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सड़कों वाले बाबा
पंजाब में पठानकोट शहर के समीप एक कस्बा है मुकेरियां। इस कस्बे के धनोआ गांव से लेकर हरकीपतन इलाके तक 160 कि.मी. लम्बी नहर बहती थी। अति प्राचीन यह नहर कालान्तर में लोगों की लापरवाही और कारखानों की गन्दगी से अपनी पहचान खो बैठी थी। लम्बी-लम्बी झाड़ियों और घासों से पट जाने के कारण पता भी नहीं चलता था कि यहां कभी कोई नहर भी थी। पर सुखद आश्चर्य है कि यह नहर पुन: बहने लगी है और लोगों को पीने और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करा रही है। इस नहर को पुन: बहाने का श्रेय एक संत बाबा बलबीर सिंह को जाता है। उनके प्रयासों से उनके शिष्यों, छात्रों एवं स्थानीय लोगों ने श्रमदान से न केवल उस नहर की सफाई की, बल्कि नहर के किनारे-किनारे 100 कि.मी. लम्बी कच्ची सड़क भी बना दी। इसके अलावा 5 स्थानों पर पक्के घाट बनाए गए। इन कार्यों के पूरा होने के बाद नहर में तरकियां बांध से पानी छोड़ा गया। यह पानी स्थानीय लोगों के लिए अमृतधारा से कम नहीं है, क्योंकि इससे स्थानीय निवासियों के जीवन में काफी बदलाव आया है। इन दिनों बाबा की अगुवाई में नहर के दोनों किनारों पर वृक्षारोपण का कार्य तेजी से चल रहा है। इन कार्यों के लिए एक अप्रवासी भारतीय ने 20 लाख रुपए की आर्थिक मदद दी है। इन्हीं बाबा ने कुछ समय पहले कपूरथला जिले में कई सड़कों का निर्माण करवाया था। इसलिए वे “सड़कों वाले बाबा” के नाम से विख्यात थे। अब वे “वीणा वाले बाबा” के नाम से प्रसिद्ध हैं।
-राजेन्द्र शुक्ल
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