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जनजातीय साधु शांतिकाली की हत्याअगरतला: त्रिपुरा के हिन्दू समाज में सर्वजन श्रद्धेय साधु साधक श्री शांतिकाली जो गुरुदेव शांतिकाली के नाम से जाने जाते थे, की ईसाई समर्थित आतंकवादी संगठन एन.एल.एफ.टी. के कतिपय सशस्त्र आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। गत 27 अगस्त को आतंकवादी उनके आश्रम में घुस आए और उन्हें गोलियों से भून डाला। चालीस वर्षीय गुरुदेव शांतिकाली का जनजातीय एवं बंगाली समाज में विशाल शिष्य परिवार है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष कर्णावती में वि·श्व हिन्दू परिषद् द्वारा आयोजित संत सम्मेलन में साधक शांतिकाली जी ने त्रिपुरा का प्रतिनिधित्व किया था।श्री शांतिकाली आश्रम, अगरतला से करीब 30 कि.मी. दूर त्रिपुरा राज्य स्वायत्त शासित जिला परिषद् के मुख्यालय खुमुलुंग के निकट स्थित है। लंबे समय से गुरुदेव शांतिकाली पर आतंकवादियों द्वारा पूजापाठ बंद कर ईसाई मत का प्रचार करने का दबाव डाला जा रहा था। किन्तु वे ईसाई मतावलम्बी आतंकवादियों की धमकियों की परवाह नहीं करते थे।गत 27 अगस्त की रात में साधक शांतिकाली आश्रम में होने वाले विशाल पूजा समारोह एवं उत्सव की व्यवस्था के बारे में अपने भक्तजनों के साथ बातचीत समाप्त कर रात 8 बजे के करीब आश्रम के प्रांगण में बैठे ही थे कि आतंकवादियों ने आश्रम में घुसकर उन पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। जब तक शिष्य गोलियों की आवाज सुनकर आते तब तक आतंकवादी भाग खड़े हुए। गुरुदेव शांतिकाली को तुरन्त अगरतला के गोविंद वल्लभ पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया। घटना की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में वि·श्व हिन्दू परिषद्, कल्याण आश्रम, सनातन धर्म परिषद् के कार्यकर्ता तथा गुरुजी के शिष्य अस्पताल में इकट्ठे हो गए। बुरी तरह से घायल गुरुदेव के घावों से हो रहे अधिक रक्तस्राव के कारण आपरेशन करना संभव नहीं हो सका और उन्होंने रात लगभग 11 बजे दम तोड़ दिया।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार गुरुदेव आखिरी दम तक होश में थे तथा उन्होंने शिष्यों से स्पष्ट शब्दों में कहा कि इसके पीछे ईसाइयों का हाथ है तथा इस घटना का उचित जवाब दें।– रामचन्द्र22
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