दिनेश मानसेरा
उत्तराखंड स्थित उधमसिंह नगर जिले में हरिद्वार के बाद सबसे तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ रही है। आंकड़ों के मुताबिक उधमसिंह नगर में करीब 7 लाख मुस्लिम आबादी 2022 तक हो जाएगी। राज्य में यूं मुस्लिम आबादी का बढ़ना, देवभूमि के स्वरूप को खंडित करने जैसा हो जाएगा।
उत्तराखंड स्थित उधमसिंह नगर जिले में हरिद्वार के बाद सबसे तेजी से मुस्लिम आबादी बढ़ रही है। आंकड़ों के मुताबिक उधमसिंह नगर में करीब 7 लाख मुस्लिम आबादी 2022 तक हो जाएगी। बता दें कि उधमसिंह नगर राज्य का मैदानी जिला है। भगौलिक दृष्टि से यह उत्तर प्रदेश के पीलीभीत, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद, बिजनौर जिले से जुड़ा हुआ है। यहां भी गौर करने वाली बात है कि यूपी के इन जिलों में भी मुस्लिम आबादी पहले से ही ज्यादा है। ऐसे में रोजगार की तलाश में यूपी के इन जिलों से मुस्लिम उधमसिंह नगर आकर बसते जा रहे हैं।
2001 की जनगणना के अनुसार उधमसिंह नगर की आबादी 1235614 थी, जिसमें 2 लाख 55 हज़ार मुस्लिम थे। 2011 में जिले की आबादी 1648902 थी, जिसमें 22.58 प्रतिशत यानी 372267 मुस्लिम आबादी हो गई। लेकिन ताज़ा जानकारी के मुताबिक 2022 में मुस्लिम आबादी बढ़कर 33.40 प्रतिशत होने जा रही है। सरकारी अनुमान के अनुसार उधमसिंह नगर की आबादी 1912726 हो जाएगी और मुस्लिम आबादी इसमें करीब 7 लाख हो जाने का अनुमान है। जानकारी के मुताबिक पिछली हरीश रावत सरकार के समय जिले में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी बढ़ी। वे जिले की किच्छा सीट से चुनाव लड़ने से पहले यहां की वोटर लिस्ट में अपने कारिंदों से मुस्लिम वोट बढ़ाने के लिए एक अभियान में जुटे, लेकिन दांव उल्टा इसलिए पड़ा कि यहां योगी आदित्यनाथ आकर सारा समीकरण बदल गए। हरीश रावत मुख्यमंत्री होते हुए भी विधानसभा चुनाव हार गए।
प्रदेश में हिन्दू आबादी की वृद्धि दर 11.9 प्रतिशत है, जबकि मुस्लिम वृद्धि दर असम के बाद सबसे ज्यादा करीब 14 प्रतिशत है। लेकिन उधमसिंह नगर में मुस्लिम आबादी वृद्धि दर 34 से 35 प्रतिशत हो जाने की आशंका है, जो कि चिन्ताजनक वृद्धि दर कही जा सकती है। ये वह आंकड़े है जो कि दस्तावेजों में दर्ज होते हैं। एक बड़ी मुस्लिम आबादी जो कि आबादी रजिस्टर में दर्ज नहीं होती। जैसे—नदियों में खनन करने वाले मजदूर, मिस्त्री जिले में हजारों की संख्या में बिना किसी दस्तावेज के रह रहे हैं। ये आज नहीं कल राजनीतिक महत्वाकांक्षा का फायदा उठाएंगे।
उत्तराखंड के यूपी से लगे इस सीमावर्ती जिले में मुस्लिम आबादी तो बढ़ ही रही है, साथ ही साथ मस्जिद—मजारें भी बढ़ रही हैं। जबकि कानून यह है कि कोई भी मजहबी स्थल बनाने से पहले उसकी इजाजत जिलाधिकारी से लेनी जरूरी है। मुस्लिम श्रमिक बस्तियों में मस्जिद—मजार किसकी इजाजत से बनीं ? ये सवाल और जांच का विषय है।
उधमसिंह नगर में बढ़ती मुस्लिम आबादी से राजनीतिक और सामाजिक समीकरण भी गड़बड़ा रहे हैं। पहले हरिद्वार जिले में मुस्लिम वोटर राजनीति को प्रभावित कर चुके हैं, अब उधम सिंह नगर में भी इसका असर दिखाई देगा। जसपुर, गदपुर, किच्छा, खटीमा, काशीपुर और रुद्रपुर विधानसभा में इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। अभी तक उधमसिंह नगर में भाजपा का दबदबा रहता आया है, लेकिन इस बार मुस्लिम—सिख गठजोड़ किसान आंदोलन के बाद से उभरा है, जिले की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।
उत्तराखंड के यूपी से लगे इस सीमावर्ती जिले में मुस्लिम आबादी तो बढ़ ही रही है, साथ ही साथ मस्जिद—मजारें भी बढ़ रही हैं। जबकि कानून यह है कि कोई भी मजहबी स्थल बनाने से पहले उसकी इजाजत जिलाधिकारी से लेनी जरूरी है। मुस्लिम श्रमिक बस्तियों में मस्जिद—मजार किसकी इजाजत से बनीं ? ये सवाल और जांच का विषय है।
बता दें कि यहां 2011 में हुए दंगो का जिक्र भी इसलिए जरूरी है कि मुस्लिम उन्मादी भीड़ ने कोतवाली जलाने की कोशिश की थी। इस दौरान जिहादियों ने हिंदुओं की दुकानों को नुकसान पहुंचाया था। तब स्थानीय लोगों ने कोतवाली में फंसे पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को बचाया था। दंगों में भाजपा विधायक राजकुमार ठुकराल, भाजपा नेता नत्थू लाल सहित कई आरोपियों को नामजद किया गया था। बाद में त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने इन मामलों को वापस ले लिया। सरकार का कोर्ट में कहना था कि साजिशन भाजपा नेताओं को फंसाया गया था।
कांग्रेस अब अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को साधने के लिए पंजाब की तर्ज पर उधमसिंह नगर में सिख, किसान और मुस्लिम गठजोड़ को उभार रही है। जबकि 2011 में हुए दंगों में ये दोनों ही आमने—सामने थे।
बहरहाल, उत्तराखंड में सशक्त भू—कानून बनाने को लेकर जो आवाज उठ रही हैं, उसके पीछे बड़ी वजह उत्तराखंड में बढ़ती मुस्लिम आबादी ही है। रुद्रपुर के भाजपा विधायक राज कुमार ठुकराल कहते हैं कि मुस्लिम आबादी का बढ़ना चिंताजनक है। रामपुर, मुरादाबाद से लोग यहां आकर तेज़ी से बस रहे हैं। मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों में जमीन के रेट आसमान छू रहे हैं। पूर्व सांसद बलराज पासी कहते हैं कि पूरे राज्य में मुस्लिम आबादी का बढ़ना, कुछ सालों में आगे जाकर देवभूमि के स्वरूप को खंडित करने जैसा हो जाएगा।
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