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द जम्मू से अरफात खानपिछले 14 वर्षों से जिहाद के साये में जी रहे कश्मीर के स्थानीय लोगों के लिए अब अपनी आजादी और जिहाद के नारे दम तोड़ने लगे हैं। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है घाटी में आम जनता पर हुर्रियत कांफ्रेंस और उसके नेताओं का फीका पड़ता असर। कश्मीर का युवा वर्ग जो कभी 1989 में उठी उग्रवाद की लहर के साथ बहता दिखता था, आज हिन्दुस्थान और शांति के पक्ष में अपनी आवाज बुलन्द करता नजर आ रहा है। आम कश्मीरी जनता का मानना है कि इन नेताओं ने अपने फायदों के लिए स्थानीय जनता को गुमराह किया है।कश्मीर वि·श्वविद्यालय में भौतिक शास्त्र में स्नातकोत्तर के छात्र जावेद हुसैन ने हुर्रियत नेताओं को कोसते हुए कहा कि आजादी का नारा देने वाले इन नेताओं ने यहां की गरीब और भोली-भाली जनता को मजहब के नाम पर उकसाकर पूरे कश्मीर को आतंकवाद की आग में झोंक दिया। एक अन्य छात्र इबरार का मानना है कि हिन्दुस्थान में इस्लाम और मुसलमानों को किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है। खतरा है तो इन जिहादियों से, जिन्होंने अब तक न जाने कितनी कोख उजाड़ दीं और कितने सुहाग मिटा दिए। कश्मीर विश्वविद्यालय के छात्र मोहसिन ने कहा कि कश्मीर में आजादी और इस्लाम का शोर मचाकर लोगों को गुमराह करने वाले हुर्रियत कांफ्रेंस के नेता केवल अपने हित साधने में लगे हुए हैं।कश्मीर के वरिष्ठ नागरिकों के मन में भी जिहादियों का साथ देने की गलती का अहसास साफ महसूस किया जा सकता है। नोगाम निवासी 79 वर्षीय गुलाम मोहम्मद कहते हैं कि पिछले 14 वर्षों में कश्मीर में उग्रवाद के नतीजों से यहां की जनता की आंखें खुल गई हैं। वे मानते हैं कि भारत जैसी आजादी अब हमें कभी नहीं मिल सकती।दो महीने पहले डोडा और पुंछ में अलगाववादी नेता शब्बीर शाह की रैलियों में गिनती के लोग शामिल हुए थे। इस रैली का हवाला देते हुए जावेद मलिक कहते हैं कि अब लोग उग्रवादी संगठनों के इन नेताओं के कुत्सित इरादे जान चुके हैं। यही कारण है कि इनके भाषणों को सुनने में अब किसी की रुचि नहीं रही।इन सभी लोगों ने सेना के प्रयासों की सराहना की। उधर पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने पूर्व हुर्रियत अध्यक्ष सैयद अली शाह जीलानी पर पाकिस्तान के नाम पर हजारों कश्मीरी परिवारों को बरबाद करने का आरोप लगाया।जीलानी पर कश्मीरी जनता को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए श्री लोन ने कहा कि जहां पिछले 14 वर्षों से जिहाद के नाम पर हजारों कश्मीरी युवकों को आतंकवादी प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेजा जा रहा है, वहीं जीलानी का एक बेटा पाकिस्तान के एक प्रसिद्ध चिकित्सा महाविद्यालय में अध्ययनरत है और दूसरा बेटा वन-विभाग में नियुक्त होने का प्रयत्न कर रहा है। अगर जिहाद इतना ही अच्छा है तो ये अपने बेटों को जिहादी क्यों नहीं बनाते?27
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