ट्विटर पर अचानक #IndiaVsPak, #Congress, #gaddar ट्रेंड होने लगा। मोदी विरोध में कांग्रेसी मानसिकता वाले नेता, पत्रकार, विश्लेषक इस हद तक जा चुके हैं कि वे भारत विरोध पर उतर गए हैं। एंकर सुशांत सिन्हा लिखते हैं, ''इंडिया पाकिस्तान का क्रिकेट मैच हो और उसमें भारत की जीत की कामना करना अगर आपको “भक्त” का सर्टिफिकेट दिलवाता हो और भारत की हार पर खुश होना आपको कांग्रेसी प्रवक्ता बनाता हो तो इस देश के करोड़ों लोगों के लिए चुनाव बहुत आसान है। “भक्त” के पीछे “राष्ट्र” साइलेंट है बस।''
गद्दार और भक्त की बहस कांग्रेस की राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक राधिका खेरा के ट्वीट से प्रारंभ हुई, ''क्यों भक्तों आ गया स्वाद, करवा ली बेइज्जती।''
भारत—पाकिस्तान के मैच में भारत की हार के बाद कांग्रेस का ही मान बढ़ सकता है। यदि ऐसा नहीं होता तो एक जिम्मेवार पद पर बैठी कांग्रेसी खेरा को इस हार में सिर्फ मोदी समर्थकों की बेइज्जती ही क्यों नजर आती। क्या खेरा की कांग्रेस यह मानती है कि जो भारत के हक की बात कर रहा है, जो भारत की हार में अपनी हार देख रहा है वह प्रधानमंत्री मोदी के साथ है और जो लोग भारत की हार पर भारत में रहकर पटाखे जला रहे हैं, वे सब कांग्रेसी हैं। जिनकी तरफ से कांग्रेस ने यह सवाल पूछा कि पाकिस्तान से क्रिकेट मैच हारकर भक्तों आ गया स्वाद। करवा ली बेइज्जती।
क्या खेरा इस हार के बाद दिल्ली की सीमापुरी में उन पटाखा दगाने वालों के बीच कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करने चली गई थीं, जिन्होंने पाकिस्तान की जीत में अपनी जीत को शामिल समझा।
वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी सही लिखते हैं, 'पाकिस्तान की जीत पर भारत में पटाखे जलाकर ख़ुशियाँ मनाने वाले ना तो शांतिदूत हैं, ना सच्चे भारतीय हैं। पंथ निरपेक्षता और अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर ये नाटक बंद होना चाहिए। इन्हें घर, रोज़गार, अस्पताल, स्कूल, वैक्सीन भारत के चाहिए और तालियां पाकिस्तान के लिए बजाते हैं। इट हैज टु स्टॉप।''
सामाजिक—राजनीतिक कार्यकर्ता कपिल मिश्रा का पूरे मुद्दे पर किया गया व्यंग्य मात्र व्यंग्य रह जाता यदि उसे कांग्रेस की राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक राधिका खेरा के ट्वीट के परिप्रेक्ष्य में नहीं देखा होता। अब कपिल का व्यंग्य डराने लगा है। कपिल लिखते हैं — ''मेरी नानी कहती थीं : बेटा जो ये तुम भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश के मैच का मज़ा ले रहे हो ना वो सब कांग्रेस की वजह से ही है ! कांग्रेस को वोट दिया तो आगे भारत बनाम केरल/बंगाल/असम/कश्मीर के मैच मजा भी मिल सकता है।'' ऐसा लग रहा है कि खेरा जैसी कांग्रेसी मानसिकता इसे सच साबित करना चाहती है।
स्कीन डॉक्टर नाम के यूजर ने खेरा और उनकी कांग्रेस को सही जवाब दिया। स्कीन डॉक्टर ने लिखा— अपनी टीम की हार से हां हम दुखी हैं। (पाकिस्तान की) इस उत्कृष्ट जीत पर आपको और आपकी टीम (कांग्रेस) को हार्दिक बधाई।
3 मई, 2014 को राधिका ने ही ट्वीट किया था — ''कांग्रेस मेरी डीएनए में है।'' भारत—पाकिस्तान क्रिकेट मैच के बाद खेरा का कांग्रेसी डीएनए पूरे देश ने देख लिया।
पत्रकार मधुरेन्द्र कुमार ने इस मौके पर सही टिप्पणी की है— ''आपके आस—पास अगर पटाखे फूट रहे हैं तो समझ लीजिए खतरा सीमा पार नहीं। आपके पड़ोस में है।''
जब कांग्रेस को लगा कि वे समाज के सामने एक्सपोज हो रहे हैं फिर कांग्रेस इकोसिस्टम पटाखे दगाये जाने पर सक्रिय हुआ। उनका पक्ष था कि पटाखे करवा चौथ की खुशी में दगाये गए। करवा चौथ को जो जानते हैं, उन्हें पता है कि यह तर्क हास्यास्पद है। कांग्रेस की जिहादी मानसिकता के बचाव में उतरे लोगों के पास इस सवाल का जवाब तो नहीं मिल रहा कि करवा चौथ पर मुसलमान महिलाएं कब से व्रत रखने लगी? क्योंकि पटाखे तो मुस्लिम बहुल इलाकों में ही दगे हैं।
पंकज कुमार झा ने पिछले विश्व कप को याद करते हुए लिखा कि उस दौरान एक वामी विचारक ने लिखा था कि भारत को मैच हारना चाहिए। जीतने पर राष्ट्रवाद काफी बढ़ जाता है। माहौल खराब होता है।
इस तरह की टिप्पणी पढ़कर यही कहा जा सकता है कि कांग्रेस इकोसिस्टम की वाम विचारधारा से सावधान रहने की आवश्यकता है। यह लोग मोदी विरोध में इतने अंधे हो चुके हैं कि देश के दुश्मनों के साथ जाकर खड़े होने में भी शर्मिन्दा नहीं हो रहे। यह देश के हित में लिए जा रहे मोदी सरकार के हर एक फैसले के खिलाफ हैं। इस मानकसिकता को पहचान कर, उसे सही जवाब दिए जाने की जरूरत है।
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