पिछले सप्ताह अब्दुल्ला अब्दुल्ला और करजई काबुल में तालिबान के स्वयंभू कार्यकारी गवर्नर अब्दुल रहमान मंसूर से मिले थे। दोनों नेताओं ने मंसूर से काबुल के लोगों के जीवन, संपत्ति और आत्म सम्मान को बचाने को प्राथमिकता पर रखने के मुद्दे पर चर्चा की थी
वेब डेस्क
पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और वरिष्ठ अफगान नेता अब्दुल्ला अब्दुल्ला को तालिबान ने काबुल में उनके घरों के अंदर नजरबंद करके आम अफगानियों सहित दुनिया को चौंका दिया है। हालांकि ये दोनों ही नेता पिछले कई दिनों से तालिबान के नेताओं के साथ नई सरकार के गठन की प्रक्रिया पर बातचीत करते आ रहे थे। वे केन्द्रीय परिषद के सदस्य भी बनाए गए थे। लेकिन अब उनकी नजरबंदी के बाद क्या हालात बनने वाले हैं, इस पर कोई कुछ स्पष्ट नहीं कह पा रहा है।
उल्लेखनीय है कि काबुल पर चढ़ बैठने के बाद तालिबान ने सबके साथ तालमेल बनाकर सरकार बनाने का वादा किया था। इसी बारे में आतंकी तालिबान ने पूर्व राष्ट्रपति करजई और पूर्व मुख्य अधिशासी अब्दुल्ला से कई दौर की बात भी की थी। तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद भी ये दोनों नेता काबुल में ही रह रहे हैं।
लेकिन ताजा समाचारों के अनुसार, करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला को काबुल में उनके घरों में ही नजरबंद कर दिया गया है। तालिबान ने उनको मिली सुरक्षा भी हटा ली है। सीएनएन के अनुसार उनकी कारों को भी आतंकी संगठन ने अपने कब्जे में ले लिया है। अब्दुल्ला अब्दुल्ला के घर की तलाशी भी ली गई थी।
यह जरूर है कि पिछले सप्ताह अब्दुल्ला अब्दुल्ला और करजई काबुल में तालिबान के स्वयंभू कार्यकारी गवर्नर अब्दुल रहमान मंसूर से मिले थे। दोनों नेताओं ने मंसूर से काबुल के लोगों के जीवन, संपत्ति और आत्म सम्मान को बचाने को प्राथमिकता पर रखने के मुद्दे पर चर्चा की थी। अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने तो मंसूर से कहा था कि राजधानी में माहौल सामान्य बनाने के लिए जरूरी है कि नागरिकों को सुरक्षा का अहसास हो। हालांकि इस बातचीत से पहले भी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने आशा व्यक्त की थी कि तालिबान सबके साथ वाली सरकार का गठन करेगा।
काबुल पर चढ़ बैठने के बाद तालिबान ने सबके साथ तालमेल बनाकर सरकार बनाने का वादा किया था। इसी बारे में आतंकी तालिबान ने पूर्व राष्ट्रपति करजई और पूर्व मुख्य अधिशासी अब्दुल्ला से कई दौर की बात भी की थी। तालिबान के काबुल पर कब्जे के बाद भी ये दोनों नेता काबुल में ही रह रहे हैं।
विशेषज्ञ भी समझ नहीं पा रहे हैं कि तालिबान ने आखिर इन वरिष्ठ नेताओं को नजरबंद क्यों किया है। इन दोनों की तो तालिबान नेताओं के साथ नजदीकी बनी हुई थी। दोनों की तालिबान के साथ सुलह की बात हुई थी। ऐसे में यह नजरबंदी का कदम किसी की भी समझ से परे बना हुआ है।
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