दिशादर्शन
May 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

दिशादर्शन

by
Apr 3, 2001, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 03 Apr 2001 00:00:00

कश्मीर-एक पेचीदा प्रश्न–मा.गो. वैद्यभारत सरकार ने कश्मीर-घाटी में संघर्ष विराम की अवधि तीन महीना बढ़ा दी है। निश्चित रूप से कश्मीर के घटनाचक्र का विवेचन और अध्ययन करने में राजनीतिक पंडितों ने कोई कसर तो छोड़ी नहीं होगी तथा सरकार भी स्थिति का आकलन करने में पूर्णतया सक्षम और समर्थ है ही। पर यह भी सच है कि इस आकलन का आधार समाचार पत्रों में छपने वाले समाचार ही होते हैं। हालांकि गत दो महीनों से समाचार पत्रों में छप रही घटनाएं संघर्ष विराम की अवधि को और बढ़ाने का समर्थन नहीं करतीं। पहलगाम में तीर्थ यात्रियों का हुआ नरसंहार न तो अपवादस्वरूप कहा जा सकता है न ही लाल किले पर हुई आतंकवादी कार्रवाई और महजूर नगर में सिखों के नरसंहार को घटनाओं की अंतिम कड़ी कहा जा सकता है। संघर्ष विराम के गत दो महीनों में कहीं भी नहीं लगा कि इन आतंकवादियों के दुस्साहस में किसी भी प्रकार की कमी आई। फिर भी सरकार ने यह कदम कुछ सोच-समझ कर ही उठाया होगा! यह भी संभव है कि सरकार को संघर्ष विराम के तीसरे महीने में कुछ अच्छे परिणामों की आशा हो!सरकारी घोषणा के पूर्व सेना प्रमुख पद्मनाभन द्वारा संघर्ष विराम की अवधि बढ़ाने के समर्थन में दिया गया वक्तव्य कुछ कौतूहलजन्य था। लेकिन सेना प्रमुख के वक्तव्य का कोई ठोस आधार अवश्य रहा होगा।संघर्ष विराम से कोई लाभ नहीं हुआ, यह कहना भी गलत होगा, क्योंकि नियंत्रण रेखा पर होने वाली गोलाबारी कुछ थम गई है। इसके अलावा पहले सभी आतंकवादी गुट जो हिंसाचार में लिप्त थे, कुछ ने तो अपनी कार्यवाही रोक दी है। जब सभी गुट मारकाट में गुंथे रहते हैं तो श्रेयप्राप्ति के लिए उनमें आपसी होड़ लग जाती है और कुछ महत्वाकांक्षी गुट आपस में भी उतनी ही क्रूरता और रौद्रता से टकराते हैं। इससे संघर्ष विराम का समर्थन करने वाले गुटों से उनकी वैमन्यस्यता बढ़ी है। इसे भी संघर्ष विराम की एक उपलब्धि समझा जा सकता है।वस्तुत: संघर्ष विराम तो सम्पूर्ण समस्या के हल के लिए उचित वातावरण का निर्माण करने का प्रयास मात्र है, समस्या का हल नहीं है। मुस्लिमबहुल जनसंख्या के आधार पर वर्तमान में भारत के अधीन जम्मू-कश्मीर राज्य या कम से कम कश्मीर घाटी, पुंछ, राजौरी, डोडा और कारगिल जिलों को पाकिस्तान को दिए जाने की मांग, समस्या का एक पहलू है। लेकिन प्रश्न तो यह है कि क्या यह प्रदेश पाकिस्तान में मिलने को राजी है?इस प्रदेश में 1952 से हो रहे चुनावों में भारत के साथ मिलने को मान्यता देने वाले पक्ष को सफलता मिली है, और उन्होंने भारत में अपने विलीनीकरण पर मोहर लगा दी है। अत: वह प्रदेश पाकिस्तान को सौंपने का प्रश्न ही नहीं उठता। लेकिन पाकिस्तान को भारत की उक्त दलील अमान्य है। उसका कहना है कि ये चुनाव निष्पक्ष नहीं थे। ये फिर से किसी स्वतंत्र राष्ट्र अथवा राष्ट्र संघ की पहल में कराए जाने चाहिए तथा जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए।