वेब डेस्क
बैशलेट ने कहा कि मानवाधिकार परिषद को अफगानिस्तान में तालिबान की अत्याचारी हरकतों की खबरें मिली हैं, खासकर उन इलाकों से जिन पर तालिबान लड़ाकों का कब्जा हो चुका है। उन क्षेत्रों में बर्बरता चरम पर है
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की उच्चायुक्त मिशेल बैशलेट का कहना है कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे वाले इलाकों में आम अफगानी और आत्मसमर्पण कर चुके फौजियों, सुरक्षाकर्मियों को हाथोंहाथ मौत की सजाएं दी जा रही हैं।
मानवाधिकार प्रमुख का यह खुलासा अफगानिस्तान से आ रही खबरों की पुष्टि करता है कि तालिबान लड़ाके वहां जंगल का कानून चलाए हुए हैं और राह चलतों को हथियारों से धमका रहे हैं, या सरेआम अपमानित कर रहे हैं।
बैशलेट ने कहा कि मानवाधिकार परिषद को अफगानिस्तान में तालिबान की अत्याचारी हरकतों की खबरें मिली हैं खासकर उन इलाकों से जिन पर तालिबान लड़ाकों का कब्जा हो चुका है। उन क्षेत्रों में बर्बरता चरम पर है। उनके निशाने पर खासतौर पर आम लोग और आत्मसमर्पण कर चुके सुरक्षाबल वालों को तत्काल मौत के घाट उतारा जा रहा है, महिलाओं पर सख्त पाबंदियां लगाई जा रही हैं।
तालिबान ने ऐसे लोगों के नामों की 'ब्लैक लिस्ट' बनाई है जिन्होंने उनकी जानकारी के हिसाब से पिछली अफगानिस्तान सरकार, अमेरिका तथा नाटो सेना का सहयोग किया था। संयुक्त राष्ट्र को जानकारियां देने वाली नार्वे की निजी एजेंसी का कहना है कि डर इतना है कि ज्यादातर अफगान नागरिक तालिबान का सच तक बताने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से अफगानिस्तान में नागरिक अधिकारों के ताजा हालात पर नजर रखने और निडरता से सख्त कार्रवाई करने की अपील की है। बैशलेट ने साफ कहा है कि मानवाधिकारों के उल्लंघन की घटनाओं की जांच होनी चाहिए, इन पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि फैसले की इस घड़ी में, अफगानिस्तान के लोग अपने अधिकारों की रक्षा के लिए मानवाधिकार परिषद की ओर देख रहे हैं।
मानवाधिकार परिषद प्रमुख ने कहा कि अफगानिस्तान में मानवाधिकारों से संबंधित स्थिति पर पैनी नजर रखने को समर्पित तंत्र की व्यवस्था की गई है और परिषद से अपील है कि वह पूरी निडरता से ठोस कार्रवाई करे। तालिबान आम लोगों पर जुल्म कर रहा है। वह वहां शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने वालों को यातनाएं दे रहा है, उनका दमन किया जा रहा है।
नॉर्वे की एक निजी खुफिया एजेंसी ने पिछले दिनों कहा था कि तालिबान ने ऐसे लोगों के नामों की 'ब्लैक लिस्ट' बनाई है जिन्होंने उनकी जानकारी के हिसाब से पिछली अफगानिस्तान सरकार, अमेरिका तथा नाटो सेना का सहयोग किया था। संयुक्त राष्ट्र को जानकारियां देने वाली इस एजेंसी का यह भी कहना था कि डर इतना है कि ज्यादातर अफगान नागरिक तालिबान का सच तक बताने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि 24 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद वहां मानवाधिकारों की स्थिति पर विचार करने के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद का विशेष सत्र आयोजित किया गया था।
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