हांगकांग में रविवार को विधान परिषद के चुनाव कोरा दिखावा साबित हुए क्योंकि ये चीन के द्वारा, चीन के चयनित उम्मीदवारों का चीन के इशारों पर हुआ चुनाव था। इसमें वोट डालने वाले चीन के 'वफादार' ही थे। बताया गया है कि इन चुनावों में बेहद कम मतदान हुआ।
हांगकांग के प्रशासकों ने इस चुनाव में सिर्फ और सिर्फ चीन के प्रति वफादार लोगों को ही उम्मीदवारी दी थी। उन उम्मीदवारों की सूची 'पारित' होने के लिए बीजिंग भेजी गई थी। उल्लेखनीय है कि चीन के इशारों पर पिछले साल लागू किए गए विवादित सुरक्षा कानून के बाद हुए इस चुनाव में अब तक का सबसे कम मतदान दर्ज किया गया। कभी ब्रिटेन के उपनिवेश रहे इस अर्द्ध स्वायत क्षेत्र पर अब चीन अपनी दावेदारी ही नहीं किए हुए है बल्कि वहां के सत्ता सूत्रों का संचालन भी बीजिंग के हाथों में है। यही वजह है कि 2019 में युवाओं द्वारा छेड़े गए लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को पूरी बर्बरता से कुचला गया था।
चीन विरोधी लोकतंत्र समर्थक हांकांगवासी बहुत हद तक चुनाव से दूर रहे, वे वोट डालने नहीं गए। विदेश में रह रहे कुछ लोकतंत्र कार्यकर्ताओं ने भी सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से आम लोगों से इस दिखाने के चुनाव में मतदान न करने की अपील की थी।
उससे पहले 2014 में लोकतंत्र के समर्थन में प्रचंड प्रदर्शन हुए थे। 2019 के प्रदर्शनों के बाद हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया गया था, इसके तहत लोकतंत्र समर्थकों को चुन—चुनकर निशाया बनाया गया, उन्हेें बेवजह जेल में ठूंसा गया। ज्यादातर लोकतंत्र समर्थक जान बचाकर दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हैं।
मार्च, 2021 में चीन की संसद ने हांगकांग के चुनाव कानून को बदलने वाला एक प्रस्ताव पारित किया था। इसे जानकारों ने ‘एक देश, दो प्रणाली’ स्वरूप को खत्म करने की प्रक्रिया के तौर पर देखा था। दरअसल यह मतदान भी हांगकांग के सदन ने बीजिंग समर्थक समिति में और ज्यादा प्रतिनिधियों को रखने के लिए हुआ है। इसीलिए पक्का किया गया था कि सिर्फ बीजिंग के प्रति वफादार उम्मीदवार ही चुनकर आएं।
लेकिन जैसा पहले बताया, चुनाव में बेहद कम मतदान हुआ है। शुरुआती सात घंटे के मतदान में सिर्फ करीब 8,39,563 वैध मतदाताओं यानी 18.77 प्रतिशत मतदाताओं ने ही वोट डाले थे। ऐसे चुनाव के विरोधी वार्टन लेउंग का कहना था कि कौन से उम्मीदवार को चुना जाए, इसका कोई विकल्प न होने से वे इस चुनाव को लेकर उत्साहित नहीं हैं।
हांगकांग की मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कैरी लाम ने कहा कि उन्हें इस बात में दिलचस्पी नहीं है कि कितने प्रतिशत मतदान हुआ, क्योंकि पहले वाले चुनावों में भी मतदान प्रतिशत पर गौर नहीं किया गया था।
चीन विरोधी लोकतंत्र समर्थक हांकांगवासी बहुत हद तक चुनाव से दूर रहे, वे वोट डालने नहीं गए। विदेश में रह रहे कुछ लोकतंत्र कार्यकर्ताओं ने भी सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से आम लोगों से इस दिखाने के चुनाव में मतदान न करने की अपील की थी। हांगकांग के एक मंत्री एरिक त्सांग ने चुनाव से एक दिन पहले कहा था विदेशी ताकतें इन चुनावों को कमजोर करने की कोशिश कर सकती हैं। उन्होंने चेतावनी भर लहजे में कहा था कि चुनाव संबंधी नए कानूनों के अंतर्गत चुनाव का बहिष्कार करने को उकसाने और मतपत्र खाली छोड़ देने वाले को तीन साल की कैद और दो लाख हांगकांग डॉलर का दंड दिया जा सकता है।
लेकिन दूसरी तरफ लीग ऑफ सोशल डेमोक्रेट्स संगठन के तीन कार्यकर्ताओं ने एक मतदान केंद्र के पास प्रदर्शन किया। हांगकांग पब्लिक ओपिनियन रिसर्च इंस्टीट्यूट का ताजा सर्वे बताता है कि 39 प्रतिशत हांगकांगवासियों ने इशारे ही इशारे में बताया था कि उन्हें वोट डालने में कोई दिलचस्पी नहीं है। बता दें कि हांगकांग के सबसे बड़े विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस चुनाव में अपना कोई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था। हांगकांग में इस चुनाव में सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम किए गए थे।
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