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देहदानियों ने लिखी वसीयत

by
Sep 9, 2001, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 09 Sep 2001 00:00:00

यंूतो आज हम चिकित्सा क्षेत्र में अनेकों उपलब्धियां प्राप्त कर चुके हैं। बहुत सारी बीमारियों को जड़ से समाप्त करने में हमने सफलता भी प्राप्त कर ली है, फिर भी चिकित्सा क्षेत्र में अनेक समस्याएं विद्यमान हैं। देश को एक कुशल चिकित्सक मिले, इसके लिए आवश्यक है कि चिकित्सा महाविद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को अध्ययन से सम्बंधी सभी सुविधाएं प्राप्त हों। सरकार द्वारा आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने के बावजूद कुछ समस्याएं ऐसी हैं, जिनका समाधान सरकारी प्रयासों से सम्भव नहीं है। उसके लिए आवश्यक है समाज चेतना, समाज का सहयोग। इन्हीं मूलभूत समस्याओं में से एक है मानव-शरीर की अनुपब्धता। उल्लेखनीय है कि चिकित्सा महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों के लिए मृत मानव-देह की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। किन्तु इन महाविद्यालयों को मानव-देह नहीं मिल पाती हैं। यही कारण है कि भारत के लगभग 150 चिकित्सा महाविद्यालयों में छात्रों को जर्जर मानव कंकालों पर शोध करना पड़ता है। चिकित्सा जगत की इन्हीं समस्याओं को देखते हुए 1997 में दिल्ली में दधीचि देहदान समिति की स्थापना की गई थी। समिति का मुख्य उद्देश्य समाज में मानव कल्याण के लिए देहदान एवं अंगदान को व्यापक रूप से प्रचलित करना है। समिति के प्रयास से अब तक बीस नेत्रहीनों को दृष्टि मिल चुकी है। इसी तरह दो लोगों का ह्मदय प्रत्यारोपण भी किया गया है। यह मानव सहयोग से संभव हुआ, क्योंकि गुर्दे, ह्मदय, नेत्र, रक्त आदि का कोई कृत्रिम विकल्प नहीं है। और दधीचि देहदान समिति के कार्यकर्ताओं ने लोगों को प्रेरित किया कि मृत्योपरान्त उनकी देह किसी के काम आ सके। उल्लेखनीय है कि ऐसे व्यक्ति जिसकी दिमागी मृत्यु (दिमाग काम न कर रहा हो और शरीर के बाकी अंग काम कर रहे हों।) हुई हो, उसके गुर्दे, यकृत, ह्मदय आदि किसी को जीवनदान दे सकते हैं। जबकि किसी भी स्थिति में मृत्यु होने पर नेत्रदान किया जा सकता है। इसके लिए समिति ने एक प्रपत्र तैयार किया है। इच्छुक व्यक्ति इस प्रपत्र को भरकर समिति कार्यालय में जमा कर सकते हैं। इसके बाद समिति उसका स्वेच्छापत्र (वसीयत) तैयार करती है। स्वेच्छापत्र के लिए 2 गवाह आवश्यक हैं। इनमें से एक निकट सम्बंधी मां, पिता, पति, पत्नी का होना आवश्यक है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए समिति सामान्यत: तीन माह में एक कार्यक्रम आयोजित करती है। इसमें देहदान/अंगदान के लिए इच्छुक व्यक्ति को अपने गवाहों के साथ उपस्थित होना होता है।एक ऐसा ही कार्यक्रम गत 26 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ भाजपा नेता श्री जगदीश प्रसाद माथुर और श्री प्यारेलाल खण्डेलवाल सहित लगभग 50 लोगों ने देहदान/अंगदान के लिए प्रपत्र भरे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि देहदान/अंगदान मानव कल्याण के लिए आवश्यक हो गया है। इसलिए लोगों को इस कार्य के लिए प्रेरित करना चाहिए।कार्यक्रम में दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन, मौलाना आजाद मेडिकल कालेज की प्राध्यापिका डा. जे.एम. कौल, दधीचि देहदान समिति के अध्यक्ष और प्रख्यात अधिवक्ता श्री आलोक कुमार, लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के चिकित्सा अदीक्षक डा. भरत सिंह, राज्यसभा सदस्य डा. महेश चन्द्र शर्मा सहित अनेक गण्यमान्यजन उपस्थित थे।यह समिति अभी दिल्ली में ही कार्यरत है। समिति की देखरेख में अब तक 450 से अधिक लोगों ने देहादान/अंगदान के लिए प्रपत्र भरे हैं। अब तक 8 लोगों के अंगदान भी हो चुके हैं।दिल्ली में किसी देहदानी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल के मुख्य चिकित्साधिकारी या देहदान समिति को सूचित करना पड़ता है। मुख्य चिकित्साधिकारी को दूरभाष क्रमांक-3235152, 3236000 और 3234039 पर सूचना दे सकते हैं। जबकि देहदान समिति को दूरभाष सं.-2296623 पर सूचित कर सकते हैं। सूचना मिलने पर अस्पताल की ओर से गाड़ी भेजी जाती है, जिसका कोई शुल्क नहीं लिया जाता।विशेष जानकारी के लिए निम्न पते पर सम्पर्क किया जा सकता है-दधीचि देहदान समिति501 लॉयर्स चेम्बरवेस्टर्न विंग, तीस हजारी न्यायालयदिल्ली -110054दूरभाष-3941862, 3943161द अरुण कुमार सिंह16

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