भारत में कुछ साल पहले तक घटता लिंगानुपात चिंता का सबब बना हुआ था। लेकिन सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों अब लगातार इसमें सुधार आ रहा है। देश में पहली बार प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या बढ़कर 1,020 हो गई है। हालांकि यह आंकड़ा नवंबर में ही सामने आ गया था, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि अब हुई है। 1991 की जनगणना में प्रति हज़ार पुरुषों पर 927 महिलाएं थीं, 2001 में बढ़कर 933 और 2011 में 943 हो गई थीं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि पांचवें दौर की राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) देश की अनुमानित लिंगानुपात आबादी (प्रति हजार पुरुषों पर महिलाएं) 1,020 थी। बाल लिंगानुपात में सुधार को ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि योजना के प्रमुख तत्वों में राष्ट्रव्यापी मीडिया, समर्थन अभियान और कुछ जिलों में बहु-क्षेत्रीय हस्तक्षेप शामिल हैं। मध्यवर्ती लक्ष्य यानी, जन्म के समय लिंग अनुपात को योजना की प्रगति के लिए एक निगरानी मानक के रूप में निर्धारित किया गया है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का लक्ष्य घटते लिंगानुपात और जीवन चक्र में लड़कियों और महिलाओं के सशक्तिकरण के संबंधित मुद्दों को संबोधित करना है। उन्होंने कहा कि योजना का प्राथमिक उद्देश्य लिंग आधारित लिंग चयन उन्मूलन को रोकना, बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना और बालिकाओं की शिक्षा व भागीदारी सुनिश्चित करना है।"
पांचवें दौर का राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019 और 2021, दो चरणों में किया गया। पहले चरण में 22 राज्यों का सर्वेक्षण किया गया था। दूसरे चरण में अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, दिल्ली, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 707 जिलों के 6,50,000 घर शामिल किए गए। इस साल 24 नवंबर को पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) ने इसके आंकड़े जारी किए थे। लेकिन इस पर आधिकारिक मोहर अब लगी है। इससे पहले 2015-16 के NFHS-4 में प्रति 1000 पुरुषों पर 991 महिलाएं थीं। महत्वपूर्ण बात यह है कि शहरों के मुकाबले गांवों में लड़कियों की संख्या बेहतर हुई है। गांवों में प्रति हजार पुरुष पर 1,037 महिलाएं हैं, जबकि शहरों में यह संख्या 985 है। NFHS-4 में गांवों में प्रति हजार पुरुष पर 1009 महिलाएं थीं, जबकि शहरों में 956 महिलाएं थीं।
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