया वाले- चाहे समाचार पत्र हों या इलेक्ट्रानिक मीडिया- केवल यही दोहराते दिख रहे हैं कि फलां ने यह कहा, फलां ने वह कहा। कुल मिलाकर यह सारा मामला ऐसा बन पड़ा है जिस पर शायद पत्रकारिता विद्यालय आगे कभी अध्ययन करेंगे।आखिर विवादित संपदा की ठीक-ठीक कीमत क्या है? समाचार इकाइयों ने बड़ी उछलकूद के साथ 5000 करोड़ से लेकर 20,000 करोड़ रु. तक के आंकड़े जारी किए हैं। चूंकि ये सभी आंकड़े सही नहीं हो सकते अत: स्वाभाविक है कि कितने ही सम्पादकों के पास सही आंकड़ा नहीं है। (कीमत का अंदाजा लगाऊं तो मेरी जोड़-तोड़ के अनुसार यह आंकड़ा 1,500 करोड़ रु. के आस-पास होगा।) रपटों में इतने सारे आंकड़े आए हैं कि उन्हें देखकर यही लगता है कि ज्यादातर पत्रकारों ने हवा में से एक संख्या छांट ली और अपनी रपट में महज इसीलिए लिख दी कि आम पाठक इतने बड़े आंकड़े को देखकर चकराकर ही रह जाएगा।खैर, तमाम अखबारों और टी.वी. चैनलों को खंगाल डालने के बाद भी मुझे पता नहीं चल पाया कि क्या स्वर्गीया प्रियंवदा बिरला अपने पति की संपदा के बारे में फैसला लेने का अधिकार रखती थीं। अगर उनके पति कोई वसीयत लिखे बिना ही परलोक सिधारे होते तो भारतीय कानून के अनुसार क्या प्रियंवदा बिरला ही सम्पत्ति की एकमात्र उत्तराधिकारी थीं? यह एक दिलचस्प सवाल है: भले ही हमारे पास बिरलाओं जैसी अकूत संपदा न भी हो तो भी हर भारतीय के लिए इसमें कुछ न कुछ दिलचस्प तो है ही। लेकिन कानून में ठीक-ठीक लिखा क्या है इसकी विश्वसनीय जानकारी कितनों को है? (अथवा कानूनों में, क्योंकि संभव है भिन्न पांथिक समुदायों के लिए ऐसे पेंचदार मामले में अलग-अलग दिशानिर्देश होंगे।)मेरी जानकारी के अनुसार स्वर्गीय एम.पी. बिरला ने अपनी वसीयत 1981 में लिखी थी। वह दस्तावेज उनकी धर्मपत्नी को उनकी संपदा पर आजीवन अधिकार से अधिक की कथित छूट नहीं देता; उस दस्तावेज में निहित था कि धर्मपत्नी की मृत्यु के बाद उनकी संपदा का उपयोग धर्मार्थ कार्यों में किया जाएगा। अगर यह सच है तो प्रियंवदा बिरला एक न्यासी से अधिक कुछ नहीं थीं।मुझे “कथित” जैसे शब्द लिखने को बाध्य होना पड़ रहा है, क्योंकि जहां तक मुझे मालूम है, एम.पी. बिरला की वसीयत को कभी जांच की कसौटी पर नहीं कसा गया था। इससे अनेक सवाल उठ खड़े होते हैं। अगर किसी की वसीयत जांच की कसौटी पर न कसी जाए तो क्या वह व्यक्ति तकनीकी रूप से बिना वसीयत वाला माना जाता है? क्या 23 साल के अंतराल के बाद कोई वसीयत अदालत में प्रमाणित होने के लिए प्रस्तुत की जा सकती है? और यदि एम.पी. बिरला बिना वसीयत लिखे ही स्वर्ग सिधार गए होते तो उनकी संपदा का कितना हिस्सा उनके सहोदरों को, और आगे उनके बच्चों को प्राप्त होता? बिरलाओं और लोढाओं की छोड़ दें, ये सवाल दो-एक दिलचस्प आलेखों का मर्म होने चाहिये थे! लेकिन क्या कहीं भी ये पढ़ने में आए?आगे बढ़ते हैं। क्या किसी ने भी प्रियंवदा बिरला की वसीयत के वास्तविक अंश देखे या पढ़े हैं? एक सूत्र के अनुसार आर.एस. लोढा को एम.पी. बिरला की संपदा पर संपूर्ण नियंत्रण प्राप्त नहीं है; वे तो संभवत: अपनी 65वीं वर्षगांठ तक ही उसके रखवाले हैं, जिसके बाद संपदा का नियंत्रण उनके दूसरे पुत्र के हाथों में चला जाएगा। खेद है, किसी संवाददाता ने उस वसीयत की प्रति हासिल करने की कोशिश नहीं की।यह जानना भी जरूरी है कि आखिर वह कौन सी प्रक्रिया है जो किसी वसीयत की वैधता सिद्ध करती है। कितने चश्मदीद गवाह होने चाहिए? जब कोई व्यक्ति अपनी वसीयत पर हस्ताक्षर कर रहा होता है तो क्या उन चश्मदीद गवाहों का कमरे में स्वयं मौजूद रहना जरूरी होता है? यह एक महत्वपूर्ण सवाल है। प्रियंवदा बिरला की वसीयत के दो चश्मदीद गवाह तो इसी आधार पर पीछे हट चुके हैं। दो थे या चश्मदीद गवाह केवल एक ही था? अभी कुछ तय नहीं कह सकता क्योंकि कोई भी रपट इसका जवाब देती नहीं दिखी है।मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि एम.पी. बिरला की संपदा का कितना हिस्सा किसको मिलता है। (उम्मीद यही है कि पूरा मामला उसी शालीन तरीके से चलाया जाए जो अब तक बिरला खानदान की पहचान रही है; शायद एम.पी. बिरला धर्मार्थ न्यास के हाथों संपदा का अधिकांश भाग सौंपना सभी के लिए हितकर होगा।) लेकिन उत्तराधिकार का मुद्दा तो हम सभी से जुड़ा है। खेद है कि मीडिया के मेरे सहकर्मी बिरला की संपत्ति को लेकर इतने चौंधियाते रहे हैं कि आम पाठकों के प्रति अपने कर्तव्य को ही भुला बैठे। (22.7.2004)31

