गत दिनों ग्वालियर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मध्य भारत प्रांत द्वारा चार दिवसीय स्वर साधक संगम का आयोजन किया गया। इसके समापन पर साधकों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत का मार्गदर्शन मिला। उन्होंने कहा कि संगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं, अपितु मन को शांत करने वाली और मन को सम-अवस्था में लाने वाली कला है।
सब बातों में सम रहना तथा समाज को जोड़ने के सारे गुण भारतीय संगीत में मिलते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय कलाएं सत्यमशिवम् सुंदरम् का दर्शन कराती हैं। सामूहिक संगीत में अगर किसी से त्रुटि हो जाए तो सबका वादन खराब हो जाता है। इसलिए किसी-किसी को बीच में कहा जाता है कि वह मुंह पर वाद्य लगाए रहे, बजाए नहीं, क्योंकि प्रत्येक वाद्य का अपना-अपना स्थान है।
एक वादक का वादन भी महत्वपूर्ण है, समाज के अस्तित्व का भी यही नियम है। हम सागर के बिंदु हैं और सागर के बिना बिंदु का अस्तित्व अधूरा है। इस अवसर पर क्षेत्र संघचालक श्री अशोक सोहनी, प्रांत संघचालक श्री अशोक पांडे तथा विभाग संघचालक श्री विजय गुप्ता उपस्थित थे।
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