उत्तराखंड ब्यूरो
उत्तराखंड के दूसरे बड़े शहर हल्द्वानी के राजेंद्रनगर श्मशान घाट में अस्थि कलशों को इंतज़ार है अपनों का। जो यहां आकर उन्हें ले जाएं और गंगा या बहती जलधारा में उनका तर्पण करवा सकें।
उत्तराखंड के दूसरे बड़े शहर हल्द्वानी के राजेंद्रनगर श्मशान घाट में अस्थि कलशों को इंतज़ार है अपनों का। जो यहां आकर उन्हें ले जाएं और गंगा या बहती जलधारा में उनका तर्पण करवा सकें। कोरोना महामारी के दौरान स्वर्ग सिधारे लोगों के अस्थि कलश आज भी हल्द्वानी के लॉकर रूम में सुरक्षित पड़े हैं।
पचास से ज्यादा की संख्या में ये कलश अपनों की राह देख रहे हैं। कोरोना रोगी होने की वज़ह से बहुत से लोगों का अंतिम संस्कार श्मशान घाट प्रबन्धकों की देखरेख में किया गया। कोरोना रोगियों के परिवारीजन हाथ भी लगाने नहीं आए। बहुत से स्वर्ग सिधारे लोगों के रिश्तेदार नातेदार बाहर मुल्कों या दूसरे शहरों में रहते थे। ऐसे में वे अपनों के अस्थि कलश लेने नहीं आए, जिसके चलते घाट प्रबन्धकों ने इन्हें अपने यहां सुरक्षित रखा हुआ है।
घाट के व्यवस्थापक राम बाबू जायसवाल कहते हैं कि हम साल तक इंतज़ार करते हैं। फिर हिन्दू रीति रिवाज से इनका तर्पण प्रवाह कर देंगे।
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