लेकिन पाकिस्तान ने चुनाव जैसी शांतिपूर्ण प्रक्रिया के विरुद्ध आतंकवाद और हिंसाचार के सहारे ध्येयपूर्ति की नीति को अपनाया। यह नीति दो तरीकों से अभिव्यक्त हुई-एक, कश्मीर घाटी पूर्ण रूप से पाकिस्तान को मिल जाए और दूसरा, कश्मीर में स्वतंत्र राज्य का निर्माण हो। दोनों का परिणाम एक ही है, भारत से अलग होना। वर्तमान में हुर्रियत कान्फ्रेंस भी इसी नीति को अपना रहा है। एक गुट पाकिस्तान में विलय चाहता है तो दूसरा गुट आजादी मांग रहा है। अभी भारत के साथ निष्ठा प्रकट करने वाला एक तीसरा गुट भी है जो आजादी के सपने देख रहा है। नेशनल कांफ्रेंस की सरकार ने स्वायत्तता सम्बंधी जो प्रस्ताव पारित किया है, वह इसी आजादी की मांग की शुरुआत है। पाकिस्तान के वर्तमान सैनिक शासन में तो उनकी दाल नहीं गलेगी, इसकी पूरी जानकारी उन्हें है, फिर भी वे भारत में विलीन नहीं होना चाहते। 1953 के पूर्व की स्थिति बहाल करने की मांग का आशय यही है।कश्मीर की इस आंतरिक समस्या के सिवाय भारत-पाकिस्तान के बीच विवाद के और भी प्रश्न अभी विद्यमान हैं। कश्मीर की समस्या भारत-पाकिस्तान संघर्ष का कारण है या उसका परिणाम है, यह विवादग्रस्त विषय हो सकता है। मुझे लगता है कि कश्मीर की समस्या हल हो जाने के बाद भी भारत-पाकिस्तान का संघर्ष समाप्त नहीं होगा। किन्तु पश्चिमी राष्ट्र यह मानकर चल रहे हैं कि कश्मीर ही भारत-पाकिस्तान संघर्ष का मूल कारण है। यदि यह हल हो जाता है तो दोनों देशों के सम्बंध सुधरेंगे। थोड़ी देर के लिए यदि इसे मान भी लिया जाए तो, सवाल उस क्षेत्र का उठता है जो अभी भी पाकिस्तान के अधिकार में है। इसके लिए पश्चिमी देशों का कहना है कि नियंत्रण रेखा को ही अन्तरराष्ट्रीय सीमा रेखा मान लिया जाए तथा जिन प्रदेशों पर जिस देश का अधिकार है, उन्हें उन देशों का समझा जाए। वास्तव में शिमला समझौते में यही विचार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का था पर मियां भुट्टो ने उसे यह तर्क देकर अस्वीकार कर दिया था कि इससे पाकिस्तान में 14 वर्ष बाद आया प्रजातंत्र समाप्त हो जाएगा और पुन: तानाशाही आ जाएगी। 1972 में इंदिरा गांधी और उनके पश्चात आई समस्त कांग्रेस सरकारों की अनुकूलता इसी नीति पर रही हो, फिर भी पाकिस्तान को यह मान्य नहीं है, क्योंकि इसका अर्थ यही होगा कि कश्मीर का मुस्लिमबहुल प्रदेश भारत में ही रह जाएगा। वर्तमान भाजपा नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार का इस सम्बंध में क्या रवैया है, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। परन्तु पाकिस्तान को इस मामले में बता देना होगा कि कश्मीर का प्रश्न भारत का अन्दरूनी प्रश्न है जो वह अपनी जनता के साथ चर्चा कर सुलझाएगा।पाठकों को स्मरण होगा कि गत 24 दिसम्बर को जम्मू में हुई एक पत्रकार वार्ता में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में मैंने यही कहा था कि उपरोक्त मुद्दों पर भी दोनों देशों की सरकारें चर्चा कर सकती हैं और उन्हें स्वीकार करना या न करना उनके अधिकार क्षेत्र में है। पर कुछ पत्रकारों ने यह प्रकाशित कर दिया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा को अन्तरराष्ट्रीय सीमा मानने के लिए रा.स्व.संघ तैयार है, जो सत्य नहीं है। वास्तव में यह सरकार का अधिकार है।इसके साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल द्वारा 2 जुलाई,2000 को पारित प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया है कि मानवता के दृष्टिकोण से चर्चा करते समय कश्मीर घाटी के प्रश्न पर विचार के दौरान, समय भारत में विलीन होते हुए भी अधिक स्वायत्तता की मांग करने वाले प्रदेशों के साथ जम्मू और लद्दाख प्रदेश की जनता की राजकीय आकांक्षा का विचार किया जाना चाहिए तथा उन पर अधिक स्वतंत्रता की मांग को लादा नहीं जाना चाहिए। कश्मीर की समस्या कितनी जटिल है, इसका आभास तो विद्वानों को हो ही गया होगा।4

