राकेश सैन
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री ने पूर्व घोषणा के अनुसार कांग्रेस से अलग राह पकड़ ली है। उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस नाम से अपनी पार्टी का गठन कर कांग्रेस को त्यागपत्र दे दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे 7 पन्नों के अपने त्यागपत्र में उन्होंने लगभग उन सभी आरोपों जैसे- परिवारवाद, भ्रष्टाचार, पद का अहंकार, छोटे कार्यकर्ताओं की अनदेखी सहित अनेक आरोपों की पुष्टि है, जो अभी तक कांग्रेस पर लगते आए हैं।
कैप्टन ने अपने पत्र में पार्टी की हर विसंगति पर प्रकाश डाला है और देश की सबसे पुरानी पार्टी की कार्य संस्कृति सवालिया निशान लगा दिया है। रोचक बात है कि कहीं न कहीं कैप्टन ने बेबाकी से यह भी स्वीकार किया है कि वे भी इसी संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। इस पत्र में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस के लिए परेशानी खड़ी करने के संकेत दिए। साथ ही, कई मुद्दे उठाए हैं और कई खुलासे भी किए हैं। इससे कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
अवैध खनन में कांग्रेस के विधायक-मंत्री शामिल
उन्होंने अवैध रेत-बजरी खनन पर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने लिखा है कि अवैध रेत व बजरी खनन में कांग्रेस के कई मंत्री और विधायक भी शामिल हैं। ये लोग उनकी सरकार में शामिल थे और प्रदेश की वर्तमान सरकार में भी शामिल हैं। कैप्टन ने लिखा है कि पार्टी के हितों को ध्यान में रखते हुए इन मंत्रियों-विधायकों के नाम नाम उजागर नहीं किए। हालांकि उन्होंने इस बात के भी संकेत दे दिए कि आने वाले समय में वह अवैध रेत खनन में लिप्त मंत्रियों और विधायकों के नामों की घोषणा कर सकते हैं। उन्हें इस बात का दुख है कि इन मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि कांग्रेस पार्टी की बदनामी हो और पार्टी को शर्मिंदगी का सामना करना पड़े। इसके अलावा, कैप्टन ने पंजाब कांग्रेस के पूर्व प्रभारी हरीश रावत पर भी हमला किया और उन्हें संदिग्ध बताया है। बता दें कि हरीश रावत के पंजाब के प्रभारी बनने से पहले तक कैप्टन की सरकार बगैर किसी विघ्न के चल रही थी और उनके प्रभारी बनने के बाद ही स्थितियों में बदलाव होना शुरू हो गया। सुनील जाखड़ को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर सिद्धू को प्रधान बनाया गया। बाद में कैप्टन ने भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
कांग्रेस की दुखती रग दबाते रहेंगे
त्यागपत्र में उन्होंने जहां अपने राजनीतिक करियर का जिक्र किया है, वहीं इस बात के संकेत भी दिए हैं कि कांग्रेस की दुखती रग को दबाते रहेंगे। कैप्टन ने अपनी सरकार के अच्छे कामों का उल्लेख करते हुए संकेत दिए हैं कि वे अवैध खनन के मुद्दे पर पर कांग्रेस के लिए परेशानियां खड़ी कर सकते हैं। करीब एक साल पहले उन्होंने विधानसभा में कुछ दस्तावेज दिखाते हुए कहा था कि उनके पास अवैध रेत का कारोबार करने वाले लोगों का कच्चा चिट्ठा है। गृह मंत्री होने के नाते उन्हें यह रिपोर्ट खुफिया एजेंसी उन्हें उपलब्ध करवाती थी। कैप्टन ने कहा है कि वह ऐसे नामों को सार्वजनिक करने की इच्छा रखते हैं।
सोनिया और मनमोहन ने फोन नहीं उठाया
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 2004 में जब सतलुज यमुना संपर्क नहर के पानी को लेकर उनकी सरकार ने वाटर टर्मिनेशन एक्ट पारित किया था, तो उस समय केंद्र में संप्रग की सरकार थी। मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार इस कानून को पारित किए जाने को लेकर पंजाब के पक्ष में नहीं थी। कैप्टन ने लिखा है, ‘मैं लगातार नौ महीने तक फोन करता रहा, लेकिन सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने मेरा फोन तक नहीं उठाया।‘ कैप्टन ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत 1969 में कांग्रेस से की थी। 1984 में पंजाब में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद वे कांग्रेस छोडक़र अकाली दल में शामिल हो गए। इसके बाद 1998 में फिर कांग्रेस में लौटे और अब 24 साल बाद एक बार फिर कांग्रेस छोडक़र अपनी पार्टी बना ली है।
सोनिया, राहुल और प्रियंका को भी नहीं बख्शा
अपने त्यागपत्र में उन्होंने सोनिया गांधी पर भी हमला किया है। उन्होंने लिखा कि नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर आपने अपने बच्चों के कहने पर आखें मूंदकर निर्णय ले लिया। जब सिद्धू मुझ पर और मेरी सरकार पर हमला कर रहे थे तो आपके बच्चों ने उस पर लगाम लगाने के बजाय सिद्धू को संरक्षण दिया। उन्होंने यह भी कहा कि सिद्धू को अध्यक्ष बनाकर हाईकमान पछता तो जरूर रहा होगा। कैप्टन ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सिद्धू को लेकर राहुल और प्रियंका पर भी हमला किया। उन्होंने कहा कि विधायकों के विरोध के बावजूद सिद्धू को कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, जबकि सिद्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी हैं। सिद्धू ने पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल बाजवा से गले मिले थे।
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