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सांसद अपने खर्चे न बढ़ाएंनानाजी फिर एक बार खबरों में हैं। उन्होंने सभी सांसदों को एक पत्र लिखकर इस बात से असहमति व्यक्त की है कि उन्हें मासिक भत्ते की राशि 21,500 रुपए से बढ़ाकर 49,000 रुपए प्रतिमाह कर देनी चाहिए। इस सम्बंध में संसद के वर्तमान सत्र में एक विधेयक लाया जाना प्रस्तावित है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है, “हम सभी को अपने देश की आर्थिक स्थिति ज्ञात है। देश के दो-तिहाई से भी अधिक लोगों को दिन में दो समय का भोजन पाने के भी लाले पड़ रहे हैं। असंख्य बच्चे कुपोषण से पीड़ित हैं। केन्द्रीय तथा प्रादेशिक सरकारों की आर्थिक स्थिति चिन्ताजनक है। सरकारी कर्मचारी इस परेशानी की अनुभूति नहीं करते। इस हालत में भी वे अपने वेतन एवं भत्तों में वृद्धि चाहते हैं, अपनी मांगों पर अड़े रहते हैं। अन्ततोगत्वा, सरकारों को विवश होकर उनकी मांगों को मानना पड़ता है। फलस्वरूप, आर्थिक स्थिति और अधिक बिगड़ती है। यही सिलसिला औद्योगिक क्षेत्र में भी चल रहा है। उन्होंने यह भी अनुरोध किया है कि यदि यह विधेयक सदनों में लाया गया तो उसे कोई भी सांसद पारित न होने दे।इस सम्बंध में कुछ सांसदों का यह भी कहना है कि भारत में संसद सदस्यों को ईमानदारी से अपने नियत भत्तों में गुजारा करना असंभव है। लाखों मतदाताओं के निर्वाचन क्षेत्र से सम्पर्क रखना, प्रवास करना, चिट्ठी-पत्री करना तथा आने-जाने वालों के प्रति सौजन्य के व्यवहार में आजकल जो खर्च होता है उसे पुराने जमाने की दृष्टि से नहीं देखा जा सकता। अगर गरीबों की चिन्ता करनी है तो उसके लिए पूरी जीवन-शैली अलग ढंग से बदलने की जरूरत होगी। देखें, यह बहस क्या रंग लाती है।17
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