पाकिस्तान की जेल में कैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को अब वहां की संसद ने अपनी मौत की सजा के विरुद्ध अपील करने की सहूलियत दी है। पाकिस्तान की संसद ने यह फैसला इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के दबाव के बाद किया है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को गत चार वर्ष से जासूसी के आरोप में जेल में कैद किया हुआ है। कुलभूषण को वहां की सैन्य अदालत ने सजा सुनाई थी। लेकिन अब पाकिस्तान के उच्च सदन द्वारा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (रिव्यू एंड री-कन्सीडरेशन) अध्यादेश 2020 को पारित करके कुलभूषण को अपनी मौत की सजा के विरुद्ध अपील करने की इजाजत दे दी है।
अंतरराष्ट्रीय कोर्ट की तीखी टिप्पणी के बाद पाकिस्तान की सरकार और संसद हरकत में आए थे और 17 नवम्बर को संसद के संयुक्त सत्र में अंतत: एक कानून पारित किया, जिसके तहत वहां की जेल में कैद भारत के नागरिक कुलभूषण जाधव को अपनी सजा के विरुद्ध अपील का हक दे दिया गया है। भारतीय नौसेना से अवकाश प्राप्त अधिकारी 51 साल के कुलभूषण को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी और आतंकवाद के 'फर्जी' आरोप के तहत अप्रैल 2017 में मौत की सजा दी थी।
पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को काउंसलर की सुविधा देने से मना कर दिया था। उसके बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) में दस्तक दी थी। दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने जुलाई 2019 में पाकिस्तान को साफ निर्देश दिया था कि जाधव को काउंसलर सुविधा उपलब्ध कराई जाए और सजा की समीक्षा सुनिश्चित की जाए।
यहां बता दें कि पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को काउंसलर की सुविधा देने से मना कर दिया था। उसके बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) में दस्तक दी थी। दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने जुलाई 2019 में पाकिस्तान को साफ निर्देश दिया था कि जाधव को काउंसलर सुविधा उपलब्ध कराई जाए और सजा की समीक्षा सुनिश्चित की जाए।
उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के उस आदेश पर इतने दिन तक चुप्पी साधे रहने के बाद अब 17 नवम्बर को पाकिस्तान में सीनेट और नेशनल एसेंबली के संयुक्त सत्र में देश के कानून मंत्री एफ. नसीम ने उक्त इंटरनेशनल कोर्ट आफ जस्टिस (रिव्यू एंड रीकंसिडरेशन) विधेयक-2021 पेश किया जिसे सदन द्वारा ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इससे कुलभूषण के मामले में एक दिलचस्प मोड़ आने की उम्मीद है, क्योंकि अब यही एक रास्ता बचा था उनकी मौत की सजा के विरुद्ध अपील करने का।
टिप्पणियाँ