कही-अनकही माक्र्सवादी जीन्स की फितरत
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

कही-अनकही माक्र्सवादी जीन्स की फितरत

by
Feb 11, 2003, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 11 Feb 2003 00:00:00

द दीनानाथ मिश्रअपने जन्मकाल से ही माक्र्सवादी खूनी संघर्ष में विश्वास करते रहे हैं। खून का रंग लाल है, माक्र्सवादी पार्टी के झंडे का रंग भी लाल है। अभी पिछले दिनों आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू मौत के मुंह से निकलकर बाल-बाल बच गए। कहानी ताजातरीन है, मगर पुरानी भी है। रूस, चीन सहित दर्जनों देशों में उन्होंने खूनी क्रांति की। करोड़ों लोगों का दुनिया से विदाई का समारोह किया। साठ के दशक में पश्चिम बंगाल के नक्सलवाड़ी में माक्र्सवादी पार्टी के गर्भ से नक्सलवाद पैदा हुआ। खूनी क्रांति का सपना लेकर वह आगे बढ़ने लगे। संयोग से विश्वविद्यालयों में माक्र्स का भेड़ियाधसान फैशन था। खूनी क्रांति होती रही। बौद्धिक समर्थन मिलता रहा। बड़े किसान मरते रहे। संयोग से कांग्रेस जीत गई। उसके मुख्यमंत्री सिद्धार्थशंकर रे इस खूनी क्रांति के उत्सव को बर्दाश्त न कर सके। सो पुलिस ने खून का जवाब खून से देना चालू किया। नक्सलियों की पूरी फौज भाग खड़ी हुई। बिहार से लेकर आंध्र तक फैल गई। बहुत से मीडिया प्रदेशों में घुसपैठ करने में सफल हुए। वहां वह कलम के क्रांतिकारी गुरिल्ला पत्रकार बन गए। समाज में फैली गरीबी और अन्यायपूर्ण व्यवस्था का उन्होंने भरपूर राजनीतिक शोषण किया।आंध्र के तेलंगाना क्षेत्र की गरीबी मशहूर है। तेलगांना में पचास के दशक में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने खूनी क्रांति का बिगुल बजा दिया था। खून-खराबा शुरू हो गया। लेकिन सरकार ने आजादी के उषाकाल में ही उसे दबा दिया। अस्सी के दशक के शुरू में जब भागे हुए नक्सली वहां पहुंचे तो उन्हें ठौर मिल गई। तेलंगाना के पराजित योद्धाओं ने उनका साथ दिया। आज के पीपुल्स वार ग्रुप के क्रांतिकारी उन्हीं के वंशज हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी वाले तो उनके सगे चाचा लगते हैं। बिहार में गए नक्सलवादियों की कई नस्लों ने अपनी पार्टियां बना लीं। इन माक्र्सवादी खानदानों को कहीं माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर के नाम से जाना जाता है तो कहीं पीपुल्स वार के नाम से। मगर हैं सबके सब एक ही माक्र्सवादी थैली के चट्टे-बट्टे।किसी ने अपने नाम के आगे मार्कसिस्ट और लेनिनिस्ट लगा रखा है तो किसी ने माओवादी। सबके सब आतंक में आस्था रखते हैं। जनहत्या आंदोलन भी चलाते हैं। अपने प्रभाव क्षेत्र में उन्हीं गरीबों से टैक्स वसूल करते हैं, उनकी कंगाली में आटा गीला करते हैं। आई.एस.आई. और सिमी के साथ उनका हथियारों के आदान-प्रदान का रिश्ता है। ये इनके सगे हथियार भाई हैं। जब पुलिस का दबाव बढ़ता है तो ये भूमिगत हो जाते हैं। सभी तरह के आतंकवादियों की एक फितरत समान है। वह किसी भी घर में जाकर मान न मान मैं तेरा मेहमान, बन जाते हैं: ऐसे मेहमान आज जम्मू-कश्मीर में भी पाए जाते हैं।पंजाब आंदोलन के समय पंजाब में भी पाए जाते थे। जब हाथ में ए.के.-56 हो तो किसकी मजाल है कि वह मेहमान न बनाए? मुझे ऐसी एक मेहमान-कथा बिहार के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताई थी। सूरज डूबते ही ऐसा एक क्रांतिकारी गिरोह एक गरीब वंचित के घर पहुंच गया। फरमान जारी किया कि दो-तीन मुर्गियां काटकर खाना बनाओ। कांपते हुए उन्होंने खाना बनाया। खाने के साथ पीना भी हुआ। पीने के बाद सोने की बारी आई। इन्हें साथ सोने के लिए भी किसी की जरूरत थी। ऐसी स्थिति में सब समझते हैं कि इनकार और मौत में फासला नहीं होगा। खून का घूंट पीकर उनकी यह मांग भी पूरी की गई। पंजाब के आतंकवादी दौर की ऐसी हजारों घटनाएं पुलिस की फाइलों में दर्ज हैं। जम्मू-कश्मीर में भी ऐसा होता है। नेपाल के माओवादी भी इसके लिए मशहूर हैं। बल्कि वहां तो वह जबरन गरीब घरों की नाबालिग लड़कियों का अपहरण कर उन्हें हथियारों का प्रशिक्षण देते हैं और दोहरा शोषण करते हैं। लिट्टे का भी यही चलन है।अलबत्ता यह जरूर मानना पड़ेगा कि माक्र्सवादी पार्टी ऐसा नहीं करती। वह केवल सौ-पचास लोगों को मार डालती है। तृणमूल कांग्रेस के नेता कुछ घटनाएं बलात्कार-शिक्षा देने की भी बताते हैं। ये माक्र्स के खानदानी जीन्स का असर है। चीन के स्वर्गीय माक्र्सवादी नेता माओ ने कई वर्षों तक सांस्कृतिक क्रांति की थी। उसमें बीसियों लाख लोग मार दिए गए थे। सो ममता बनर्जी को हजार-दो हजार लोगों के मार डाले जाने का गिला- शिकवा नहीं करना चाहिए। और न ही संघ को दो-चार सौ कार्यकर्ताओं की हत्या को जुल्म समझना चाहिए। यह तो माक्र्सवादी जीन्स की फितरत है। द11

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies