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– जगदीश शेट्टिगार, आर्थिक विशेषज्ञ
नयी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर अनेक चुनौतियों से जूझना होगा, इसमें सबसे बड़ी चुनौती होगी वर्तमान विश्व बाजार के अनुरूप, विकसित राष्ट्रों और विश्व व्यापार संगठन के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करना। भारत के एक परमाणु शक्ति के रूप में उभरने के बाद हमारी जिम्मेदारियां बढ़ी हैं, जिसका असर स्पष्ट तौर पर हमारी अर्थव्यवस्था पर दिखेगा। नई सरकार के समक्ष एक और महत्वपूर्ण चुनौती होगी तेल की कीमतों में वृद्धि। आज हमारी अर्थव्यवस्था की मांग है कि तेल की कीमतें बढ़ायी जाएं, लेकिन सरकार को यह वृद्धि करते समय खुद को काफी नियंत्रित रखना होगा। 30 नवम्बर से 4 दिसम्बर तक होने वाली वि·श्व व्यापार संगठन की बैठक के लिए भी भारत को अपने आपको तैयार करना होगा। अब बहुत कम समय बचा है। अत: इस सम्बंध में सरकार को आते ही निर्णय लेने होंगे। इसमें पेटेंट, बीमा क्षेत्र के निजीकरण आदि मुद्दे प्रमुख हैं। अगला बजट भी सरकार के लिए चुनौती होगा। भाजपा सरकार द्वारा प्रस्तुत अब तक के दोनों बजटों पर विपक्ष ने हायतौबा मचाई थी पर अब उसका फल सामने आ गया है। इसकी वजह से ही भारत की विकास दर 8 प्रतिशत तक पहुंच सकी है। आने वाले बजट में भारत सरकार को ऋण की अदायगी, खर्चे में कमी, बुनियादी ढांचे को व्यवस्थित करना- जिसमें पानी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि शामिल हैं, आदि मुद्दों पर विशेष ध्यान देना होगा। द प्रतिनिधि तलपट
मृत्यु का पर्याय बना एड्स बहुत तेजी से पूरी दुनिया में फैल रहा है। अफ्रीकी देश इससे सर्वाधिक प्रभावित हैं। एक आकलन के अनुसार संभावना है कि एड्सग्रस्त 225 लाख लोग केवल सहारा-अफ्रीकी क्षेत्र में हैं।
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