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पंजाब : न्याय की आड़ में भीड़तंत्र का अन्याय!

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Dec 27, 2021, 08:32 am IST
in भारत, पंजाब
कथित बेअदबी के आरोपी की हत्या के बाद अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर सिख संगठनों के कार्यकर्ता

कथित बेअदबी के आरोपी की हत्या के बाद अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के बाहर सिख संगठनों के कार्यकर्ता

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ऐसा लगता है कि कथित रूप से बेअदबी करने वालों को तालिबानी शैली में मारकर कुछ लोग इसके षड्यंत्र को सामने नहीं आने देना चाहते। यदि आरोपियों को तड़पा-तड़पाकर मारने के बजाय उन्हें पुलिस के हवाले किया जाता तो यह भी पता चलता कि उनके पीछे कौन लोग थे, वे ऐसा क्यों करना चाहते थे?

गत दिनों पंजाब में बेअदबी के आरोप में दो युवकों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। यह हत्या बताती है कि इसके पीछे जो लोग या तत्व हैं, वे सच को सामने नहीं आने देना चाहते। ऐसा नहीं होता तो वे लोग आरोपियों की हत्या नहीं करवाते। उन्हें कानून के हवाले करते और इसके पीछे के षड्यंत्र को सामने लाने पर जोर देते, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

क्या है कानून?

बेअदबी के मामलों को लेकर 2015 में एक कानून बनाया गया था, जिसमें आईपीसी में नई 295एए धारा जोड़कर गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान करने पर आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया था। 2018 में इसमें संशोधन भी किए गए और इसमें भी आजीवन कारावास की बात कही गई, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है।

बड़ी ही बर्बरता से की गई इन हत्या पर जिस तरह देश में चुप्पी रही, वह भी बहुत ही खतरनाक चलन है। अब किसी घटना को अंजाम देने वालों की जाति या मजहब देखकर प्रतिक्रिया देने का शर्मनाक चलन चल पड़ा है। इसी तरह किसी पीड़ित के बारे में भी हो रहा है। आज देश में यह चलन हो गया है कि पीड़ित किसी खास मजहब या जाति का है, तो नेता उसके लिए संसद से लेकर सड़क तक हंगामा करने लगते हैं। इस बार आश्चर्य तब हुआ जब पंजाब में दो युवकों की बर्बर हत्या के दौरान भी संसद चलती रही। किसी नेता ने पंजाब जाने की घोषणा भी नहीं की। एक मिनट के लिए यह मान लीजिए कि यदि ऐसी घटना किसी भाजपा शासित राज्य में या मंदिर में होती तो क्या देश में ऐसी ही चुप्पी रहती? क्या संसद ऐसे ही चलती रहती? बिल्कुल नहीं। नेता सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस्तीफा मांगते। हर जगह ‘मॉब लिचिंग’ शब्द की ही गूंज रहती। यही नहीं, देश की सेकुलर जमात राष्टÑ संघ से भी मदद की गुहार लगा देती।

पाकिस्तान पर शक

बेअदबी के मामले के दौरान ही पंजाब में पाकिस्तानी ड्रोन भी दिखे। बेअदबी, एजेंसियों की जानकारी और पाकिस्तानी ड्रोन के समय पर गौर करने से पता चलता है कि बेअदबी के मामलों के पीछे पाकिस्तान की साजिश है। क्या चुनाव से पहले पाकिस्तान एक बार फिर पंजाब का माहौल बिगाड़ना चाहता है?

