चीन की भारत विरोधी हरकतें लगातार जारी हैं। एशिया महाद्वीप के इस हिस्से में तेजी से उभरते भारत की राह में रोड़े अटकाने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार करने की चीनी मुहिम की ताजा मिसाल है मालदीव में भड़काया जा रहा भारत विरोधी 'इंडिया आउट' अभियान।
मालदीव में तेजी से बढ़ते जा रहे चीनी प्रभाव ने हमेशा से मधुर रहे भारत—मालदीव संबंधों पर ग्रहण लगाने की चाल चली है। पिछले कुछ सालों के दौरान मालदीव में चीन की गतिविधियां क्या बढ़ीं उसने उस देश के बाजार के साथ साथ वहां के नेताओें को भी अपने प्रभाव में लेना शुरू कर दिया। कहने को तो आज भी भारत के मालदीव के साथ मधुर संबंध हैं, लेकिन मालदीव में चीन की कथित शह पर एक वर्ग द्वारा भारत विरोधी अभियान भी चलवाया जा रहा है। बताया जाता है कि 'इंडिया आउट' नाम से इस अभियान के पीछे वहां के विपक्षी नेता अब्दुल्ला यामीन हैं।
यामीन शुरू से ही भारत विरोधी नेता माने जाते हैं। इसलिए हैरानी की बात नहीं है अगर चीन ने उन्हें अपने प्रभाव में लेकर उनसे ऐसा अभियान शुरू कराया हो। यामीन साल 2013 से 2018 तक मालदीव के राष्ट्रपति रह चुके हैं। जाहिर है, उस बीच भातर और मालदीव के संबंध बहुत खराब थे।
उल्लेखनीय है कि यह भारत विरोधी अभियान इस माह के शुरू में यामीन की प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव ने छेड़ा था, अब्दुल्ला यामीन इसी राजनीतिक दल के नेता हैं। उनकी पार्टी के अनुसार, उनके इस अभियान का उद्देश्य है मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाना। हालांकि वहां की सरकार का कहना है कि वहां भारत के कोई सैनिक हैं ही नहीं। तो भी किसी कथित अदृश्य शक्ति से संचालित यामीन का कहना है कि सत्तारूढ़ सरकार भले ही कैसी भी भारतीय सैन्य मौजूदगी से इनकार करती हो, लेकिन उनका भारत के विरुद्ध जहर फैलाने का यह अभियान जारी रहेगा।
मालदीव सरकार विपक्षी दल के इस अभियान से हैरान है और कहती है कि जनता के बीच भारत को लेकर अनर्गल दुष्प्रचार करके नफरत फैलाई जा रही है। देशवासियों में भ्रम फैलाया जा रहा है। सरकार ने बार—बार साफ कहा है कि भारत और मालदीव के बीच सबसे करीबी भागीदारी है। सरकार का कहना है कि भारत के संदर्भ में नफरत फैलाने और दुष्प्रचार करने से ऐसे सहयोग देश से संबंध खराब होने का खतरा है।
यामीन शुरू से ही भारत विरोधी नेता माने जाते हैं। इसलिए हैरानी की बात नहीं है अगर चीन ने उन्हें अपने प्रभाव में लेकर उनसे ऐसा अभियान शुरू कराया हो। यामीन साल 2013 से 2018 तक मालदीव के राष्ट्रपति रह चुके हैं। जाहिर है, उस बीच भातर और मालदीव के संबंध बहुत खराब थे। यही वह दौर था जब यामीन ने देश में चीन की भारत विरोधी चालबाजियों को खुलकर शह दी हुई थी।
बता दें कि 2018 के आम चुनावों में इब्राहिम मोहम्मद सोलिह मालदीव के राष्ट्रपति बने थे। सालिह ने सत्ता में आने के बाद भारत को प्राथमिकता देने की नीति पर अमल करते हुए दोनों देशों के बीच संबंधों को पटरी पर लाने का काम किया है। 2021 में दैनिक द हिंदू से बातचीत में उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार की विदेश नीति भारत को केन्द्र में रखती है। उधर पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद भी भारत के साथ मालदीव के संबंधों को बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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