भारतीय रेलवे ने करीब दो साल तक महामारी के कारण आंशिक रूप से सेवाएं उपलब्ध कराने के बाद अब फिर से सामान्य सेवाएं शुरू कर दी हैं। महामारी के दौरान रेलवे की सामान्य सेवाएं भले ही बंद रही हों, पर उसके विस्तार का काम जारी रहा, जिसकी सबसे बड़ी मिसाल रेलमार्गों के विद्युतीकरण के रूप में सामने है। भारतीय रेलवे में विद्युतीकरण का काम 1925 में शुरू हुआ था। तब से अब तक 46 हजार किलोमीटर से ज्यादा लम्बे मार्गों का विद्युतीकरण हुआ। इसमें से करीब 25 हजार किलोमीटर काम पिछले सात साल में हुआ है।
जलवायु परिवर्तन को लेकर ग्लासगो में हुए कॉप-26 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के दो बड़े लक्ष्यों की घोषणा की है। इनमें पहला है 2017 तक ‘नेट-जीरो’ की प्राप्ति और 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं में से 50 प्रतिशत के लिए अक्षय ऊर्जा का सहारा। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए फौरी तौर पर हर साल 6 करोड़ टन उत्सर्जन में कमी करनी होगी। इसका मतलब है कि हमें कोयले तथा जीवाश्म आधारित पेट्रोलियम के औद्योगिक इस्तेमाल को लगातार कम करते हुए शून्य स्तर पर लाना होगा।
रिकॉर्ड विद्युतीकरण
इस कार्य में एक बड़ी भूमिका रेलवे की है, जिसने इस दिशा में जबर्दस्त पहल की है। रेल-विद्युतीकरण का सबसे बड़ा लाभ है, पेट्रोलियम आयात पर निर्भरता का कम होना और साथ ही कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में कमी होना। इस दौरान रेलवे ने कुछ नई व्यवस्थाएं की हैं और सेवाओं को सुचारु बनाने के लिए नए प्रबंध किए हैं, पर सबसे महत्वपूर्ण है रिकॉर्ड विद्युतीकरण। वर्ष 2020-21 में रेलवे ने 6,015 किलोमीटर रेलमार्गों का विद्युतीकरण किया, जो किसी भी एक साल के लिए रिकॉर्ड है। इसके पहले एक साल में सबसे ज्यादा 5,276 किलोमीटर मार्ग का विद्युतीकरण 2018-19 में हुआ था।
सात साल में 24,080 किमी
गत 31 मार्च तक भारतीय रेलवे के 45,881 किलोमीटर मार्ग का विद्युतीकरण हो चुका था। पिछले सात साल में कुल 24,080 किलोमीटर रेल-मार्ग का विद्युतीकरण हुआ है, जो 90 वर्षों में करीब हुए करीब 21,000 किलोमीटर से अधिक है। अब इसकी तुलना उससे पहले के सात वर्षों यानी 2007-14 से करें, जिनमें कुल 4,337 किलोमीटर मार्ग का विद्युतीकरण हुआ था। नवीनतम जानकारी के अनुसार अब यह लम्बाई 46,677 किलोमीटर हो गई है। यानी 31 मार्च के बाद 796 किलोमीटर और जुड़ गए हैं।
पिछले साल जिन खंडों का विद्युतीकरण हुआ उनमें से मुख्य मार्ग इस प्रकार हैं:-
1. मुम्बई-हावड़ा वाया जबलपुर,
2. दिल्ली-दरभंगा-जयनगर,
3. गोरखपुर-वाराणसी वाया औड़िहार,
4. जबलपुर-नैनपुर-गोंदिया-बल्लारशाह,
5. चेन्नई-त्रिची,
6. इन्दौर-गुना-ग्वालियर-अमृतसर,
7. दिल्ली-जयपुर-उदयपुर,
8. नईदिल्ली-नया कूचबिहार-श्रीरामपुर असम वाया पटना और कटिहार,
9. अजमेर-हावड़ा,
10. मुम्बई-मारवाड़,
11. .दिल्ली-मुरादाबाद-टनकपुर
शत-प्रतिशत विद्युतीकरण
रेल मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2023-24 तक देशभर की ब्रॉड गेज लाइनों का शत प्रतिशत विद्युतीकरण करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए रेल मंत्रालय 21,000 करोड़ रुपये खर्च करेगा। रेलवे के 18 जोन में कुल 64,689 किमी ब्रॉड गेज मार्ग हैं, जिनमें से 45,881 किमी का विद्युतीकरण किया जा चुका है। शेष 18,808 किमी का विद्युतीकरण किया जाना बाकी है। पश्चिम मध्य रेलवे और कोलकाता मेट्रो पहले से ही शत प्रतिशत विद्युतीकृत है। ऐसे में विद्युतीकरण का यह कार्य केवल 16 रेलवे जोन में ही होगा। इस मामले में सबसे अधिक 7,062 किमी बड़ी लाइन उत्तर रेलवे के हिस्से में आती है। इनमें से 1,550 किमी लाइन का विद्युतीकरण कार्य शेष है। इसके बाद 6,206 कुल बड़ी लाइन वाले दक्षिण मध्य रेलवे में 2,061 किमी लाइन का विद्युतीकरण किया जाना है। इसी प्रकार उत्तर पश्चिम रेलवे में 5,248 किमी बड़ी लाइन में से 3,062 किमी का विद्युतीकरण कार्य शेष है।
राष्ट्रीय गौरव
रेलमार्गों के विद्युतीकरण से जुड़ी कुछ बातें ध्यान देने वाली हैं, जिन्हें जानकर हमें गर्व की अनुभूति होनी चाहिए। करीब 70 हजार किलोमीटर लम्बी रेल लाइनों के साथ भारतीय रेल दुनिया की तीन सबसे लम्बी रेलवे सेवाओं में एक है। यह मार्ग की लंबाई है, जबकि पटरियों की लम्बाई सवा लाख किलोमीटर से भी ज्यादा है। इनमें सिंगल ट्रैक और डबल ट्रैक लाइनें हैं, ब्रॉड गेज, मीटर गेज़ और नैरो गेज सेवाएं हैं तथा अब डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर भी हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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