‘टाइम’ समय के लिए अंग्रेजी का शब्द है। किंतु इस समय अंग्रेजी के ‘टी’ अक्षर से प्रारंभ होने वाले दो शब्द दुनिया को झकझोर रहे हैं। इनमें पहला शब्द है ‘टेक्नोलॉजी’ और दूसरा है ‘टेरेरिज्म’।
यहां एक अद्भुत बात यह है कि इसमें जो शब्द दुनिया को गति, सकारात्मकता और नवाचार दे रहा है, नए विमर्श खड़ा कर रहा है, यानी टेक्नोलॉजी या तकनीक, उसमें बहुत-सी जगहों पर भारतीय वर्चस्व दिख रहा है। इसका ताजा उदाहरण ट्विटर के नवनियुक्त सीईओ पराग अग्रवाल हैं। इससे अलावा टेक कंपनियों के अन्य भारतीय सीईओ में अल्फाबेट इंक के सुंदर पिचाई, आईबीएम के अरविंद कृष्णा, एडोब के शांतनु नारायण, पालो ऑल्टो नेटवर्क के निकेष अरोड़ा, वीएमवेयर के रघु रघुराम, माइक्रोसॉफ्ट के सत्या नडेला के नाम भी आप इस सूची के लिए सहज ही गिना देंगे।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय जिन अमेरिकी टेक कंपनियों को संभाल रहे हैं, उनका बाजार मूल्य 5 ट्रिलियन (5 लाख करोड़) डॉलर है। आयरलैंड के अरबपति उद्यमी और स्ट्राइप के सीईओ पैट्रिक कोलिसन ने अनेक टेक कम्पनियों का उल्लेख करते हुए ट्वीट किया कि अब ट्विटर भी उस सीईओ द्वारा संचालित किया जा रहा है जो भारत में पला-बढ़ा है। प्रौद्योगिकी की दुनिया में भारतीयों की अद्भुत सफलता को देखना चमत्कारिक है। दुनिया के सबसे धनी व्यक्ति और सबसे बड़े निवेशक एलन मस्क ने लिखा कि अमेरिका भारतीय मेधा से लाभान्वित हुआ है। यह दुनिया में भारतीय पक्ष की सकारात्मक तस्वीर है।
अब बात ‘टी’ अक्षर से जुड़े दूसरे शब्द ‘टेरेरिज्म’ की। यानी ट्विटर की बजाय टाइम बम की। जाहिर है, इस मैदान में भारत के पड़ोसी का वर्चस्व दिखाई देता है। ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन में सबन सेंटर फॉर मिडिल ईस्ट पॉलिसी द्वारा प्रकाशित एक विश्लेषण के अनुसार, पाकिस्तान कथित तौर पर, … शायद आतंकवादी समूहों का दुनिया का सबसे सक्रिय प्रायोजक है… संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए सीधा खतरा। पाकिस्तान की सक्रिय भागीदारी के कारण इस क्षेत्र में हजारों मौतें हुई हैं, इन सभी वर्षों में पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय की कई कड़ी चेतावनियों के बावजूद कई आतंकवादी समूहों का समर्थन करता रहा है।
अक्सर विभिन्न देशों द्वारा दक्षिण एशिया और उसके बाहर के अपने स्थानीय क्षेत्र में पाकिस्तान पर विभिन्न प्रकार की आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया जाता रहा है। आरोप लगाने वाले देशों में उसके पड़ोसी देश अफगानिस्तान, भारत और ईरान, और साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और फ्रांस शामिल हैं।
राह अलग, परिणाम अलग
तेजी से बदलती उन वैश्विक स्थितियों में जहां अमेरिका ‘चीन मुक्त’ आपूर्ति शृंखला के लिए कार्यकारी आदेश तक पारित कर रहा है भारत के लिए दुनिया का तकनीकी अड्डा बनने की नई सम्भावनाएं उभर रही हैं।
हाइनरिच की रिपोर्ट के अनुसार
अमेरिका, यूरोपीय संघ (ईयू), ताइवान और जापान तकनीकी क्षेत्र में भारत के सबसे बड़े विदेशी निवेशक हैं।
कंप्यूटर हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और दूरसंचार निवेश की शीर्ष श्रेणियों में से हैं।
जानकार मानते हैं कि वित्त (Finance) और तकनीक (Technology) के मेल से 'डिजिटल इंडिया' संभवत: दुनिया की सबसे बड़ी फिनटेक क्रांति शुरू करने के कगार पर है, क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था में अब तक बाहर रहे लाखों नागरिक आनलाइन जुड़ सकते हैं। मैकिन्से के अनुसार, भारत में फिनटेक-संचालित सेवाओं की कीमत 2025 तक 170 बिलियन डॉलर हो सकती है।
उधर आत्मघाती हमलों, आतंकवाद को बढ़ाने का कदम स्वयं पाकिस्तान के लिए आत्मघाती सिद्ध हुआ है। पाकिस्तान की स्थिति कितनी जर्जर हो गई है, वह इस बात से समझ में आती है कि पाकिस्तान की जीडीपी विकास दर के 2021-22 के दौरान 3 से 4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसके मुकाबले वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी विकास दर रिकॉर्ड 20.1 प्रतिशत रही थी जबकि दूसरी तिमाही में 8.4 प्रतिशत रही। अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी विकास दर 9 से 10 प्रतिशत रह सकती है।
पाकिस्तान के मुकाबले भारतीय जीडीपी 10 गुना बड़ी है। साल 2020 में पाकिस्तान की जीडीपी 2,63,686.55 मिलियन डॉलर की थी, जबकि भारत की जीडीपी 2,622,983.73 मिलियन डॉलर की रही थी। फिलहाल विश्व अर्थव्यवस्था में पाकिस्तान की हिस्सेदारी महज 0.23 प्रतिशत है। पाकिस्तान में महंगाई 9 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है जबकि प्रति व्यक्ति आय घटकर 2021 में 1,260 डॉलर हो गई है, जो 2018 में 1,482 डॉलर थी।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की एक रिपोर्ट को मानें तो इस वर्ष अक्टूबर में पाकिस्तान का चालू खाता घाटा बढ़कर 1.6 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। इसे पाकिस्तान की जीडीपी का 4.7 प्रतिशत बताया जा रहा है। पाकिस्तान का कुल कर्ज और देनदारियां 50.5 ट्रिलियन रुपये से अधिक हो गई हैं। इस राशि में से 20.7 ट्रिलियन का कर्ज अकेले वर्तमान सरकार के माथे है, यानी इमरान सरकार के आने के बाद कर्ज में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। देश के हर व्यक्ति पर कर्ज जून 2018 में 1,44,000 रुपये के सापेक्ष अब सितंबर 2021 तक 235,000 रुपये हो गया है।
जुलाई, 2019 में प्रधानमंत्री इमरान खान जब अमेरिका की सरकारी यात्रा पर गए तो उन्होंने माना कि 30 हजार से 40 हजार आतंकवादी पाकिस्तान की सरजमी से आतंकी गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं। इसे पाकिस्तान की आधिकारिक स्वीकारोक्ति कहा जा सकता है। इमरान ने इसके आगे यह भी कहा कि आतंक के खिलाफ जंग के दौरान 15 वर्षों तक पाकिस्तान की पूर्ववर्ती सरकारों ने अमेरिका से यह बात छुपाए रखी। हालांकि यही इमरान नवंबर, 2021 में कट्टरपंथियों के आगे घुटने टेकते हुए चरमपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक (टीएलपी) को प्रतिबंधित संगठनों की सूची से बाहर करने की अनुमति दे देते हैं।
आतंकवादियों को पोसने का पाकिस्तान पर असर क्या पड़ा? एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्कफोर्स) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला किया है। पाकिस्तान तब तक ‘ग्रे लिस्ट’ में रहेगा जब तक कि वह साबित नहीं कर देता कि हाफिज सईद और मसूद अजहर के खिलाफ ठोस और विश्वसनीय कार्रवाई की जा रही है। इसके अलावा अफगानिस्तान में तालिबान का सहयोग करने के आरोप में अमेरिका द्वारा पाकिस्तान पर सख्त प्रतिबंध लगाए जाने पर विचार की खबरें भी चल रही हैं।
आतंक और अव्यवस्था की दुरभिसंधि
पाकिस्तान में मंडरा रहे आर्थिक संकट के बीच प्रधानमंत्री इमरान खान ने संघीय सरकार के सदस्यों को निर्देश दिया है कि उनकी मंजूरी के बिना उन्हें विदेश यात्राएं करने से प्रतिबंधित किया जाएगा। सरकार वहां खर्चों में भी कटौती कर रही है और काम करती हुई दिखाई दे रही है। दुनिया भी पाकिस्तान से सकारात्मकता की अपेक्षा कर रही है। पाकिस्तान कह भी रहा है कि वह करेगा। परंतु कोविड के दौरान ऑपरेशन-एहसास में लाखों डॉलर के भ्रष्टाचार की खबरें पाकिस्तान के कहे पर भरोसा नहीं करने देतीं। हाल ही में एक ऑडिट रिपोर्ट में संकेत दिया गया था कि कोविड-19 के दौरान खर्च, टीकाकरण प्रक्रिया और एहसास राहत कार्यक्रम में अरबों रुपये की अनियमितता हुई। परंतु संघीय कैबिनेट ने इस ऑडिट रिपोर्ट को खारिज कर दिया है।
सरकारी खर्चों में कटौती, मंत्रियों की विमान यात्रा पर रोक जैसे कदम उठा कर पाकिस्तान कोशिश करता हुआ दिख रहा है। परंतु उसके ये प्रयास वाकई ईमानदार हैं या भीतर अभी भी भ्रष्टाचार पल रहा है, यह देखना होगा।
पाकिस्तान को यह सोचना चाहिए कि वह दुनिया में अपना लोहा मनवाना चाहता है तो किस क्षेत्र में मनवाना चाहता है और अपनी कैसी छवि दुनिया के सामने रखना चाहता है। पाकिस्तान के सामने आत्मघाती हमलों के बजाए भारत को चुनौती देने का एक दूसरा मोर्चा भी खुला हुआ है-वह है तकनीक का क्षेत्र जहां वह सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ सकता है।
दुनिया आगे बढ़ रही है और पाकिस्तान के बिना भी आगे बढ़ती रहेगी। पाकिस्तान को यदि प्रासंगिक बने रहना है तो सही रास्ता चुनना ही होगा।
टिप्पणियाँ