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा नागरिक इलाकों को निशाना बनाए जाने के बाद क्षतिग्रस्त दीवारें, टूटी खिड़कियां और ज़मीन पर पड़ा मलबा

पाकिस्तानी सेना ने बारामुला में की भारी गोलाबारी, उरी में एक महिला की मौत

बलूच लिबरेशन आर्मी के लड़ाके (फाइल चित्र)

पाकिस्तान में भड़का विद्रोह, पाकिस्तानी सेना पर कई हमले, बलूचिस्तान ने मांगी आजादी, कहा – भारत में हो बलूच दूतावास

“भय बिनु होइ न प्रीति “: पाकिस्तान की अब आएगी शामत, भारतीय सेना देगी बलपूर्वक जवाब, Video जारी

खेत हरे, खलिहान भरे

पाकिस्तान ने उरी में नागरिक कारों को बनाया निशाना

कायर पाकिस्तान ने नागरिकों को फिर बनाया निशाना, भारतीय सेना ने 50 ड्रोन मार गिराए

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान द्वारा नागरिक इलाकों को निशाना बनाए जाने के बाद क्षतिग्रस्त दीवारें, टूटी खिड़कियां और ज़मीन पर पड़ा मलबा

पाकिस्तानी सेना ने बारामुला में की भारी गोलाबारी, उरी में एक महिला की मौत

बलूच लिबरेशन आर्मी के लड़ाके (फाइल चित्र)

पाकिस्तान में भड़का विद्रोह, पाकिस्तानी सेना पर कई हमले, बलूचिस्तान ने मांगी आजादी, कहा – भारत में हो बलूच दूतावास

“भय बिनु होइ न प्रीति “: पाकिस्तान की अब आएगी शामत, भारतीय सेना देगी बलपूर्वक जवाब, Video जारी

खेत हरे, खलिहान भरे

पाकिस्तान ने उरी में नागरिक कारों को बनाया निशाना

कायर पाकिस्तान ने नागरिकों को फिर बनाया निशाना, भारतीय सेना ने 50 ड्रोन मार गिराए

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies