उत्तर प्रदेश जनसंख्या के लिहाज से दुनिया के पांचवें सबसे बड़े देश के बराबर है। परंतु कानून-व्यवस्था और बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर प्रदेश का उद्योगीकरण मार खा जाता था। प्रदेश की योगी सरकार ने इसे चुनौती के रूप में लिया और आज यह राज्य कारोबार सुगमता के मामले में देश में दूसरे पायदान पर पहुंच गया है। आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में तीन लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। स्पष्ट है कि प्रदेश उद्योगीकरण की राह पर सरपट दौड़ने को तैयार है
आलोक पुराणिक
करीब 24 करोड़ की जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश यानी यूपी को अगर हम एक देश के तौर पर देखना शुरू करें, तो यह जनसंख्या के लिहाज से विश्व का पांचवां बड़ा देश होता। ब्राजील को दुनिया के बड़े देशों में गिना जाता है, विश्व के महत्वपूर्ण समूह ब्रिक्स का महत्वपूर्ण सदस्य है ब्राजील। उत्तर प्रदेश जनसंख्या के मामले में ब्राजील के बराबर वाला देश है। कुल मिलाकर सच यह है कि उत्तर प्रदेश का विकास सिर्फ उत्तर प्रदेश का विकास नहीं है, समस्त देश और दुनिया का स्तर भी उससे ऊपर उठता है। दुनिया के कई देशों की जनसंख्या को अपने-आप में समेटने वाला यूपी सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए जब यूपी के विकास की बात होती है कि तो यह किसी भी सामान्य राज्य के विकास की बात नहीं है, उत्तर प्रदेश अपने-आप में कई देशों को समोये हुए है। यूपी अपने-आप में वृहद देश है। इसकी विशालता में ही इसकी संभावनाएं छिपी हैं। विशाल राज्य, विशाल बाजार, करोड़ों ग्राहक—कोई भी कंपनी जब निवेश की संभावनाएं तलाशती है, तो उसके लिए ये सारे कारक बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
उत्तर प्रदेश अतीत की छवि
निवेश के लिहाज से, अर्थव्यवस्था के लिहाज से उत्तर प्रदेश के अतीत की छवि ऐसी नहीं रही है जिस पर गर्व किया जा सके। उत्तर प्रदेश से लोग गुजरात और महाराष्ट्र जैसे पश्चिम भारत के राज्यों में काम की तलाश में जाते रहे हैं। और कई बार महाराष्ट्र में शिवसेना द्वारा बेइज्जत भी होते रहे हैं कि कहां दूर से आ जाते हैं यूपी वाले महाराष्ट्र में काम तलाशने। पर हालात अब धीमे-धीमे बदलने लगे हैं। उद्योग-धंधे यूपी में आ रहे हैं। इसकी अतीत की छवि बदल रही है। यूपी अब अपराध और अपराधियों के गढ़ के तौर पर चिन्हित नहीं हो रहा। और इसके बहुत गहरे मायने हैं। खासकर अर्थव्यवस्था और उद्योग जगत के मामले में यूपी का अतीत ऐसा नहीं रहा जिसे लेकर गौरवान्वित हुआ जा सके। कानपुर एक वक्त में औद्योगिक केंद्र हुआ करता था, पर तमाम कारणों से यहां की कपड़ा मिलें बंद हो गर्इं। नये उद्योग खुल न सके। तो कुल मिलाकर यूपी लंबे अरसे तक ठप औद्योगिक गतिविधियों के केंद्र के तौर पर, बंद फैक्टरियों के केंद्र के तौर पर ही चिन्हित होता रहा। यूपी की अतीत की छवि आम तौर पर अपराधियों के अभयारण्य जैसी ही रही है। अपराधियों के अभयारण्य में उद्योग नहीं पनप सकते। कारोबार नहीं खुल सकता था।
अर्थव्यवस्था और कानून व्यवस्था
