पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर पार्टी में एक बार फिर से कलह बढ़ने के आसार दिखाई दे रहे हैं। सिद्धू द्वारा अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ की जाने वाली टिप्पणियों, मनमर्जी के बयान देने व अपनी मर्जी चलाने के चलते पार्टी के नेताओं को आशंका है कि उनकी हरकतों से पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनाव में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। कई नेता सिद्धू की शिकायत लेकर दिल्ली दरबार पहुंचे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा अचानक कैबिनेट मंत्री परगट सिंह, अमरिंदर सिंह राजा वडि़ंग व भारत भूषण आशु के साथ दिल्ली पहुंचे हैं। बताया जा रहा है कि ये नेता दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात करने गए हैं, जो नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा सरकार के खिलाफ की जा रही टिप्पणियों से नाराज हैं और उनकी शिकायत राहुल गांधी से करना चाहते हैं। इनमें से सिद्धू के सबसे नजदीकी माने जाने वाले परगट सिंह भी शामिल हैं।
बता दें कि उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा व भारत भूषण आशु खुलकर सिद्धू की टिप्पणियों को लेकर नाराजगी भी जता चुके हैं। रंधावा ने तो सिद्धू को यहां तक कह दिया कि वह अपनी जुबान बंद रखें। रंधावा ने गत दिवस भी चंडीगढ़ में प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि सिद्धू, मजीठिया के खिलाफ केस के मामले में गलत बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने सिद्धू से ऐसी बयानबाजी न करने की नसीहत भी दी है। सूत्रों के मुताबिक, पंजाब चुनाव को देखते हुए ये नेता चिंतित हैं कि कहीं सिद्धू के बयानों के कारण पार्टी को नुकसान न उठाना पड़े। इसी के मद्देनजर वह राहुल गांधी से मिलकर सिद्धू की टिप्पणियों के बारे में उनसे बताना चाहते हैं। ये वही नेता हैं जिन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और नवजोत सिंह सिद्धू का खुलकर साथ दिया था। अब अचानक इन नेताओं का एकजुट होकर दिल्ली राहुल गांधी से मिलने जाना पार्टी के अंदर मचे घमासान को बताता है।
यहां यह बताना भी जरूरी है कि पंजाब में कांग्रेस तमाम प्रयासों के बाद भी नेताओं को एकजुट करने में असफल रही है। चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उम्मीद थी कि अब राज्य में कांग्रेस में मचा घमासान शांत होगा, लेकिन चन्नी के शपथ ग्रहण के 10 दिन बाद ही सिद्धू ने महाधिवक्ता व डीजीपी को पद से हटाने के लिए प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद चन्नी व सिद्धू बीच की केमिस्ट्री खराब हो गई। हालांकि बाद में एजी व डीजीपी को बदल दिया गया, लेकिन पार्टी के अंदर घमासान और तेज हो गया। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो चुनाव सिर पर आते ही कांग्रेस में उठा धुआं उसके राजनीतिक इरादों को खाक कर सकता है।
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