सभापति वेंकैया नायडू ने कहा है कि राज्यसभा के 12 विपक्षी सांसदों का निलंबन वापस नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सांसद अपने किए पर पश्चाताप करने की बजाय, उसे न्यायोचित ठहराने पर लगे हुए हैं। ऐसे में निलंबन वापस लेने का सवाल ही नहीं उठता है।
दरअसल, विपक्षी सांसदों ने किसान आंदोलन एवं अन्य मुद्दों के बहाने सदन में जमकर हंगामा किया था, जिसके बाद 12 सांसदों को पूरे सत्र से निलंबित कर दिया गया है। इसमें कांग्रेस के 6, शिवसेना और टीएमसी के 2-2 और सीपीएम और सीपीआई के 1-1 सांसद शामिल हैं।
शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने नियमों का हवाला देकर कहा कि सांसदों के निलंबन का कोई आधार नहीं है। इसलिए निलंबन का फैसला वापस लिया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सभापति से कहा कि सभी 12 विपक्षी सांसदों को सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति दी जाए। इस पर सभापति ने कहा कि निलंबन की कार्रवाई उनकी नहीं, बल्कि सदन की थी।
सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि 10 अगस्त को इन सदस्यों ने सदन की मर्यादा भंग की थी। सदन को गुमराह करने की कोशिश की, अफरा-तफरी मचाई, आसन पर कागज फेंका, कुछ तो टेबल पर भी चढ़ गए और मुझे ही पाठ पढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह यह सही तरीका नहीं है। सांसद अपने अर्मयादित व्यवहार पर पश्चाताप करने के बजाय इसे उचित ठहरा रहे हैं, इसलिए मुझे नहीं लगता कि विपक्ष की मांग पर विचार किया जाना चाहिए। सभापति ने कहा कि सांसदों का निलंबन वापस लेने का कोई सवाल ही नहीं उठता है।
बता दें कि सदन की मर्यादा भंग करने पर इन सांसदों पर कार्रवाई की मांग की गई थी। इस पर सभापति को फैसला लेना था, सोमवार को जैसे ही शीतकालीन सत्र शुरू हुआ, सभापति एम. वेंकैया नायडू ने फैसला सुना दिया।
टिप्पणियाँ