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उनकी अनकही बतियांअपनी सासू मां श्रीमती मनोरमा गोस्वामी के साथ शुचिता गोस्वामी-शुचिता गोस्वामीमेरे विचार से बाईस साल की उम्र विवाह जैसे पवित्र और जिम्मेदारी पूर्ण रिश्ते के लिए बहुत कम होती है। इस उम्र में जब मेरा विवाह हुआ तब मैं विवाह से जुड़ें कई तौर-तरीकों में अनजान थी। भाई-बहनों में सबसे बड़ी होने के कारण मुझे अपने दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ, माता-पिता सभी का स्नेह-दुलार कुछ ज्यादा ही मिला। संयुक्त परिवार होेने के कारण दिन भर घर में चहल-पहल रहती थी, कभी अकेलापन महसूस नहीं हुआ। शादी के बाद जब इस घर में आयी तो मैंने ऐसा महसूस किया कि सासू मां (श्रीमती मनोरमा गोस्वामी) बहुत कम बोलती हैं, “अंतर्मुखी हैं। मुझसे बात बहुत कम करतीं। यह देखकर मुझे बहुत अजीब- सा लगने लगा। मैं अपने पापा से इस बारे में बात करती तो वे यही समझाते कि सभी का स्वभाव एक जैसा नहीं होता। धीरे-धीरे मैं उनकी बात समझ गयी। मुझमें और मम्मी जी (सासू मां) में आपसी समझ पैदा हो गई। वे स्वभावानुसार कम बोलतीं और मैं कम सुनकर उनकी हर बात समझने लगी। अचानक एक दिन मुझे अपने पापा की असमय मृत्यु से ऐसा धक्का लगा कि मैं बहुत परेशान हो गई। मुझे अपनी मम्मी और अपने से छोटे भाई-बहनों की काफी चिंता रहने लगी। ऐसे समय में मम्मी जी काफी समय तक मेरे पास बैठी रहतीं और अपनी बातों से मेरा मन बंटाने की कोशिश करतीं। मुझे उनकी कही हुई बातों से बहुत राहत मिलती। उनका इतना बोलना ही काफी लगता। आज भी वे मुझसे कई बार कह चुकी हैं कि अपनी मम्मी को कुछ दिनों के लिए यहां हम सबके पास बुला लो, उनका मन भी बदल जाएगा। अब मैं समझ सकती हूं कि उन्हें हमारी कितनी चिंता है। सच ही है कि कुछ लोग कम बोलकर भी बहुत कुछ कह देते हैं।बी-166, सूर्य नगर, गाजियाबाद, उ.प्र.- 2010110 0 0मेरी सास, मेरी मां, मेरी बहू, मेरी बेटीजब भी सास- बहू की चर्चा होती है तो लगता है इन सम्बंधों में सिर्फ 36 का आंकड़ा है। सास द्वारा बहू को सताने, उसे दहेज के लिए जला डालने के प्रसंग एक टीस पैदा करते हैं। लेकिन सास-बहू सम्बंधों का एक यही पहलू नहीं है। हमारे बीच में ही ऐसी सासें भी हैं, जिन्होंने अपनी बहू को मां से भी बढ़कर स्नेह दिया, उसे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। और फिर पराये घर से आयी बेटी ने भी उनके लाड़-दुलार को आंचल में समेट सास को अपनी मां से बढ़कर मान दिया। क्या आपकी सास ऐसी ही ममतामयी हैं? क्या आपकी बहू सचमुच आपकी आंख का तारा है? पारिवारिक जीवन मूल्यों के ऐसे अनूठे उदाहरण प्रस्तुत करने वाले प्रसंग हमें 250 शब्दों में लिख भेजिए। अपना नाम और पता स्पष्ट शब्दों में लिखें। साथ में चित्र भी भेजें। प्रकाशनार्थ चुने गए श्रेष्ठ प्रसंग के लिए 200 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।21
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