यूपी के पास वह लगभग सब कुछ है, जो किसी भी राज्य के विकास के लिए जरूरी होता है। जमीन, श्रम सब कुछ है – फिर यहां लंबे समय तक उद्योग-धंधे क्यों नहीं पनपे। उद्योग-धंधों के पनपने के लिए सबसे जरूरी और पहली शर्त है कानून-व्यवस्था का ठीक होना। कानून व्यवस्था वह ठीक होती है, जहा गुंडे-माफिया खौफ खाएं और उद्योगपति को अपनी पूंजी सुरक्षित लगे। पहले यह स्थिति नहीं थी। अब यूपी में गुंडे-माफिया खौफ में हैं। रंगदारी, वसूली जैसे मामले खत्म हैं। जहां गुंडे-माफिया खौफ में रहें, वहां उद्योगपति बेखौफ रहते हैं। यही स्थिति औद्योगिक विकास के लिए अनुकूल होती है। ऐसी अनुकूल स्थिति हाल के सालों में बनी है। इसलिए यूपी अब निवेशकों के नक्शे में आ रहा है। यूपी में नौकरशाही और राजनीतिक नेतृत्व काम पर, परिणामों पर फोकस करता दिख रहा है। उसकी वजह से जमीन पर यह अहसास हो रहा है कि यूपी में लगाया गया निवेश सुरक्षित है। यूपी को लेकर उद्यमियों का विचार बदल रहा है। यूपी को तेज उद्योगिक विकास की राह पर डालने के लिए सरकार ने सबसे जरूरी और पहला काम कर लिया है, वह यह है कि यूपी में कानून और व्यवस्था पर लोगों का भरोसा जमा है। गुंडे और माफिया खौफ में हों, यह सिर्फ कानून व्यवस्था का मामला नहीं है, यह दरअसल अर्थव्यवस्था के साथ-साथ उद्योग जगत का मामला है। उद्योग जगत को अब दिख रहा है कि यूपी में रंगदारी, गुंडागर्दी, माफियागीरी की स्थिति बदल रही है।
उत्तर प्रदेश की कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था
उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है और यहां बड़ी तादाद में लोग खेती-किसानी पर आश्रित हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश को देश में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का पुरस्कार मिला है। यूपी के संदर्भ में कोई भी बात यह ध्यान में रखकर की जानी चाहिए कि यह बहुत बड़ा राज्य है। यहां जमीनी स्तर पर कुछ भी हासिल करना आसान नहीं है। गन्ना, चीनी, एथनाल, और सेनेटाइजर उत्पादन में यूपी लगातार चौथी बार प्रथम स्थान पर रहा है। गेहूं, आलू, हरे मटर, आम, आंवला और दुग्ध उत्पादन में देश में पहले स्थान पर उत्तर प्रदेश ही रहा है। उत्तर प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था की बहुत ही मजबूत नींव है। इसे आगे बढ़ाया जाए तो इससे विकास के नए सोपान हासिल किये जा सकते हैं। जो राज्य आलू उपजाने के मामले में शीर्ष पर हो सकता है, वहीं आलू के चिप्स की फैक्ट्रियां भी लगाई जा सकती हैं, जिनसे स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सकता है। अब इसकी जरूरत है। ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा में यूपी में 1.50 करोड़ श्रमिकों को रोजगार दिया गया, 116.57 करोड़ से अधिक मानव दिवस सृजित हुए। मनरेगा से ग्रामीण इलाकों में एक न्यूनतम गारंटी मिल जाती है, इससे आर्थिक कष्ट कम हो जाते हैं।
उत्तर प्रदेश की औद्योगिक अर्थव्यवस्था
उद्योगों और शहरीकरण का गहरा रिश्ता है। इंडिया स्मार्ट सिटीज अवार्ड 2020 में उत्तर प्रदेश को प्रथम पुरस्कार मिला है। बिजली का ताल्लुक गहराई से उद्योगीकरण से है। यूपी में सौभाग्य योजना में एक करोड़ 41 लाख घरों को निशुल्क बिजली कनेक्शन देकर यूपी ने सौभाग्य योजना में देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। एक जनपद, एक उत्पाद योजना को यूपी में लागू किया गया है। आंकड़ों के अनुसार 2017 से पहले यूपी देश की छठी अर्थव्यवस्था था लेकिन आज अर्थव्यवस्था की अंकतालिका पर दूसरे पायदान पर पहुंच चुका है। आंकड़ों के अनुसार यूपी में 4.50 लाख लोगों को सरकारी नौकरी दी गई और साथ ही 1.61 करोड़ युवाओं को रोजगार के विभिन्न कार्यक्रमों से जोड़ा गया। