अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां बचे गिनती के हिन्दू—सिख परिवारोें ने अपने उत्सव—त्योहारों पर भजन—कीर्तन की परंपरा जारी रखी है। यह साफ होता है एक वायरल हुए वीडियो से जिसमें काबुल के असमाई मंदिर में भक्तजन 'हरे राम-हरे कृष्ण' गाते दिख रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कट्टर मजहबी और शरिया पर राज चला रहे तालिबान लड़ाकों की हैवानियत ने पूरे देश में अल्पसंख्यकों यानी पीढ़ियों से वहां बसे हिन्दू-सिखों में दहशत पैदा कर दी है। लेकिन ऐसे में भी इन लोगों ने प्रभु भक्ति के बल पर अपने अंदर एक हौसला, एक उम्मीद कायम रखी है। वायरल हुए वीडियो ने अफगानिस्तान ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के हिन्दुओं में एक आस पैदा की है और खौफ को कुछ कम किया है। पूरी दुनिया में नवरात्रि का उत्सव धूमधाम से मनाया गया है जो अफगानिस्तान के हिन्दू भी भला पीछे क्यों रहते। वे जितनी संभव हो पाई उतनी संख्या में काबुल के असमाई मंदिर गए और देवी मां के भजन के साथ ही 'हरे राम-हरे कृष्ण' का सस्वर गान किया। इसमें महिलाओं और पुरुषों को ढोलक और मंजीरों के साथ कीर्तन करते हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी साझा किया गया है।
मंदिर में एकत्र हिंदुओं ने भारत सरकार से अपील की कि बढ़ती आर्थिक तथा सामाजिक परेशानियों को देखते हुए
उन्हें वहां से जल्द से जल्द निकाला जाए। केस खाने-पीने तक के पैसे नहीं हैं।
एक पत्रकार, रविंदर सिंह रॉबिन ने अपने ट्विटर हैंडल पर मंदिर में भक्तों के 'हरे-राम, हरे-कृष्ण' भजन का वीडियो साझा किया है। वीडियो के साथ उन्होंने लिखा है कि गत सोमवार रात को स्थानीय हिंदुओं लोगों ने काबुल के प्राचीन असमाई मंदिर में नवरात्रि का त्योहार मनाया। रविंदर के अनुसार, मंदिर में एकत्र हिंदुओं ने भारत सरकार से अपील की कि बढ़ती आर्थिक तथा सामाजिक परेशानियों को देखते हुए उन्हें वहां से जल्द से जल्द निकाला जाए।
मंदिर में हुए इस कार्यक्रम में हिन्दुओं और सिखों ने भंडारे का आयोजन कर जरूरतमंदों को भोजन भी कराया। अफगानिस्तान में इन दिनों खाने के लाले पड़े हुए हैं ऐसे में भंडारे का आयोजन कर उन्होंने स्थानीय निवासियों का दिल जीत लिया।
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