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कही-अनकही

by
Jun 1, 2002, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 01 Jun 2002 00:00:00

आतंकवाद का बीमादीनानाथ मिश्रअमरीका के पिछले राष्ट्रपति बिल Ïक्लटन जो करते थे, वह कहते नहीं थे। और अमरीका के वर्तमान राष्ट्रपति जॉर्ज बुश जो कहते हैं, वह करते नहीं है। बुश महोदय ने तालिबान और ओसामा बिन लादेन के खिलाफ हमला करते समय समय बार-बार कहा था-जब तक दुनिया भर से आतंकवाद समाप्त नहीं हो जाता, तब तक उसके नेतृत्व में जो हमला शुरू हुआ है, वह जारी रहेगा। कहां-कहां जारी रहेगा? जहां-जहां आतंकवाद होगा। तो क्या जम्मू-कश्मीर में भी? हां, वहां भी। अब आतंकवाद के खिलाफ अमरीकी लड़ाई किस पटरी पर है? कम से कम उस पटरी पर तो नहीं, जिस पटरी पर से तालिबानों के खिलाफ सुबह से शाम तक बमबारी हो रही थी।जब भारतीय संसद पर आत्मघाती आतंकवादियों का हमला हुआ तब अमरीकी राष्ट्रपति ने बड़ा चमत्कारी सुझाव दिया। यह कि इस कांड की भारत और पाकिस्तान मिलकर संयुक्त जांच करें। क्या नायाब सुझाव है। ऐसा ही एक और सुझाव उनकी तरफ से आया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत और पाकिस्तान मिलकर लड़ें, अच्छा सुझाव है। ऐसा अच्छा सुझाव हम भी दे सकते थे, मगर चूक गए। विश्व व्यापार केन्द्र और पेंटागन पर हुए हमले के बाद हम कह सकते थे कि अमरीका तालिबान और अलकायदा से मिलकर ओसामा बिन लादेन और मुल्ला उमर के खिलाफ जंग करे।लगता है कि गणित ज्ञान और भू-गोल ज्ञान के बारे में औसत अमरीकी की श्रेष्ठता से राष्ट्रपति होने के बावजूद बुश भी अछूते नहीं हैं। एक बार मेरे एक दोस्त लॉस वेगास में एक बड़ी दुकान पर खरीददारी करने गए थे। खरीदने के बाद हिसाब-किताब और भुगतान के लिए काउन्टर पर आए। अचानक बिजली चली गई। कम्प्यूटर बंद। काउन्टर पर बैठी लड़की पसीने-पसीने हो रही थी। मेरे मित्र ने समस्या पूछी और तुरन्त हल कर दी। आधे दर्जन सामानों की कीमत जबानी जोड़ दी। वह लड़की हैरान थी। भारत में गणित ज्ञान कम्प्यूटर का मोहताज नहीं है। अमरीकियों की बात दूसरी है।जॉर्ज बुश जब राष्ट्रपति बनने के लिए चुनाव अभियान कर रहे थे तब भारत के प्रधानमंत्री का नाम तक नहीं जानते थे। पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह रहस्य खुल गया। हमारे यहां तो अंग्रेजी पढ़ा-लिखा हर आदमी न्यूयार्क, वाशिंग्टन, न्यूजर्सी, लॉस वेगास, लॉस एंजिल्स से लेकर फ्लोरिडा तक राज्यों के नाम गिना सकता है। वह अमरीका के दस राजनेताओं और हॉलीवुड के बीस अभिनेता-अभिनेत्रियों के नाम फर्राटे से बता सकता है। बता ही नहीं सकता, अगर कोई सामने पड़ जाए तो पहचान भी सकता है। और हमारे प्रधानमंत्री का नाम जनाब बुश पद की शपथ लेने के बाद जान सके। अमरीका ही नहीं, हम तो दुनिया के सभी अमीर देशों की जानकारी रखते हैं। गरीब देशों की जानकारी रखने का क्या फायदा?सो… जॉर्ज बुश भारत के प्रधानमंत्री को नहीं जानते थे, यह बात समझ में आती है। मगर हम अमरीका को जानते हैं, कोई ढोंग करे तो करता रहे। मैं बुरा तो नहीं मानता। बुरा तब मानता हूं जब ढोंगी संत होने का दावा करता है। पिछले महीनों में अमरीका न्याय युद्ध लड़ने का दावा करता रहा है। आतंकवाद के खिलाफ युद्ध, न्याय के लिए। अमरीका के नेतृत्व में ही कुवैत का युद्ध लड़ा गया था। वियतनाम व कोरिया की पुरानी बात मैं याद न करूं तो भी पिछले दो अमरीकी युद्धों की निगाहें कहीं और थी, निशाना कहीं और। यह सारी लड़ाई तेल की है। आतंकवाद का बड़ा विश्वसनीय कवच मिल गया, सो युद्ध लड़ लिया। कहावत है कि चोर नहीं, चोर की मां को मारो। अमरीका इस कहावत में वि·श्वास नहीं करता है। वह मां का तो साथ देता है ताकि भविष्य में और चोर पैदा हो सकें। पाकिस्तान और आई.एस.आई. को साथ लेकर आतंकवाद से लड़ना आतंकवाद का जीवन बीमा करना है। आगे की यात्रा के लिए आतंकवाद का आरक्षण है।7

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