खैर, इस तरह की बातें करने के पीछे बेअदबी के मामलों को नकारना नहीं है। वास्तव में किसी भी तरह की बेअदबी बर्दाश्त से बाहर की बात है। इसलिए बेअदबी करने वालों को सजा जरूर मिले, लेकिन सजा देने का जिसका काम है, वही सजा दे।

अब यह समझते हैं कि बेअदबी का मतलब क्या है? किसी भी धार्मिक वस्तु के साथ छेड़छाड़ करना या उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश को बेअदबी कहा जाता है। सिख मत के संदर्भ में गुरु ग्रंथ साहिब, निशान साहिब समेत पगड़ी, कृपाण आदि चीजों के साथ छेड़छाड़ या उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश को बेअदबी कहा जाता है। दरअसल, सिख मत में अंतिम गुरु गुरु गोबिंद सिंह के बाद गुरु ग्रंथ साहिब को ही जीवित गुरु माना गया है और इसलिए इससे संबंधित हर चीज पवित्र है। अब इससे जुड़ी हर वस्तु का असम्मान बेअदबी माना जाता है और इसे सबसे बड़ा अपराध माना जाता है। इस अपराध के लिए किसी को भी क्षमा नहीं है। कहा जाता है कि सिखों के सातवें गुरु गुरु हरराय ने अपने बेटे राम राय का ही बहिष्कार कर दिया था, जो कि अपने पिता के उत्तराधिकारी बनने के दावेदार थे। इसका कारण यह था कि राम राय ने औरंगजेब को खुश करने के लिए गुरु ग्रंथ साहिब के कुछ वाक्यों से छेड़छाड़ कर उसके शब्द बदल दिए थे।

बेअदबी की कुछ अन्य घटनाएं

  • 1 जून, 2015 को गुरु ग्रंथ साहिब का बीर कोटकपूरा के गांव बुर्ज जवाहर सिंह वाला से लापता हो गया था। 25 सितंबर, 2015 को बरगारी में गुरुद्वारा साहिब के पास पोस्टर लगाकर अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया था। 12 अक्तूबर, 2015 को फरीदकोट के बरगारी गांव में गुरु ग्रंथ साहिब के टुकड़े मिले। 14 अक्तूबर, 2015 को सिख समूहों ने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और दोषियों की गिरफ्तारी को लेकर कोटकपूरा में विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया। उसी दिन बहबल कलां में सिखों और पुलिस के बीच संघर्ष में दो सिख युवकों कृष्ण भगवान सिंह और गुरजीत सिंह को पुलिस ने गोली मार दी थी। इस मामले से जुड़े एक आरोपी मोहिंदर बिट्टू की जेल में ही हत्या कर दी गई थी।
  • 26 जुलाई, 2016 को 47 वर्षीय बलविंदर कौर की दिनदहाड़े दो मोटरसाइकिल सवारों ने हत्या कर दी थी। बलविंदर कौर पर लुधियाना के घवड़ी में गुरु ग्रंथ साहिब का अनादर करने का आरोप लगाया गया था। पुलिस ने मामले में संगरूर के अमरगढ़ के गुरप्रीत सिंह जगोवाल और पटियाला के निहाल सिंह को आरोपी बनाया था।
  • 13 सितंबर, 2021 को अकाल तख्त केसगढ़ साहिब आनंदपुर साहिब में लुधियाना निवासी परमजीत सिंह ने सिगरेट पीकर गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान किया, जिसे टास्क फोर्स ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया।
  • किसान आंदोलन के समर्थन में दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर बैठे कुछ निहंगों ने 15 अक्तूबर, 2021 को तरनतारन जिले के लखबीर सिंह नाम के व्यक्ति की हत्या कर दी थी। लखबीर सिंह पर निहंगों ने गुरु ग्रंथ का अनादर करने का आरोप लगाया था। इस मामले में 3 निहंगों ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया। 

