कांग्रेस विधायक ने गुंडों के साथ शासकीय कर्मचारी को बेरहमी से पीटा, भूपेश की पुलिस ने नहीं दर्ज किया मामला
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कांग्रेस विधायक ने गुंडों के साथ शासकीय कर्मचारी को बेरहमी से पीटा, भूपेश की पुलिस ने नहीं दर्ज किया मामला

by पंकज झा
Oct 28, 2021, 02:17 pm IST
in भारत, छत्तीसगढ़
कांग्रेस के स्थानीय विधायक विनोद चंद्राकर

कांग्रेस के स्थानीय विधायक विनोद चंद्राकर

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प्रदेश के महासमुंद के आबकारी विभाग में पिछड़े समाज से आने वाले लिपिक लीलाराम साहु अपना दैनंदिन शासकीय कार्य निपटा रहे थे। तभी कांग्रेस के स्थानीय विधायक विनोद चंद्राकर अपने गुंडों के साथ वहां पहुचे और लीलाधर पर ताबड़तोड़ हमला शुरू कर दिया। विधायक के साथ आये गुंडों ने साहु की इतनी पिटाई की कि मुश्किल से वह अपनी जान बचा पाए

 

 

 

बहुत अधिक दिन नहीं हुए, जब छत्तीसगढ़ की ख्याति देश के सबसे शांत एवं अपराधमुक्त प्रदेश के रूप में थी। नक्सल आतंक के अलावा शायद ही कभी ऐसा होता जब इसका जिक्र समाचारों में अपराध की खबरों के लिए होता था। लोग इतने भले और भोले कि अगर आवेश में कोई अपराध हो भी जाए, तो खुद अपना अपराध स्वीकार करने यहां के वनवासी जन मीलों चलकर अपने निकटवर्ती थाने में पहुंच जाते थे। ऐसा शांत प्रदेश पिछले दो-ढाई वर्ष से अपराध-तस्करी-आतंक की आग में झुलस रहा है। सबसे दुखद यह है कि लगभग हर तरह के अपराधों का न केवल सत्ताधारी कांग्रेस का मौन समर्थन जैसा प्राप्त है बल्कि अनेक मामलों में तो खुद पार्टी के प्रतिनिधि और नेतागण किसी पेशेवर अपराधी की तरह जनता से पेश आ रहे हैं। इसका सबसे अधिक खामियाजा प्रदेश के दलित, वंचित और वनवासी तबके को भुगतना पड़ रहा है।

गत मंगलवार की घटना तो दिल दहला देने लायक है। प्रदेश के महासमुंद के आबकारी विभाग में पिछड़े समाज से आने वाले लिपिक लीलाराम साहु अपना दैनंदिन शासकीय कार्य निपटा रहे थे।तभी कांग्रेस के स्थानीय विधायक विनोद चंद्राकर अपने गुंडों के साथ वहां पहुचे और लीलाधर पर ताबड़तोड़ हमला शुरू कर दिया। विधायक के साथ आये गुंडों ने साहु की इतनी पिटाई की कि मुश्किल से वह अपनी जान बचा पाए। इस दौरान दफ्तर के कमरे भी बंद कर दिए गए थे। अन्य अधिकारीगण किसी तरह वहां पहुंचे और उस युवक की जान बमुश्किल बच पायी। आश्चर्य यह है कि पीड़ित का बयान और वारदात के वीडियो साक्ष्य समेत हर तरह का प्रमाण होने के बावजूद भी अपराधी विधायक और संसदीय सचिव के खिलाफ यह पंक्ति लिखे जाने तक मुकदमा नहीं दर्ज हो पाया है। जबकि सीधे तौर पर यह मामला हत्या की कोशिश और शासकीय कार्य में बाधा डालने समेत अनेक संज्ञेय अपराधों के तहत दर्ज होना चाहिए।

 

 

विपक्ष ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रया दी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय कहते हैं,“ विधायक और संसदीय सचिव चंद्राकर की मौज़ूदगी में मंगलवार को जो कुछ हुआ, वह कांग्रेस के चरित्र की एक बानगी है। संसदीय सचिव के नाते प्रदेश सरकार का एक अंग होकर मारपीट करने वाले की क़रतूतों के चलते जंगलराज जैसा आलम पूरे प्रदेश में देखा जा रहा है। कांग्रेस के लोग सत्ता की धौंस दिखाकर प्रदेश को अराजकता के गर्त में धकेल रहे हैं।” साय ने विधायक और मंत्री (दर्ज़ा प्राप्त) चंद्राकर को सभी पदों से हटाये जाने और उनकी गिरफ्तारी की मांग की। इसी तरह प्रदेश के कर्मचारियों के संगठन भी इस नृशंस घटना को लेकर आक्रोशित है। प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रांत अध्यक्ष विजय कुमार झा ने भी घटना की निंदा करते हुए अभी तक मुकदमा नहीं दर्ज होने पर आश्चर्य व्यक्त किया है। चौतरफा दबावों के बावजूद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उत्तर प्रदेश के चुनाव में व्यस्त हैं। इधर प्रदेश की क़ानून व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है।

