बांग्लादेश के मंत्री हसन का एक बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा है कि दुनिया भर में आतंक को पोसने वाली के नाते कुख्यात पाकिस्तान की गुप्तचर एजेंसी आइएसआइ बांग्लादेश में अराजकता फैलाकर उसे डावांडोल करने की साजिश रच रही है।
दुनिया इस बात से परिचित है कि किसी तरह पाकिस्तान की यह गुप्तचर एजेंसी आइएसआइ आतंकी गुटों की सहायता से दूसरे देश के आंतरिक हालात खराब करने के षड्यंत्र रचती आ रही है। भारत की कश्मीर घाटी में इसी के भेजे आतंकियों ने जिहाद छेड़ा हुआ था। आइएसआई लश्करे-तैयबा जैसे तमाम आतंकवादी गुटों को पालती रही है। अब इसी कुख्यात एजेंसी की टेढ़ी नजरें बांग्लादेश पर पड़ी हैं, इसलिए बांग्लादेश के मंत्री का उक्त बयान काफी मायने भी रखता है और चिंता का कारण भी है। एक रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि 2016 में हुए ढाका हमले की जांच में आतंकियों के पाकिस्तान में सैन्य प्रशिक्षण लेने का पता चला था।
आज पाकिस्तान की यही बदनाम गुप्तचर संस्था बांग्लादेश की राजधानी ढाका में इस्लामिक जिहाद को खाद—पानी देकर देश की जड़ें हिलाने की कोशिश कर रही है। बांग्लादेश लाइव न्यूज की रिपोर्ट पर गौर करने से पता चलता है कि लश्करे तैयबा और उसके साथ मिली आइएसआइ की हरकतों का खुलासा करते हुए बांग्लादेश के मंत्री हसन उल-इनू का कहना है कि पाकिस्तान की यह गुप्तचर एजेंसी बांग्लादेश की आजादी के समय से ही देश को अराजकता में धकेलने के हथकंडे अपनाती आ रही है। हसन का कहना है कि ये ऐसा विषय है जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश की राजधानी ढाका में 2016 में होली आर्टिसन बेकरी पर हमला हुआ था। उसकी जांच में पाकिस्तान का हाथ उजगार हुआ था। हमले की जवाबी कार्रवाई में पांच देशों के 20 आतंकी मारे गए थे। हमले के पीछे जमात-उल मुजाहिदीन बांग्लादेश की भूमिका थी। बांग्लादेश लाइव न्यूज की रिपोर्ट बताती है कि जमात के बारे में छानबीन से पता चला था कि इस आतंकी गुट के पीछे पाकिस्तान का जिहादी गुट लश्करे-तैयबा था। उसी हमले की जांच में बांग्लादेश सरकार को पता चला था कि जमात के जिहादी पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त थे। बांग्लादेश में जमात ने कट्टरवाद का भरपूर प्रसार किया है।
ताजा जानकारी के अनुसार जमात तथा लश्करे-तैयबा ने मिलकर बांग्लादेश के काक्स बाजार तथा बंदरबन के दूरस्थ इलाकों में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों को उकसाना शुरू कर दिया है। म्यांमार के पूर्व राष्ट्रपति हतिन क्याव देश की सीमा चौकियों पर हमलों के लिए रोहिंग्या जिहादी गुट अका मूल मुजाहिदीन को जिम्मेदार ठहरा चुके हैं।
इसमें संदेह नहीं है कि अफगानिस्तान में अपने कठपुतली जिहादियों को सत्ता में काबिज करने के बाद आइएसआइ के जिहादी हौसले बुलंद हैं। भारत सहित अन्य पड़ोसी देशों में इसकी आतंकी हरकतें और बढ़ने का अंदेशा रक्षा विशेषज्ञों को पहले से था। इसलिए भारत से सटे बांग्लादेश में ऐसी हरकतें होना और वहां के वरिष्ठ मंत्री का इस खतरे को सार्वजनिक तौर पर बताना आने वाले दिनों में एक बड़ी चुनौती की आहट दे रहा है।
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