मनोज ठाकुर
हरियाणा में यमुनानगर जिले के छछरौली के रामकुमार का जीवनी निधि कंपनी लि. नाम से माइक्रो फाइनेंस का कारोबार था। लेकिन लॉकडाउन में काम ठप-सा हो गया। उनके अधिकांश ग्राहक सीमित आय वाले थे। जिन लोगों ने कंपनी से कर्ज लिया था, वे इसे लौटाने की स्थिति में नहीं थे, क्योंकि उनके पास काम नहीं था। इसलिए उन पर दबाव भी नहीं डाला जा सकता था। ब्याज की किस्तें भी आनी बंद हो गई थीं। छह माह तक ब्याज की किस्तें नहीं आर्इं तो उनकी चिंता बढ़ गई। उन्हें कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या किया जाए।
रामकुमार का आयुर्वेदिक दवाओं का भी कारोबार है, लेकिन लॉकडाउन में यह भी प्रभावित हुआ। उन्हें अपने डांवाडोल होते कारोबार के साथ अपने कर्मचारियों की भी चिंता थी। तभी उन्हें विचार आया कि घरेलू स्तर पर ही दूसरा काम शुरू किया जाए। काम ऐसा हो, जिसमें उनके माइक्रो फाइनेंस के ग्राहक और कर्मचारियों को काम मिल सके।
काफी सोच-विचार के बाद उन्होंने मसाले बनाने की एक इकाई लगाई और शिरोमणि मसाले नाम से मसालों का उत्पादन करने लगे। रामकुमार ने बताया कि उनकी कंपनी की ज्यादातर ग्राहक महिलाएं हैं, जो स्वयं सहायता समूह चलाती हैं। लॉकडाउन में इन समूहों से जुड़ी महिलाओं के पास काम नहीं था। इस तरह उन्होंने न सिर्फ खुद को मुश्किल वक्त से निकाला, बल्कि अब तक 70 महिलाओं को रोजगार भी दे चुके हैं।
रामकुमार ने बताया कि शुरुआत में वे हाथ से कूटकर मसाले तैयार करते और स्थानीय स्तर पर इसकी आपूर्ति करते। पहले चरण में 20 महिलाएं और कंपनी के 12 कर्मचारियों को सीधे काम मिला। देखते-देखते काम बढ़ने लगा, क्योंकि गांवों में चलने वाले स्वयं सहायता समूहों में उनकी अच्छी पकड़ थी। इसलिए एक माह बाद ही आॅर्डर बढ़ने लगे। अब वे हाथ और मशीन, दोनों से मसाले तैयार करते हैं।
आज उनका माइक्रो फाइनेंस का काम भी पटरी पर आ गया है। साथ में मसालों का कारोबार भी अच्छा चल रहा है। उनके साथ-साथ स्वयं सहायता समूह की भी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हुई है।
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