प्रदेश की सत्ताधारी कांग्रेस के नेताओं द्वारा इस तरह की हरकतों का यह पहला मामला भी नहीं है। हाल ही में प्रदेश के कवर्धा में प्रदेश का पहला साम्प्रदायिक दंगा हुआ और पहली ही बार इस कारण कर्फ्यू लगाना पड़ा। स्थानीय विधायक और शासन के कद्दावर मंत्री मोहम्मद अकबर का संरक्षण उस दंगे में था, ऐसा साफ़-साफ़ भाजपा का आरोप है। लेकिन बजाय मंत्री और उनके समर्थकों पर कारवाई के आवाज़ उठाने पर भाजपा और हिन्दू संगठनों के लोगों पर ही मुकदमा दर्ज किया गया। भाजपा सांसद संतोष पाण्डेय, पूर्व सांसद अभिषेक सिंह समेत दर्जनों भाजपा नेताओं और हिन्दू कार्यकर्ताओं पर न केवल अनर्गल धाराओं में मुकदमें दर्ज कर दिए गए हैं बल्कि वहां लोगों को पुलिस द्वारा घर से खींच-खींचकर बर्बर पिटाई की गई। अभी भी प्रदेश भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष विजय शर्मा समेत दर्जनों कार्यकर्ता विभिन्न जेलों में बंद हैं और पुलिस एकतरफा कार्रवाई कर माहौल को और बिगाड़ ही रही है। यहां तक कि बिना किसी जांच के आईजी जैसे पुलिस अधिकारी भी कांग्रेस प्रवक्ता की तरह बयानबजी कर दंगाइयों को शह ही दे रहे, ऐसा लग रहा है।

इससे पहले प्रदेश के धमतरी में जिला पंचायत के सदस्य भाजपा नेता खूबलाल ध्रुव की बर्बर पिटाई हो, ईसाई मिशनरी द्वारा संविधान जलाने की धमकी और कन्वर्जन की बात हो या अम्बिकापुर में रोहिंग्याओं के बसाये जाने की कोशिशों का, कांकेर में प्रख्यात पत्रकार की बेदम पिटाई का, तस्करों द्वारा दुर्गा विसर्जन के अवसर पर शोभायात्रा में तेज रफ़्तार गाड़ियों से कुचल कर श्रद्धालुओं की हत्या और उन्हें घायल करने का…लगातार प्रदेश में ऐसी घटनाओं ने कानून-व्यवस्था की धज्जियां उडाई हैं। लेकिन प्रशासन की अक्षमता या एकतरफा कार्रवाई ने हालात को बिगाड़ने का ही काम किया है। मादक पदार्थों की तस्करी करने वालों को तो कांग्रेस का कैसा शह है, यह इससे समझा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सांसद के. टी. एस तुलसी ने खुलेआम यह कहा है कि लोगों को ड्रग्स आदि सेवन की कानूनी अनुमति देनी चाहिए। बकौल तुलसी–ड्रग्स गम को भुलाने के लिए ज़रूरी है।

नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों की मानें तो पिछले दो वर्ष में रोज बारह से अधिक महिलाओं से दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म की घटनाएं हुई हैं। नाबालिग़ वनवासियों से अत्याचार समेत अन्य अनेक आपराधिक मामलों में छत्तीसगढ़ अब पहले-दूसरे स्थान पर है। ये तो ऐसे मामले हैं, जो बमुश्किल दर्ज हो पा रहे हैं। पिछले दिनों तो एक पीड़िता के पिता ने इसलिए आत्महत्या की कोशिश की क्योंकि उनकी शिकायत दर्ज नहीं की जा रही थी। इससे मामले की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है। जैसा कि भाजपा के एक नेता कहते हैं–सीएम बघेल को लखीमपुर के लिए फुरसत है, कांग्रेस के हर चुनाव में जाकर नेतागिरी करना आता है उन्हें, लेकिन प्रदेश के लिए उनके पास समय नहीं है। ऐसा गैर जिम्मेदार और संवेदनहीन मुख्यमंत्री शायद ही भारत में कोई और हुआ है। मोटे तौर पर यह कुछ-कुछ वैसा ही है, जैसा रोम जल रहा था और नीरो वंशी बजा रहा था।
 

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