गुजरात सरकार ने 2002 के दंगों से संबंधित जाकिया जाफरी की याचिका पर बहस के दौरान उच्चतम न्यायालय में दावा किया कि दो दशकों से राज्य को बदनाम करने के लिए तीस्ता सीतलवाड़ ने एक बड़ी साजिश ‘‘रची’’ है। गुजरात की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ से कहा कि उनके पास जाकिया जाफरी के खिलाफ कहने के लिए कुछ नहीं है, क्योंकि उन्होंने अपने प्रियजन को खो दिया है। एसआईटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत में तर्क दिया कि सीतलवाड़ पर दंगों के दौरान एक बड़ी साजिश के आरोप सामने आ रहे हैं। जाकिया द्वारा उच्चतम न्यायालय में दायर याचिका में सीतलवाड़ याचिकाकर्ता नंबर दो है। मेहता ने पीठ को बताया कि मेरा तर्क यह है कि याचिकाकर्ता नंबर दो (तीस्ता सीतलवाड़) द्वारा लगभग 20 वर्ष से एक पूरे राज्य को बदनाम करने के लिए एक बड़ी साजिश रची गई है। मेहता ने पीठ को बताया कि एसआईटी ने समय-समय पर शीर्ष अदालत के समक्ष स्थिति रिपोर्ट दाखिल की थी। उन्होंने बहस के दौरान कहा कि यह शुरू से ही मेरी शिकायत रही है कि एसआईटी ने झूठे सबूत गढ़ने के लिए उस पर मुकदमा क्यों नहीं चलाया। यह झूठे सबूतों को गढ़ने के अलावा और कुछ नहीं है। इस मामले में अब सात दिसंबर को आगे बहस जारी रहेगी।
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