बेअदबी की पहली घटना 18 दिसंबर को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर मेें घटी। एक युवक अचानक गुरु ग्रंथ के पास पहुंच गया। इसके बाद भीड़ ने आरोपी युवक को वहीं मार दिया। दूसरी घटना कपूरथला के एक गुरुद्वारे की है। कहा जाता है कि कपूरथला के गांव निजामपुर पुलिस चौकी के सामने स्थित गुरुद्वारा साहिब में लगे निशान साहिब की बेदअबी की कोशिश हुई। गुरुद्वारा साहिब में नितनेम करने पहुंची संगत ने एक व्यक्ति को बेदअबी करते हुए देखा तथा उसे पकड़ कर उसकी पिटाई शुरू कर दी। पुलिस ने भीड़ के चंगुल से व्यक्ति को छुड़ाकर एक कमरे में बंद कर दिया, लेकिन लोगों ने खिड़की तोड़कर पुलिस के सामने ही आरोपी को मार डाला।

कपूरथला में निशान साहिब की बेअदबी के शक में जिस युवक की हत्या की गई थी, उसकी पहचान का दावा किया गया है। पटना की एक महिला का कहना है कि युवक उसका भाई अंकित था। उसने पंजाब पुलिस को कुछ दस्तावेज भी भेजे हैं। पुलिस ने महिला को मारे गए आरोपी की तस्वीरें भेजी हैं। लेकिन अभी तक इस मामले में कुछ नहीं हुआ है और शायद हो भी नहीं। उल्लेखनीय है कि पुलिस ने संवाददाता सम्मेलन में पहले कहा कि ये बेअदबी के मामले नहीं हैं, लेकिन उसी दौरान पुलिस के अधिकारियों के पास अनेक फोन आए और उसके बाद पुलिस वालों के सुर ही बदल गए। इसलिए लोग यह मान रहे हैं कि इन दोनों घटनाओं का राज कभी नहीं खुलेगा।  

वहीं दूसरी ओर हर भारतवासी यह जानना चाहता है कि एक के बाद एक बेअदबी के दो मामलों के पीछे किसका हाथ है? पंजाब के अनेक लोगों ने बताया कि जब भी पंजाब में चुनाव होते हैं तब पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई द्वारा राज्य का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जाती है।

ब्रिटिश सिख सांसद की हरकत
ब्रिटेन की पहली सिख महिला सांसद प्रीत कौर गिल ने ट्वीट कर स्वर्ण मंदिर की घटना को कथित ‘हिंदू’ आतंकवाद से जोड़ने का प्रयास किया। इस पर सोशल मीडिया पर उनकी जबर्दस्त खिंचाई हुई तब उन्होंने उस ट्वीट को हटा लिया।

इसलिए गई कैप्टन की कुर्सी
अक्तूबर, 2015 में फरीदकोट के बुर्ज जवाहर सिंह वाला में गुरुग्रंथ साहिब की अवमानना हुई थी। इस घटना के बाद हुए प्रदर्शनों में दो लोगों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। बहबल कलां और कोटकपूरा गोलीकांड के नाम से मशहूर इन मामलों ने 2017 के विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त असर डाला था। अकाली दल ने अपने 100 वर्ष के इतिहास में सबसे खराब चुनावी प्रदर्शन किया था। कांग्रेस ने अकाली दल पर अवमानना मामले में न्याय न करने का आरोप लगाया। इसका उसे लाभ भी मिला और कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बने। लेकिन कैप्टन ने भी इस मामले में कुछ नहीं किया। कांग्रेस के कई नेताओं ने इसी आधार पर उनके खिलाफ आलाकमान से शिकायत की और उनकी कुर्सी चली गई। उनकी जगह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया गया।

अब 2022 के चुनावों से ठीक पहले हुई इन घटनाओं ने एक बार फिर से बेअदबी को एक केंद्रीय मुद्दा बना दिया है। पंजाब का माहौल कौन और क्यों बिगाड़ रहा है! इस प्रश्न ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। चंडीगढ़ से दिल्ली तक इस प्रश्न का उत्तर खोजा जा रहा है। चुनाव का अवसर है और पड़ोस में पाकिस्तान जैसा देश, जो कभी भारत का भला नहीं चाहता। इस कारण चिंता स्वाभाविक है। यह चिंता केवल और केवल मामले की जांच पूरी होने के बाद ही कम हो सकती है। 

 

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