गृह मंत्री अमित शाह ने सहकार भारती के 7वें राष्ट्रीय अधिवेशन में देश के 600 से ज्यादा जिले से आए तीन हजार से अधिक प्रतिनिधि गणों को लखनऊ में संबोधित किया. उन्होंने कहा कि 10-15 वर्ष में हर गांव की सहकारिता में सहभागिता हो इसकी तैयारी करनी होगी. इसके लिए रणनीति बनानी होगी.
केन्द्रीय सहकारिता मंत्री एवं गृह मंत्री अमित शाह ने सहकार भारती के 7वें राष्ट्रीय अधिवेशन में देश के 600 से ज्यादा जिले से आए तीन हजार से अधिक प्रतिनिधि गणों को लखनऊ में संबोधित किया. उन्होंने कहा कि 10-15 वर्ष में हर गांव की सहकारिता में सहभागिता हो इसकी तैयारी करनी होगी. इसके लिए रणनीति बनानी होगी. सहकारिता की दृष्टि से विकसित राज्य एवं सहकारिता की दृष्टि से विकासशील राज्य जैसे यूपी समेत अन्य को जोड़ना होगा. इसके साथ ही केन्द्र सरकार एक नई सहकार नीति लाने की भी तैयारी कर रही है.
अमित शाह ने कहा कि सहकारिता को मजबूत करने के लिए पारदर्शी चुनाव और निष्पक्ष ऑडिट आवश्यक है. तभी इस आंदोलन को गति मिलेगी. केंद्र सरकार एक नई सहकारी नीति लाने की तैयारी कर रही है. कुछ ही समय में सहकारिता मंत्रालय के जरिए इसकी गतिविधियों को शुरू किया जाएगा. इस देश की कृषि व्यवस्था में सहकारिता उसकी आत्मा है. ऐसे में सहकारिता व्यवस्था अच्छे से काम कर सके इसके लिए इन संस्थाओं को कंप्यूटरीकृत करने का काम जल्द पूरा कर लिया जाएगा.
उन्होंने कहा कि समितियों को जवाबदेह बनाने के लिए प्राइमरी मेंबर को प्रशिक्षण दिया जाएगा. सरकार की तरफ से नए-नए आयाम कैसे जोड़े जा सकते हैं. नए मसौदे के साथ हम जल्द ही जनता के सामने आएंगे. अब प्राकृतिक खेती बढ़ने लगी है. इसका बहुत बड़ा बाजार है. लेकिन मिट्टी की उर्वरता खत्म होती जा रही है. विभाग के जरिए मिट्टी के परीक्षण के साथ-साथ उत्पाद और बाजार की व्यवस्था भी करनी होगी. इस व्यवस्था में पहले देश के दो राज्यों को शामिल करेंगे. जहां ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को पूरा फायदा सहकारिता विभाग की तरफ से दिया जाएगा. देश का समान विकास केवल सहकारिता व्यवस्था की तरफ से ही हो सकता है.
उन्होंने कहा कि लगभग 27 प्रदेश के कई जिलों में सहकार भारती ने अपना काम किया है. इनसे जुड़े कई संगठनों की मांग थी कि सहकारिता को मजबूती देने का काम करना चाहिए. इसी तर्ज पर केन्द्र सरकार ने इस पर सहकारिता मंत्रालय बनाने का फैसला लिया. मोदी जी को जब दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार आप लोगों ने दी तब उन्होंने यह विचार रखा कि सहकारिता विभाग का गठन करना चाहिए और उन्होंने मुझे देश का पहला सहकारिता मंत्री बनने का मौका दिया. यह पद नहीं जिम्मेदारी है.
उन्होंने कहा कि सहकारिता का योगदान अगर देखना है तो लिज्जत पापड़, अमूल का दूध और किसानों को मिलने वाली इफको खाद को देखना चाहिए. इन सब में सहकारिता का सफल योगदान है.सहकारिता का योगदान और बड़ा होने वाला है. इस व्यवस्था में छोटे से छोटे व्यक्ति को रोजगार दिलाया जा सकता है. आर्थिक विकास का फायदा अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे यही सहकारिता का लक्ष्य है.
टिप्पणियाँ