कर्नाटक की 72 वर्षीय महिला तुलसी गौड़ा को पर्यावरण में अहम योगदान देने के लिए राष्ट्रपति ने उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। तुलसी करीब छह दशक से पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में शामिल हैं। अब तक करीब 30,000 से अधिक पौधे लगा चुकी हैं। राष्ट्रपति से सम्मान लेने वे अपने पारंपरिक परिधान और नंगे पैर पहुंची थीं। इस दौरान जब उनका सामना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से हुआ तो दोनों हस्तियों ने उन्हें नमस्कार किया। यह तस्वीर सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रही है। हर कोई जानना चाह रहा है कि आखिर तुलसी गौड़ा कौन हैं?
तुलसी गौड़ा का जन्म कर्नाटक में हलक्की जनजाति में हुआ था। घर में बेहद गरीबी थी, जिसकी वजह से उन्हें औपचारिक शिक्षा तक नसीब नहीं हो सकी। बचपन से ही उन्हें पेड़-पौधों से काफी लगाव था। इसलिए ज्यादातर समय वे जंगलों में ही बिताती थीं। धीरे-धीरे पेड़-पौधों और जड़ी-बूटियों की विविध प्रजातियों की जानकारी हो गई। उसी ज्ञान के कारण आज उन्हें 'जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया' के रूप में जाना जाता है।
तुलसी अब 72 साल की हो गई हैं। 12 साल की उम्र से उन्होंने हजारों पेड़ लगाए और उनका ख्याल रखते हुए उन्हें बड़ा किया। वे एक अस्थायी स्वयंसेवक के रूप में भी वन विभाग में शामिल हुईं, जहां उन्हें प्रकृति संरक्षण के प्रति समर्पण के लिए पहचान मिली। हालांकि बाद में उन्हें उन्हें विभाग में स्थायी नौकरी की पेशकश की गई। इतनी उम्र में भी वे पौधों का पालन पोषण करना और युवा पीढ़ी के साथ अपना ज्ञान को साझा करने का काम जारी रखे हुए हैं।
आंध्र-प्रदेश के भाजपा प्रमुख विष्णु वर्धन रेड्डी ने ट्वीट किया कि आज, 72 साल की उम्र में भी, तुलसी गौड़ा पर्यावरण संरक्षण के महत्व को बढ़ावा देने के लिए पौधों का पोषण करना और युवा पीढ़ी के साथ अपने विशाल ज्ञान को साझा करना जारी रखे हुए हैं। वह एक आदिवासी-पर्यावरणविद् हैं, जिन्होंने 30,000 से अधिक पौधे लगाए हैं। तुलसी गौड़ा एक गरीब और सुविधाओं से वंचित परिवार में पली-बढ़ीं। बावजूद इसके उन्होंने जंगल का पालन-पोषण किया है।
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