उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने शरद पवार के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. शरद पवार ने अपने बयान में लखीमपुर खीरी की घटना की तुलना जलियांवाला बाग़ से की थी.
उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री एवं प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा है कि लखीमपुर मामले पर एनसीपी नेता शरद पवार का बयान अनावश्यक और अनैतिक है. शरद पवार को महाराष्ट्र की वर्ष 1994 की घटना को याद करना चाहिये. उस घटना में पुलिस ने लाठी चार्ज किया था. लाठी चार्ज में हुई भगदड़ के कारण गोवारी समुदाय के 114 लोग मारे गए थे और करीब 500 व्यक्ति घायल हुए थे.
सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि इस घटना का उल्लेख इसलिए आवश्यक है क्योंकि शरद पवार उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे. शरद पवार के आदेश पर ही पुलिस ने नागपुर में गोवारी समुदाय के लोगों पर लाठीचार्ज किया था.
उन्होंने कहा कि लखीमपुर की घटना की तुलना जलियांवाला बाग से करना एकदम गलत है. महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री रहते हुए पवार ने उस घटना पर कोई अफ़सोस नहीं जाहिर किया था. गोवारी समुदाय के लोगों की सहायता करने के बजाय उन लोगों का दमन किया गया था.
उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी घटना का कलंक लिए हुए पवार जैसे नेता अगर लखीमपुर की घटना पर बयान देते हैं तो किसी भी दृष्टि से इसे उचित नहीं कहा जा सकता है. लखीमपुर की घटना के ठीक बाद योगी सरकार ने वरिष्ठ अधिकारियों को घटना स्थल पर भेजा. इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच करवाई. इस घटना के न्यायिक जांच के भी आदेश दे दिए हैं.
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