पाञ्चजन्य पचास वर्ष पहले
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

पाञ्चजन्य पचास वर्ष पहले

by
Aug 7, 2001, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 07 Aug 2001 00:00:00

थ् वर्ष 7, अंक 2 थ् श्रावण कृष्ण 9, सं. 2009 वि., 3 अगस्त,1953 थ् मूल्य 3 आनेथ् सम्पादक : गिरीश चन्द्र मिश्रथ्प्रकाशक – श्री राधेश्याम कपूर, राष्ट्रधर्म कार्यालय, सदर बाजार, लखनऊ——————————————————————————–मैसूर सरकार में उलटफेर की आशंकाहनुमन्थैया और रेड्डी दलों में भयंकर उठापटक(निज प्रतिनिधि द्वारा)बंगलौर (वायुयान से)। मैसूर के मुख्यमंत्री श्री हुनमन्थैया की स्थिति राज्य मंत्रिमण्डल में दिनोंदिन कमजोर हो रही है और यदि दशा में कोई महत्वपूर्ण सुधार न हुआ तो शीघ्र ही उन्हें पदच्युत होना पड़ेगा। मैसूर के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री के.सी. रेड्डी के नेतृत्व में वर्तमान मुख्यमंत्री के विरोध का यह षड्यंत्र चल रहा है।श्री रेड्डी आजकल केन्द्र में उत्पादन मंत्री हैं। मैसूर प्रदेश कांग्रेस के प्रधान श्री वेरन्ना गौड तथा अन्य लोग, जो रेड्डी मंत्रिमण्डल में रह चुके हैं, अपने नेता के दिल्ली में रहते हुए भी खुद यहां रहकर सूत्र संचालन कर रहे हैं। 99 सदस्यों की विधानसभा में रेड्डी दल के इस समय 21 लोग हैं। वे उन 17 सदस्यों को भी अपनी ओर मिलाने की चेष्टा कर रहे हैं, जो हरिजनों के प्रश्न पर मुख्यमंत्री श्री हनुमन्थैया के विरुद्ध हो गए हैं। यह वार्ता अभी चल रही है। यदि यह सफल हो गई तो कांग्रेस दल के भीतर रेड्डी ग्रुप का बहुमत हो जाएगा।सम्पूर्ण प्रदेश में 7 प्रतिशत से भी कम बोलने वालों के सहारेउर्दू को क्षेत्रीय भाषा बनाने की मांग करना नितांत मूर्खतापूर्णउर्दू को उत्तर प्रदेश की क्षेत्रीय भाषा बनाने की मांग की जा रही है। यह मांग कितनी अव्यावहारिक, अलोकतांत्रिक और अराष्ट्रीय है यह निम्नलिखित आंकड़ों, प्रमाणों तथा तर्कों से सिद्ध है-किसी भी प्रदेश में किसी भाषा को क्षेत्रीय घोषित करने की मांग तभी की जा सकती है जब उस प्रदेश के निवासियों में उस भाषा को बोलने वालों का बहुमत हो। भारत के संविधान में हिन्दी को राष्ट्रभाषा मानकर सबसे वरिष्ठ स्थान दिया गया है। वह सब प्रकार से इस योग्य है भी। जो प्रांत हिन्दी भाषी हैं, उनमें तो यह राष्ट्रभाषा के अतिरिक्त मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा भी है। परन्तु जो प्रांत हिन्दी भाषी नहीं हैं उनके लिए शीघ्र से शीघ्र हिन्दी सीखना कर्तव्य के रूप में घोषित किया गया है। साथ ही संविधान ने उन प्रांत को अपनी भाषाओं को प्रादेशिक या क्षेत्रीय भाषाओं के रूप में चलाने और विकसित करने का अधिकार दिया है। मराठी, गुजराती, तमिल, तेलुगू, मलयालम, कन्नड़, बंगाली, पंजाबी आदि ऐसी ही भाषाएं हैं।थ् 75से 80 प्रतिशत अनुपात पर ही भारत में क्षेत्रीय भाषाएं बनी हैंथ् यह मांग जनता की नहीं, निहित स्वार्थों की मांग हैथ् साम्प्रदायिकता को उभाड़कर जनता से हस्ताक्षर लिए गए हैंथ् सरकार इसे कदापि स्वीकार न करेथ् हिन्दी ही उ.प्र. की राष्ट्रीय और क्षेत्रीय भाषा हैइस हस्ताक्षर आंदोलन की तुलना में देखा जाए तो उर्दू के लिए प्राप्त किए गए हस्ताक्षरों का काल पिछले हस्ताक्षर आंदोलन के काल का 24 गुना है, परन्तु देश का भाग उसका प्राय: 10वां ही है। इतने पर भी केवल 20 लाख हस्ताक्षर एकत्र कर पाना वस्तुत: आन्दोलन को बहुत नगण्य बना देता है। हस्ताक्षर आंदोलन में वर्षों का समय लगा देना उसकी महत्ता को घटा देता है। हस्ताक्षर आन्दोलन 4 या 6 मास से अधिक किसी भी दशा में नहीं चलना चाहिए। दो वर्ष तक चलना यह संदेह पैदा कर देता है कि उसमें अनुचित उपायों का प्रयोग किया गया है। ऐसे हस्ताक्षर संग्रहों को सरकार को बिल्कुल मान्यता नहीं देनी चाहिए। ये धोखाधड़ी के अतिरिक्त कुछ नहीं कहे जा सकते।तिब्बत में कम्युनिस्टों के विरुद्ध विद्रोहकलिम्पोंग। समाचार मिला है कि पूर्वी तिब्बत के खाम प्रांत ने कम्युनिस्ट चीनी सेनाओं के विरुद्ध विद्रोह कर दिया है। जनता और चीनी सेनाओं में युद्ध छिड़ गया है और लासा से सहायक सेनाएं भेजी जा रही हैं।खाम का प्रांत चीन-तिब्बत की सीमा पर स्थित है। यही वह प्रांत है, जिसके द्वारा चीनी सेनाओं ने तिब्बत पर कब्जा करना शुरू किया था। इस तरह खाम की स्थिति सामरिक दृष्टि से बड़ी महत्वपूर्ण है। यह प्रांत चीन से तिब्बत पहुंचने वाली सहायता को रोक सकता है। इस प्रांत के लोग तिब्बत में सबसे अधिक लड़ाकू हैं। इन्हीं से तिब्बती सेना का निर्माण हुआ था जिसे चीन ने बाद में भंग कर दिया। इन लोगों में उस अपमान की याद अभी ताजी है और ये चीनी सेनाओं से बदला लेने को उत्सुक हैं।10

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

बच्चों में अस्थमा बढ़ा सकते हैं ऊनी कंबल, अध्ययन में खुलासा

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies