वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्र के थाना फूलपुर अंतर्गत रामपुर गांव में गत 29 अक्टूबर को एक महिला सुशीला देवी की मृत्यु हो गई थी। अगले दिन मृतका के पति सचाऊ नट अपने समुदाय के लोगों के साथ शव को दफनाने के लिए गए। नट समुदाय के लोग मृत्यु होने पर शव को दफनाते हैं।
जानकारी के अनुसार, नट समुदाय के लोगों को अंतिम संस्कार करने से रोका गया। गांव के मुसलमानों ने शव को दफनाने से रोक दिया। मुसलमानों की तरफ से नट समुदाय के लोगों पर ‘कन्वर्जन’ का दबाव बनाया गया। यह कहा गया कि ‘कन्वर्जन’ के बाद ही शव को दफनाने दिया जाएगा।
इस घटना की जानकारी जब हिन्दू संगठनों को हुई तो पुलिस को सूचना दी गई। घटना स्थल पर पहुंच कर पुलिस ने अंतिम संस्कार कराया। हिन्दू जागरण मंच के गौरीश सिंह के अनुसार, ‘कन्वर्जन’ के लिए दबाव बनाया जा रहा था, जो लोग ‘कन्वर्जन’ का दबाव बना रहे थे। वो भी पहले नट समुदाय में थे। बाद में उन लोगों ने कन्वर्जन कर लिया था। अब वो लोग चाह रहे थे कि नट समुदाय के अन्य लोग भी ‘कन्वर्जन’ कर लें। पुलिस को दिए गए शिकायत पत्र में कहा गया है कि भू-समाधि जहां पर दी जाती है। वह उनकी परम्परागत भूमि है।
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