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Indian Army Operation in Shopian

शोपियां में सेना की बड़ी कार्रवाई: ऑपरेशन सिंदूर के बाद लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकी ढेर, मुठभेड़ जारी

पाकिस्तानी फौजी कमांडर जनरल असीम मुनीर

Operation Sindoor: जब भारत के हवाई हमलों से घबराकर जिन्ना के देश का फौजी कमांडर जा दुबका था बंकर में

बीएलए ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना पर हमले तेज़ कर दिए हैं। बलूच लोगों ने पाकिस्तानी झंडे की जगह अपने झंडे फहरा दिए हैं। (सोशल मीडिया/बीएलए)

ऑपरेशन सिंदूर : खंड-खंड पाकिस्तान!

PM Modi Adampur airbase visit

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पंजाब के आदमपुर एयरबेस पहुंचे पीएम मोदी, जवानों को सराहा

Punjab Khalistan police

खालिस्तानी आतंकियों को हथियार उपलब्ध करवाने वाला आतंकवादी हैरी गिरफ्तार

Donald trump want to promote Christian nationalism

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कतर से मिल रहा 3300 करोड़ का गिफ्ट, फिर अमेरिका में क्यों मचा है हड़कंप?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Indian Army Operation in Shopian

शोपियां में सेना की बड़ी कार्रवाई: ऑपरेशन सिंदूर के बाद लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकी ढेर, मुठभेड़ जारी

पाकिस्तानी फौजी कमांडर जनरल असीम मुनीर

Operation Sindoor: जब भारत के हवाई हमलों से घबराकर जिन्ना के देश का फौजी कमांडर जा दुबका था बंकर में

बीएलए ने बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना पर हमले तेज़ कर दिए हैं। बलूच लोगों ने पाकिस्तानी झंडे की जगह अपने झंडे फहरा दिए हैं। (सोशल मीडिया/बीएलए)

ऑपरेशन सिंदूर : खंड-खंड पाकिस्तान!

PM Modi Adampur airbase visit

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पंजाब के आदमपुर एयरबेस पहुंचे पीएम मोदी, जवानों को सराहा

Punjab Khalistan police

खालिस्तानी आतंकियों को हथियार उपलब्ध करवाने वाला आतंकवादी हैरी गिरफ्तार

Donald trump want to promote Christian nationalism

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कतर से मिल रहा 3300 करोड़ का गिफ्ट, फिर अमेरिका में क्यों मचा है हड़कंप?

CM Dhami Dol Ashram

मुख्यमंत्री धामी ने डोल आश्रम में श्री पीठम स्थापना महोत्सव में लिया हिस्सा, 1100 कन्याओं का किया पूजन

awami league ban in Bangladesh

बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग की गतिविधियां प्रतिबंधित: क्या इस्लामिक शासन की औपचारिक शुरुआत?

Posters in Pulvama for Pahalgam terrorist

पहलगाम आतंकी हमला: हमलावरों की सूचना देने पर 20 लाख रुपये का इनाम, पुलवामा में लगे पोस्टर

जैसलमेर में मार गिराया गया पाकिस्तानी ड्रोन

ऑपरेशन सिंदूर : थार का प्रबल प्रतिकार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies