कही-अनकही
May 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

कही-अनकही

by
Sep 9, 2001, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 09 Sep 2001 00:00:00

अदालत आदेश दे तो…दीनानाथ मिश्रबरसात में जैसे जगह-जगह घास उग आती है, अंधड़ में जैसे यहां-वहां कचरा इकट्ठा हो जाता है, चुनाव में जैसे रंग-बिरंगी टोलियां नारे फहराने लगती हैं, हड़तालें भी वैसे ही एक प्राकृतिक हलचल है। मूड आ जाए तो हड़ताल। साल छह महीने शांति रही तो अजीब सा लगने लगता है। निकम्मापन छाने लगता है। हड़ताल से सक्रियता आती है। जैसे कुछ लोग बिना तिथि बताए टपक पड़ते हैं, वैसे ही हड़ताल भी कई बार अचानक हो जाती है। बिना तिथि बताए आने वाले को अतिथि कहते हैं। ऐसी हड़तालों को भी अतिथि की तरह देखना चाहिए। अतिथियों का सम्मान करने की लम्बी परम्परा है। हड़ताल में भी अतिथि की तरह अनिश्चितकाल तक बने रहने की प्रवृति होती है। जैसे खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है, वैसे ही वाहन हड़तालियों को देखकर बाकी समूहों में भी हड़ताली रंग मिलाने के लिए जी मचलता है।इन दिनों अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हड़ताली मौसम चल रहा है। अस्पतालों में साल में दो-चार बार हड़ताल न हो तो यूनियन और उनके सदस्यों को नाकारा और बेजान समझा जाता है, सो अपनी इज्जत की खातिर लोग हड़ताल पर चले जाते हैं। लोगों को असुविधा होती है। रोगी सबसे ज्यादा परेशान होते हैं। कोई-कोई चल भी बसते हैं। लेकिन इस बार प्रतिष्ठित अस्पताल के हड़ताल के समय बड़ी अच्छी बात हुई। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने आप इस मामले को उठा लिया और संस्थान व सरकार को आदेश दे डाला कि हड़ताल को 36 घंटे में खत्म करा डालिए। मुझे अदालतों की यही बात बड़ी अच्छी लगती है। हर हड़ताल का एक व्याकरण होता है। उसकी एक उम्र होती है। उम्र के रहते वह खत्म नहीं हो सकती। मगर अदालत ने आदेश फरमाया है तो हड़ताल को 36 घंटे में खत्म होना ही पड़ेगा।अपने आदेश में अदालत ने कहा है कि जरूरत पड़े तो अनिवार्य सेवा का भी इस्तेमाल किया जाए। अदालत ने सोचा होगा कि हो सकता है सरकार को इस कानून की मौजूदगी का स्मरण न हो। सो उसने याद दिला दिया। अदालत का हुक्म है, मानने के अलावा कोई चारा नहीं है। हमने कई बार देखा है अदालत स्थगन आदेश देती है और स्थगन लागू हो जाता है। कोई अवैध निर्माण का तोड़ा जा रहा हो, स्थगन आदेश आते ही तोड़ना रुक जाता है। कई अदालतों में स्थगन आदेश प्राप्त करना बाएं हाथ का खेल होता है। कोई चाहे तो डिलीवरी के केस में भी स्थगन आदेश ले सकता है। इस हड़ताल को खत्म करने के लिए 36 घंटे की मोहलत दी गई है। समयाबद्ध फैसले से मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई है। उम्मीद बंधी है कि कभी कोई बड़ी अदालत एक साल में बांध बनाने का काम खत्म करने या दो साल में पूर्ण साक्षरता प्राप्त करने अथवा 3 साल में सबको रोजगार मुहैया कराने या फिर चार साल में सबकी गरीबी दूर करने का आदेश भी दे सकती है।कितना अच्छा होता पहले ही हफ्ते में बाल्को हड़ताल को खत्म करने का ऐसा ही आदेश कोई सम्बंधित बड़ी अदालत दे डालती। ऐसा होने पर वह हड़ताल कई महीने चलने के बजाए पहले हफ्ते में ही खत्म हो जाती। वैसे हड़ताल से निपटने का काम सरकार का है। लेकिन अनिवार्य सेवा होने के कारण अस्पताल की हड़ताल को 36 घंटे की मोहलत दे दी। ऐसा करते हुए अदालत ने अनिवार्य सेवाओं के मामले में हड़ताल खत्म करने का काम एक अर्थ में अपने जिम्मे ले लिया। सरकारें तो सुस्त होती ही हैं। जनता की तकलीफों की कोई चिंता नहीं करतीं। अदालतों को ऐसे मामलों की कोताही कतई बर्दाश्त नहीं। अब अदालत ने ऐसे फैसले देने चालू किए हैं तो मैं उम्मीद कर सकता हूं कि विभिन्न अदालतों में लम्बित पड़े ढाई करोड़ मुकदमों के बारे में भी कोई न्यायाधीश सामने आएंगे और आदेश दे देंगे कि इन ढाई करोड़ मुकदमों को अदालतें एक साल के अंदर निपटा दें। अदालत अपनी बिरादरी को आदेश देगी तो उस आदेश का पालन जरूर होगा। और साल भर बाद पता चलेगा कि अब कोई मुकदमा लम्बित नहीं है। ठीक वैसे ही जैसे छत्तीसगढ़ के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में हड़ताल का नामोनिशान नहीं होगा।12

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ऑपरेशन सिंदूर के बाद असम में कड़ा एक्शन : अब तक 53 पाकिस्तान समर्थक गिरफ्तार, देशद्रोहियों की पहचान जारी…

jammu kashmir SIA raids in terror funding case

कश्मीर में SIA का एक्शन : पाकिस्तान से जुड़े स्लीपर सेल मॉड्यूल का भंडाफोड़, कई जिलों में छापेमारी

बागेश्वर बाबा (धीरेंद्र शास्त्री)

पाकिस्तान बिगड़ैल औलाद, जिसे सुधारा नहीं जा सकता : पंडित धीरेंद्र शास्त्री

शतरंज खेलना हराम है… : तालिबान ने जारी किया फतवा, अफगानिस्तान में लगा प्रतिबंध

चित्र प्रतीकात्मक नहीं है

पाकिस्तान पर बलूचों का कहर : दौड़ा-दौड़ाकर मारे सैनिक, छीने हथियार, आत्मघाती धमाके में 2 अफसर भी ढेर

प्रतीकात्मक चित्र

पाकिस्तान में बड़ा हमला: पेशावर में आत्मघाती विस्फोट, बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सैनिकों के हथियार छीने

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ऑपरेशन सिंदूर के बाद असम में कड़ा एक्शन : अब तक 53 पाकिस्तान समर्थक गिरफ्तार, देशद्रोहियों की पहचान जारी…

jammu kashmir SIA raids in terror funding case

कश्मीर में SIA का एक्शन : पाकिस्तान से जुड़े स्लीपर सेल मॉड्यूल का भंडाफोड़, कई जिलों में छापेमारी

बागेश्वर बाबा (धीरेंद्र शास्त्री)

पाकिस्तान बिगड़ैल औलाद, जिसे सुधारा नहीं जा सकता : पंडित धीरेंद्र शास्त्री

शतरंज खेलना हराम है… : तालिबान ने जारी किया फतवा, अफगानिस्तान में लगा प्रतिबंध

चित्र प्रतीकात्मक नहीं है

पाकिस्तान पर बलूचों का कहर : दौड़ा-दौड़ाकर मारे सैनिक, छीने हथियार, आत्मघाती धमाके में 2 अफसर भी ढेर

प्रतीकात्मक चित्र

पाकिस्तान में बड़ा हमला: पेशावर में आत्मघाती विस्फोट, बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सैनिकों के हथियार छीने

स्वामी विवेकानंद

इंदौर में स्वामी विवेकानंद की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी स्थापित, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किया भूमिपूजन

भारत की सख्त चेतावनी, संघर्ष विराम तोड़ा तो देंगे कड़ा जवाब, ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के 3 एयर डिफेंस सिस्टम ध्वस्त

Operation sindoor

थल सेनाध्यक्ष ने शीर्ष सैन्य कमांडरों के साथ पश्चिमी सीमाओं की मौजूदा सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

राष्ट्र हित में प्रसारित हो संवाद : मुकुल कानितकर

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies