हर तरफ था मौत का मंजरः स्थान-भोपाल, साल- 1984, तारीख- 2/3 दिसंबर। कयामत की रात की दास्तां, उस मनहूस सुबह के चेहरे पर हमेशा के लिए चस्पा हो गयी। आधी रात को मध्यप्रदेश के भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कंपनी के कारखाने से जहरीली गैस मिथाइल आइसो साइनाइड के रिसाव ने पलक झपकते हजारों की जिंदगी ले ली। इस भयावह घटना के लिए जिम्मेदार कंपनी का मुख्य प्रबंध अधिकारी वॉरेन एंडरसन रातोंरात भारत छोड़कर अमेरिका भाग चुका था।
भोपाल में वह कड़ाके की सर्द रात थी। लोग अपने घरों में चैन की नींद सो रहे थे। भोपाल के छोला रोड स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने में भी रोजमर्रा की तरह अधिकारी और कर्मचारी अपने-अपने काम में जुटे थे। इसी दौरान कंपनी के कुछ कर्मचारी भूमिगत टैंक के पास पाइप लाइन की सफाई करते हैं। कारखाने के भूमिगत टैंक में रासायनिक प्रतिक्रिया शुरू हुई और टैंकर का तापमान 200 डिग्री तक पहुंच गया तो गैस बनने लगी। टैंक से गैस पाइप में पहुंचने लगी। वाल्व ठीक से बंद नहीं होने के कारण टावर से गैस का रिसाव शुरू हो गया। वाल्व को बंद करने की कोशिशें शुरू हुईं और तभी खतरे का सायरन भी गूंज उठा।
जान बचाने के लिए जहां-तहां भागते रहे लोग
समय ने दस्तक दी। रात लगभग 1 बजे फैक्ट्री के आसपास की बस्तियों में लोगों को घुटन, खांसी, उल्टियां और आंखों में जलन की शिकायतें शुरू हो चुकी थीं। कई लोगों को तो जहरीली गैस ने कोई मौका ही नहीं दिया, सोयी हुई अवस्था में ही दम तोड़ चुके थे। अफरातफरी के मंजर के बीच बदहवास लोग जान बचाने के लिए जहां-तहां भाग रहे थे। क्या बच्चे और बुजुर्ग, क्या औरत और मर्द। अस्पतालों में भीड़ लग गयी। शहर की सड़कों पर लोग दम तोड़ रहे थे। पूरे शहर में कीटनाशक बनाने में इस्तेमाल होने वाली जहरीली गैस फैल चुकी थी।
सुबह तक लग गया लाशों का ढेर
सुबह छह बजे तक पूरा शहर लाशों के ढेर में बदल चुका था। जिन लोगों की जिंदगी इस दौरान बच गयी, वे भी भयावह किस्म की शारीरिक हालत में थे। किसी के आंखों की रोशनी चली गयी तो कई लोगों ने कुछ दिनों के बाद इलाज के दौरान दम तोड़ा। इस हादसे पर आधारित एक फिल्म 'भोपाल ए प्रेयर ऑफ रेन' का निर्माण कर घटना की भयावहता को दिखाया गया है। इस त्रासदी का ऐसा गंभीर असर पड़ा कि भोपाल में बच्चे दिव्यांग या असामान्यताओं के साथ पैदा हुए। कहते हैं कि घटना में 15 हजार से अधिक लोगों की जान गयी। हालांकि मध्य प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने तीन हजार, 787 लोगों की मौत की ही पुष्टि की।
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