झारखंड में कांग्रेस के एक विधायक हैं इरफान अंसारी। ये विधानसभा में जामताड़ा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। इरफान झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इतने महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बावजूद इरफान अपनी मजहबी सोच से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं। इसी सोच के कारण उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आपत्तिजनक बातें की हैं। उनके कहने का अर्थ है कि प्रधानमंत्री को मार देना चाहिए, क्योंकि उन्होंने सैकड़ों किसानों को मरवाने के बाद तीन कृषि कानूनों को वापस लिया है। इरफान के इस बयान का भाजपा विधायक और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही ने कड़ा विरोध किया है। उन्होंने इरफान अंसारी को आईएसआई एजेंट तक कह दिया। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री को मार देने की बात कोई तालिबानी या आईएसआई एजेंट ही कर सकता है। ऐसा व्यक्ति कभी भी राष्ट्रहित की सोच रखी नहीं सकता। भानु प्रताप ने तो इरफान के मानसिक संतुलन बिगड़ने की भी बात कह दी। उन्होंने कहा कि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते उनकी जान—पहचान कांके स्थित मनोचिकित्सालय में भी है। अगर इरफान अपने इलाज के लिए मदद मांगेंगे तो वे उनकी मदद जरूर करेंगे।
सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल महतो कहते हैं, ''जो लोग तालिबान का समर्थन करते हैं, वे अपनी मजहबी सोच वाले होते हैं। इरफान ने प्रधानमंत्री के लिए ऐसी बातें करके खुद ही बता दिया कि वे अपने मजहब की सोच से ऊपर नहीं उठ पा रहे हैं। इरफान जैसे लोगों को लोकतंत्र से कोई मतलब नहीं है, उनके लिए तो मजहबी सोच ही है सब कुछ है।''
उल्लेखनीय है कि इमरान की मजहबी सोच के कारण ही उनके विधानसभा क्षेत्र में तालिबानी मानसिकता पनप रही है। ऐसा आरोप है कि उन्होंने मौखिक रूप से अपने विधानसभा क्षेत्र में कई सरकारी विद्यालयों में जुम्मे यानी शुक्रवार के दिन अवकाश रखने को कहा है, ताकि मुसलमान छात्र जुम्मे की नमाज अदा कर सकें। हालांकि कुछ संगठनों के विरोध करने पर शिक्षा विभाग ने दिखावे के लिए कुछ कागजी कार्रवाई की है, पर असलियत यह है कि इरफान के आतंक के कारण शिक्षा विभाग के अधिकारी इस गलत कार्य को रोक नहीं पा रहे हैं। इसलिए जामताड़ा के कई सरकारी विद्यालयों में नियमों की अनदेखी कर हर शुक्रवार को छुट्टी कर दी जाती है।
इरफान अपने विवादित और उकसावे वाले बयानों के लिए भी बदनाम हैं। कुछ समय पहले उन्होंने चंदनक्यारी से भाजपा विधायक अमर कुमार बाउरी को 'साउथ इंडियन गुंडा' कहा था। इस कारण कई दलित संगठनों ने उन्हें दलित विरोधी कहते हुए उनके बहिष्कार की घोषणा की थी।
जब इरफान ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए ऐसी घटिया बातें की हैं, तब उत्तर प्रदेश के कांग्रेसी नेता इमरान मसूद और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी की भी बातेें याद आ जाती हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले साल जब कोरोना की शुरुआत हो रही थी, तब कुरैशी ने कहा था कि मोदी को कोरोना हो जाए, वहीं इमरान मसूद ने मोदी के लिए बेहद आपत्तिजनक बातें की थीं। इन लोगों के बयानों का एक ही अर्थ निकलता है कि ये लोग लोकतांत्रिक रूप से चुने गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। यानी इनका लोकतंत्र में कतई विश्वास नहीं है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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