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में कुल 3 लाख करोड़ रु. का निवेश हुआ है। पूरे देश में कारोबारी सुगमता के मामले में यूपी का नंबर दूसरा है। ये सारे तथ्य संकेत देते हैं कि यूपी में निवेश और खासकर औद्योगिक निवेश अब रफ्तार पकड़ चुका है, इसके ठोस परिणाम कुछेक सालों में सामने आने लगेंगे जब बड़ी फैक्ट्रियां और प्लांट यूपी में दिखाई पड़ने लगेंगे। कारोबारी सुगमता औद्योगिक निवेश में बड़ा मसला है। कोई उद्योगपति आए निवेश करने को और फिर फंस जाए तमाम तरह के लाइसेंस और परमिट लेने के चक्कर में, तो फिर औद्योगिक निवेश की राह में अड़चनें आती हैं। कारोबारी सुगमता का मतलब है कि तमाम तरह की सरकारी मंजूरियां आसानी से मिलें, नौकरशाही उद्योगपतियों को परेशान ना करे। निवेश की राह आसान हो, तो निवेश में तेजी आ जाती है। कारोबारी सुगमता हासिल करना आसान नहीं होता। शीर्ष स्तर पर राजनीतिक इच्छाशक्ति और नौकरशाही की कुशलता के बगैर कारोबारी सुगमता हासिल नहीं होती। यूपी ने कारोबारी सुगमता के मोर्चे पर बहुत तेजी दिखाई है। कुछ बरस पहले तक यूपी कारोबारी सुगमता के मामले में शीर्ष के दस राज्यों में भी नहीं आता था, अब यह दूसरे नंबर है। यूपी को अब देश और विदेश में निवेश के लिए सूची में रखा जा रहा है, यह महत्वपूर्ण बात है। यूपी पहले आपराधिक सुगमता के लिए चिन्हित होता था, अब यह कारोबारी सुगमता के लिए चिन्हित हो रहा है। यह बहुत बड़ा बदलाव है, और सकारात्मक बदलाव है।
समग्र विकास की संभावना
अर्थव्यवस्था के तीन सेक्टर होते हैं—कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र। उत्तर प्रदेश भारत के कुछ उन चुनिंदा राज्यों में से है, जहां अर्थव्यवस्था के तीनों सेक्टरों में पर्याप्त संभावनाएं हैं। खेती- किसानी यहां की अर्थव्यवस्था की नींव में है। उद्योग जगत का फैक्टरियों, प्लांट में निवेश तेज हुआ है और सेवा क्षेत्र यानी साफ्टवेयर, फिल्म, होटल, पर्यटन इस सबकी बहुत जोरदार संभावनाएं यूपी में हैं। अगर यह राज्य कृषि और उद्योग को जोड़कर अपनी संभावनाओं को पूरा दोहन कर पाए, तो यह देश और दुनिया के लिए बहुत बड़ा योगदान होगा। आलू यहीं होता है, तो आलू के चिप्स की फैक्टरियां भी यहीं हो सकती हैं। आलू से चिप्स का सफर मूल्यवत्ता बढ़ने का सफर है। एक किलो आलू और एक किलो आलू चिप्स के भावों में बहुत ज्यादा अंतर होता है। यह अंतर यूपी वालों की जेब में जाए, तो राज्य का और भला होगा। फैक्टरियां, प्लांट अभी तेज गति से लगें, ऐसे प्रयास यूपी सरकार की तरफ से हो रहे हैं। नोएडा, ग्रेटर नोएडा में सॉफ्टवेयर कंपनियां निवेश तेज करें, ऐसे भी प्रयास होने चाहिए। सॉफ्टवेयर का कारोबार उन कारोबारों में से है, जो प्रदूषण मुक्त विकास लेकर आते हैं। बेंगलुरू, हैदराबाद सॉफ्टवेयर कंपनियों के पसंदीदा इलाके रहे हैं। लखनऊ, कानपुर भी सॉफ्टवेयर कंपनियों के पसंदीदा इलाके हो सकते हैं। बंगलूर की बढ़ते ट्रैफिक की शिकायतें साफ्टवेयर कर्मी बार-बार करते हैं। साफ्टवेयर के निवेश को यूपी में लाने के जोरदार प्रयास हों, तो प्रदेश में गुणवत्ता वाले रोजगार के सृजन में मदद मिलेगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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